G20 शिखर सम्मेलन का समापन सबसे संतोषजनक क्षण : एस जयशंकर
नयी दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि जी20 शिखर सम्मेलन का समापन अगर उनके करियर का सबसे संतोषजनक क्षण था तो पिछले पांच वर्षों के दौरान सबसे महत्वपूर्ण क्षण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात और जापान जैसे देशों के साथ रिश्तों में भारी बदलाव से जुड़ा था। जयशंकर ने कहा, पिछले दशक के पांच वर्षों में ये रिश्ते वास्तव में जबरदस्त तरीके से बदल गए हैं। और क्वाड का विकास भी कुछ ऐसा ही है, जिसे हमने डेढ़ दशक पहले आजमाया था, लेकिन सफल नहीं हुए, परंतु दूसरी बार ऐसा संभव हुआ। इस बार इसने वास्तव में काम किया।
जयशंकर ने लगभग एक घंटे लंबे साक्षात्कार में कई मुद्दों पर बात की। इनमें आगे के 10 वर्षों में दुनिया के बारे में उनका दृष्टिकोण, भारत के सामने आने वाली चुनौतियां और उनकी देखरेख में अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में देश की बढ़ती छवि शामिल है। उन्होंने कहा कि पिछले साल जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करना सिर्फ कड़ी मेहनत नहीं थी , कई मायनों में देश की प्रतिष्ठा इस पर निर्भर थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौ सितंबर को नई दिल्ली घोषणा-पत्र को अपनाने का ऐलान किया था, जो भारत की जी20 अध्यक्षता के लिए एक महत्वपूर्ण जीत थी, क्योंकि यह (जीत) यूक्रेन संघर्ष को लेकर बढ़ते तनाव और भिन्न-भिन्न विचारों के बीचप्राप्त हुई थी।
घोषणा पर सर्वसम्मति और उसके बाद अपनाने की घोषणा भारत द्वारा यूक्रेन संघर्ष के बारे में जी20 देशों को अवगत कराने के लिए एक नया मसौदा जारी करने के कुछ घंटों बाद आई। जयशंकर ने कहा, यह हमारे इतिहास में उठाई गई सबसे बड़ी कूटनीतिक जिम्मेदारी थी। हमने जिस तरह से इसे निभाया वह भी बहुत अनोखा था। मैं कूटनीतिक क्षेत्र में लंबे समय से हूं। मैंने विदेश नीति पर ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं देखा है, जिससे भारतीय जनता इतनी जुड़ी हो और समाहित हो। जी20 का उल्लेख करने के बाद जयशंकर ने कहा, आपने मुझसे यह नहीं पूछा कि सबसे महत्वपूर्ण क्या था।
एक मंत्री के रूप में मेरे कार्यकाल में और (उस) अवधि के दौरान कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण रिश्तों में भारी बदलावों से जुड़ा होना सबसे महत्वपूर्ण रहा है। इनमें अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, ऑस्ट्रेलिया और कुछ हद तक जापान को भी शामिल कर सकते हैं। कूटनीति में लगभग 50 वर्षों के अनुभव वाले सबसे प्रसिद्ध विदेश मंत्रियों में से एक जयशंकर पहले चीन और अमेरिका में राजदूत और उसके बाद भारत के विदेश सचिव रह चुके हैं।