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जोधपुर: कृत्रिम बुद्धिमत्ता एवं महिला सशक्तिकरण पर यशोदा एआई कार्यशाला का आयोजन

जोधपुर: कृत्रिम बुद्धिमत्ता एवं महिला सशक्तिकरण पर यशोदा एआई कार्यशाला का आयोजन

आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जोधपुर में हुआ कार्यक्रम

जोधपुर। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जोधपुर में यशोदा एआई कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य महिलाओं को डिजिटल साक्षरता, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक कर उन्हें सशक्त बनाना था। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर (वैद्य) पी.के. प्रजापति ने की एवं मुख्य अतिथि के रूप में रामावतार सिंह, राष्ट्रीय महिला आयोग के प्रिंसिपल प्राइवेट सेक्रेटरी उपस्थित रहे। कार्यशाला की शुरुआत दीप प्रज्वलन, कुलगीत एवं अतिथियों के स्वागत के साथ हुई।तकनीकी सत्र का संचालन हितेश पमनानी द्वारा किया गया, जिसमें एआई उपकरणों की समझ, उनके सुरक्षित उपयोग, नैतिक पक्ष एवं रोजगार के नए अवसरों पर विस्तार से जानकारी दी गई। प्रतिभागियों ने इस व्यावहारिक सत्र में सक्रिय भागीदारी निभाई।

मुख्य अतिथि रामावतार सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि वर्तमान युग में कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे तकनीकी विषयों की जानकारी प्रत्येक नागरिक के लिए आवश्यक है, विशेषकर महिलाओं के लिए यह आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने बताया कि यशोदा एआई , जिसे योर एआई सखी फॉर शेपिंग हॉरिज़न्स विथ डिजिटल अवेयरनेस कहा जाता है, राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा फ्यूचर शिफ्ट लैब्स के सहयोग से प्रारंभ की गई एक राष्ट्रव्यापी पहल है।इस कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण एवं अर्ध-शहरी क्षेत्रों की महिलाओं को डिजिटल साक्षरता, साइबर सुरक्षा और एआई टूल्स के व्यावहारिक ज्ञान से सशक्त बनाना है, ताकि वे डिजिटल इंडिया की समावेशी और प्रगतिशील यात्रा में योगदान दे सकें। यह कार्यक्रम देशभर के 1000 से अधिक विश्वविद्यालयों में संचालित किया जाएगा। इस अत्यंत सराहनीय योजना के लिए उन्होंने राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर का विशेष धन्यवाद ज्ञापित किया।

कुलगुरु प्रोफेसर (वैद्य) पी.के. प्रजापति ने अपने अध्यय उद्बोधन में कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता न केवल आधुनिक तकनीक का एक सशक्त माध्यम है, बल्कि यह आयुर्वेद चिकित्सा में रोगियों के आंकड़ों के विश्लेषण, निदान एवं व्यक्तिगत चिकित्सा योजना के निर्माण में भी क्रांतिकारी भूमिका निभा सकती है। शैक्षणिक क्षेत्र में भी यह शोध, शिक्षण और अधिगम की प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बना सकती है। हमारा विश्वविद्यालय इस दिशा में ठोस पहल कर रहा है जिससे आयुर्वेद को वैज्ञानिक एवं वैश्विक स्वरूप में प्रस्तुत किया जा सके।इस अवसर पर आयुर्वेद विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार अखिलेश पिपल, पीजीआईए के प्राचार्य प्रो. चंदन सिंह, डीन आयुर्वेद संकाय प्रो. महेन्द्र शर्मा, पूर्व रजिस्ट्रार प्रो. गोविंद सहाय शुक्ला,रसायनशाला निदेशक डॉ. विजयपाल त्यागी, प्रो. राजेश गुप्ता विभागाध्यक्ष शल्य विभाग, उप कुलसचिव डॉ. मनोज अदलखा, कार्यक्रम समन्वयक डॉ. मनीषा गोयल एवं डॉ. ऋतु कपूर, डॉ. देवेंद्र सिंह चाहर (डीन - अनुसंधान), यूसीएच के प्राचार्य डॉ. गौरव नगर एवं यूसीएनवाई के प्राचार्य डॉ. चंद्रभान शर्मा, सहित अनेक शिक्षकगण, स्नातकोत्तर शोधार्थी एवं स्नातक छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। कार्यक्रम में पूर्व एवं अंत में सर्वेक्षण, प्रश्नोत्तर सत्र तथा प्रशिक्षक सम्मान समारोह का आयोजन भी किया गया। कार्यक्रम का मंच संचालन डॉ. यशस्वी शकद्वीपिया द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन सीएचआरडी निदेशक डॉ. राकेश शर्मा ने किया।

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