
मैतेई नेता की गिरफ्तारी के विरोध में मणिपुर में हिंसा...
- प्रदर्शनकारियों ने खुद पर पेट्रोल डाला
इंफाल। मणिपुर में एक बार फिर हिंसा भड़क उठी है। हालांकि, इस बार मैतेई और कुकी समुदाय आपस में नहीं लड़ रहे हैं। इस बार मैतेई समुदाय के लोग प्रशासन और सुरक्षाबलों के खिलाफ उग्र प्रदर्शन कर रहे हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक टीम ने शनिवार को दोपहर ढाई बजे के करीब एक व्यक्ति की गिरफ्तारी की। एजेंसी की तरफ से अब तक नहीं बताया गया है कि किस व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है और उसके ऊपर क्या आरोप हैं। हालांकि, ऐसी खबरें आई कि मैतेई समुदाय के संगठन अरम्बाई टेंगोल के एक नेता को गिरफ्तार किया गया है। इसके बाद मैतेई समुदाय के लोगों ने उग्र प्रदर्शन शुरू कर दिया। कुछ मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि कानन सिंह को गिरफ्तार किया गया है। सुरक्षा एजेंसियां राज्य में हिंसा फैलाने के लिए जिम्मेदार नेताओं की गिरफ्तारी कर रही हैं। यह प्रक्रिया लंबे समय से चल रही है। शनिवार के दिन भी दो प्रतिबंधित संगठनों से जुड़े तीन उग्रवादियों को गिरफ्तार किया गया और टेंग्नौपाल जिले में इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) बरामद किए गए।
मणिपुर हिंसा में 260 से ज्यादा मौतें
मणिपुर में मई 2023 से जातीय हिंसा जारी है। यहां कुकी और मैतेई समुदाय के लोग आपस में लड़ रहे हैं। इसके चलते अब तक 260 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। वहीं, 1000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 60,000 से 70,000 लोग बेघर हुए हैं, जो फिलहाल राहत शिविरों में रह रहे हैं। इस दौरान 4786 घर जलाए जा चुके हैं और 386 धार्मिक स्थलों को भी नुकसान पहुंचाया गया है। इसी हिंसा के बीच एक महिला को निर्वस्त्र करके घुमाने और सामूहिक दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या करने की घटना भी सामने आई थी। इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद मणिपुर के हालातों पर सभी ने चिंता जताई थी। दो साल बाद भी हालात ज्यादा नहीं बदले हैं।
सीएम ने दिया इस्तीफा
मणिपुर में भारतीय जनता पार्टी के पास स्पष्ट बहुमत है, लेकिन हिंसा शुरू होने के 21 महीने बाद बीरेन सिंह ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था। फरवरी 2025 में उनके इस्तीफे के बाद से यहां राष्ट्रपति शासन लागू है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से सुरक्षाबलों की कई टीमें मणिपुर में तैनात की गई हैं। इसके बाद हिंसा में कमी आई और प्रदर्शनकारियों ने पुलिस से लूटे हुए हथियार भी लौटाने शुरू कर दिए थे, लेकिन अरम्बाई टेंगोल के नेता को गिरफ्तार करने की खबरों ने फिर से मैतेई समुदाय के लोगों को भड़का दिया है। इससे पहले कई मौकों पर प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर हमला कर हथियार लूटे थे। शनिवार को भी कई जगहों पर सुरक्षाकर्मियों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई।
क्यों शुरू हुई थी जातीय हिंसा?
29 अप्रैल 2023 को मणिपुर उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को एसटी सूची में शामिल करने की सिफारिश करने का निर्देश दिया। इस फैसले से कुकी और अन्य आदिवासी समुदायों में असंतोष फैल गया, क्योंकि उन्हें लगा कि इससे उनके मौजूदा आरक्षण और संसाधनों पर असर पड़ेगा। ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर ने इस फैसले के खिलाफ 3 मई 2023 को चुराचांदपुर में एक "आदिवासी एकजुटता मार्च" का आयोजन किया। यहीं से हिंसा की शुरुआत हुई। मैतेई समुदाय मणिपुर की आबादी का लगभग 53% है और मुख्य रूप से इम्फाल घाटी में रहता है। वहीं, कुकी और अन्य आदिवासी समुदाय पहाड़ी क्षेत्रों में रहते हैं और पहले से एसटी दर्जे की श्रेणी में हैं। आदिवासी समुदाय मैतेई को एसटी में शामिल करने का विरोध करते हैं। उनका कहना है कि मैतेई पहले से ही सामाजिक-आर्थिक रूप से सशक्त हैं और उनके पास घाटी में अधिकांश संसाधन हैं।
क्या है अरमबाई टेंगोल?
अरमबाई टेंगोल एक मैतेई संगठन है, जो एक सांस्कृतिक पुनरुत्थानवादी समूह के रूप में शुरू हुआ था। हालांकि, जातीय हिंसा के बीच यह संगठन एक उग्रवादी संगठन की तरह काम करता रहा है। इससे जुड़े लोग बड़े पैमाने पर जातीय हिंसा में शामिल रहे हैं। इस संगठन के लोगों ने हाल ही में राज्यपाल के साथ चर्चा की थी और अपने कुछ हथियार भी सौंपे थे। हालांकि, अब यह संगठन अपने विरोध को और तेज करने की तैयारी कर रहा है।
पिछले 24 घंटों में क्या-क्या हुआ?
शनिवार शाम को एनआईए ने गिरफ्तारी की और शाम तक अरम्बाई टेंगोल के नेता को गिरफ्तार करने की खबर फैल गई। इसके साथ ही मैतेई प्रदर्शनकारियों ने हिंसक तरीके से विरोध शुरू कर दिया। कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़प हुई। इंफाल ईस्ट जिले में भीड़ ने बस जला दी। क्वाकेथेल में कई गोलियां भी चलीं, लेकिन फायर करने वाले लोगों की पहचान नहीं हो पाई।
तुलिहाल में इम्फाल एयरपोर्ट के बाहर प्रदर्शनकारी जुट गए। उन्हें लगा कि गिरफ्तार नेता को राज्य से बाहर ले जाया जा रहा है। इस वजह से उन्होंने एयरपोर्ट घेर लिया ताकि नेता को बाहर न ले जाया जा सके। प्रदर्शनकारी रात भर रास्ते में सोए रहे। अरमबाई टेंगोल ने घाटी के जिलों में रविवार से लेकर दस दिन तक पूर्ण बंद की घोषणा की। कुछ प्रदर्शनकारियों ने खुद पर पेट्रोल डालकर आत्मदाह करने की भी धमकी दी।
पुलिस ने राजभवन सहित अन्य जगहों पर सुरक्षा बढ़ा दी है। भीड़ को तितर बितर करने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले दागे गए। कथित तौर पर लाठीचार्ज से एक व्यक्ति की मौत हो गई। बिष्णुपुर जिले में कर्फ्यू लागू है। इम्फाल पूर्व, इम्फाल पश्चिम, थौबल और काकचिंग घाटी जिलों में पांच या उससे ज्यादा लोगों को एक साथ जुटने की अनुमति नहीं है। घाटी के जिलों में पांच दिन के लिए इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गई हैं।