
ब्यावर : चीता-मेहरात बिरादरी का अल्पसंख्यक प्रमाण-पत्र बनाने की मांग
- चीता-मेहरात (काठात) समाज ने जिला कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
ब्यावर। ब्यावर जिले के मसूदा और रायपुर उपखण्ड क्षेत्रों में मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय को अल्पसंख्यक प्रमाण-पत्र जारी करने में लगातार अड़चनें आ रही हैं। इसके कारण समुदाय के छात्र-छात्राओं को शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश लेने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। भारत सरकार और राजस्थान सरकार ने अल्पसंख्यक समुदायों को प्रमाण-पत्र जारी करने के स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इनमें बौद्ध, जैन, पारसी, मुस्लिम, सिख और ईसाई समुदाय शामिल हैं। जिले की अन्य तहसीलों में ये प्रमाण-पत्र निर्बाध रूप से जारी किए जा रहे हैं, लेकिन मसूदा और रायपुर उपखण्ड में इन्हें जानबूझकर रोके जाने का आरोप है। चीता-मेहरात (काठात) समाज के उपाध्यक्ष वाजिद खान चीता के अनुसार मुस्लिम धर्म मानने वाली चीता-मेहरात बिरादरी को प्रमाण-पत्र के लिए आवेदन करने के बावजूद स्तर-1 और स्तर-2 की प्रक्रियाओं में रोका जा रहा है। इससे संविधान प्रदत्त अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। साथ ही विद्यार्थियों के भविष्य पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। कई छात्र अल्पसंख्यक संस्थानों में प्रवेश से वंचित रह गए हैं। अल्पसंख्यक प्रमाण-पत्र के अभाव में उन्हें आवश्यक रियायतें नहीं मिल पा रही हैं। समुदाय के प्रतिनिधियों ने प्रशासन से मांग की है कि सभी उपखण्ड अधिकारियों, तहसीलदारों और संबंधित राजस्व अधिकारियों को निर्देशित किया जाए। यदि कोई चीता-मेहरात बिरादरी का अभ्यर्थी मुस्लिम धर्म स्वीकार करने का शपथ-पत्र प्रस्तुत करता है और निर्धारित प्रक्रिया के तहत आवेदन करता है, तो उसे तुरंत अल्पसंख्यक प्रमाण-पत्र जारी किया जाए। समाज ने यह भी आग्रह किया है कि पूर्व में अटके हुए सभी आवेदनों की त्वरित समीक्षा की जाए। संबंधित अभ्यर्थियों को राहत दी जाए, ताकि उन्हें संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों से वंचित न रहना पड़े। साथ ही चीता-मेहरात समाज ने मनगढ़ंत समाचार और भ्रामक प्रसारण से क्षेत्र का सौहार्दपूर्ण माहौल प्रभावित करने का आरोप भी लगाया है।