
बारां में खरीफ की बुवाई से पहले खाद-बीज व्यवस्था पर बैठक, वैकल्पिक उर्वरकों के उपयोग पर जोर
बारां। जिला कलक्टर रोहिताश्व सिंह तोमर की अध्यक्षता में मंगलवार को खरीफ आदान वितरण व्यवस्था को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में खरीफ 2025 के लिए कृषि आदान (बीज, उर्वरक) की उपलब्धता और आगामी रणनीति पर विस्तार से चर्चा की गई।संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार, धनराज मीणा ने जिला कलक्टर को बताया कि जून के अंत तक खरीफ की बुवाई का कार्य प्रारंभ हो जाएगा। इस खरीफ सीजन में कुल 3 लाख 35 हजार हेक्टेयर में बुवाई का अनुमान है, जिसमें मुख्य रूप से सोयाबीन (1 लाख 89 हजार हेक्टेयर), मक्का (1 लाख हेक्टेयर) और धान (40 हजार हेक्टेयर) शामिल हैं। वर्तमान में जिले में बीज और खाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। आंकड़ों के अनुसार, जिले में 15725 हजार मीट्रिक टन यूरिया, 2535 मीट्रिक टन डीएपी और 16975 मीट्रिक टन सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) उपलब्ध है। विभिन्न आदान आपूर्ति संस्थाओं के पास भी खरीफ बुवाई के लिए पर्याप्त बीज मौजूद हैं।
वैकल्पिक उर्वरकों के उपयोग पर बल -
बैठक में संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार ने किसान भाइयों से आग्रह किया कि वे खरीफ फसलों की बुवाई के लिए सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) और यूरिया का उपयोग करें। उन्होंने बताया कि एसएसपी में 16 प्रतिशत फास्फोरस और 11 प्रतिशत सल्फर होता है, जिससे न केवल फसल का उत्पादन बढ़ता है, बल्कि उच्च गुणवत्ता का उत्पादन भी सुनिश्चित होता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक बैग यूरिया के साथ तीन बैग सिंगल सुपर फास्फेट का उपयोग करने से 23 किलो नाइट्रोजन और 48 किलो फास्फोरस के साथ 33 किलो अतिरिक्त सल्फर प्राप्त होगा, जो कि महंगे डीएपी के मुकाबले सस्ता और आसानी से उपलब्ध है। जिला कलक्टर ने भी डीएपी के विकल्प के रूप में एसएसपी और विभिन्न प्रकार के एनपीके ग्रेड जैसे 15-15-15, 16-16-16, 19-19-19, 20-20-0-13, 12-32-16 के उपयोग को बढ़ावा देने का निर्देश दिया। वैकल्पिक उर्वरकों को बढ़ावा देने के लिए एक पम्पलेट का विमोचन भी किया गया। कृषि विभाग को कृषक गोष्ठियों, शिविरों, पम्पलेट, बैनर आदि के माध्यम से किसानों को जागरूक करने तथा सभी आदान विक्रेताओं को भी इस हेतु प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए गए।
खाद-बीज की पर्याप्त उपलब्धता और कालाबाजारी पर सख्ती -
जिला कलक्टर ने सहकारी समितियों को निर्देशित किया कि सभी ग्राम सेवा सहकारी समिति/क्रय-विक्रय सहकारी समितियों पर यूरिया, डीएपी, एनपीके और एसएसपी की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता सुनिश्चित करें, ताकि कोई भी किसान उर्वरक के अभाव में खरीफ बुवाई से वंचित न रह जाए। साथ ही, सभी विभागीय अधिकारियों/आदान निरीक्षकों और विक्रेताओं को निर्देशित किया गया कि वे सघन अभियान चलाकर आदान विक्रेताओं के परिसरों का निरीक्षण करें और नकली, अवैध, अमानक आदानों की जब्ती कर ठोस कार्यवाही करें। उन्होंने खरीफ आदान व्यवस्था में किसी भी तरह की ढिलाई न बरतने और खाद-बीज की कोई कमी न आने देने पर जोर दिया। सभी आदान विक्रेताओं को यह भी निर्देश दिया गया कि वे किसानों को उर्वरक के साथ जबरन अन्य खाद अटैचमेंट/टैगिंग के रूप में न दें। किसानों को भारत सरकार की मंशा अनुसार नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के उपयोग हेतु प्रेरित किया जाए। किसानों की स्वेच्छा पर डीएपी के 5 बैग पर 1 लीटर नैनो डीएपी/यूरिया ही दिया जाए। बैठक में कृषि, उद्यान, सहकारिता विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों के साथ निजी कंपनियों के प्रतिनिधि और स्थानीय खाद-बीज विक्रेता उपस्थित रहे।