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भाजपा की एनडीए को विस्तारित करने की कवायद

भाजपा की एनडीए को विस्तारित करने की कवायद

एक तरफ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए समूचे
विपक्ष को एक करने की कवायद में जोर शोर से जुटे है वहीं भाजपा ने भी अपने घर को मज़बूत करने के लिए
एनडीए यानि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को विस्तारित करने का महत्वपूर्ण फैसला किया है। मई में
एनडीए के गठन को 25 साल पूरे हो गए। भाजपा चाहती है आंध्र की तेलगु देशम पार्टी , पंजाब के अकाली
दल सरीखे राजनीतिक दल एक बार फिर एनडीए के झंडे के नीचे आये। अपने इस अभियान के तहत भाजपा
ने अपने आधा दर्जन पूर्व सहयोगियों से बात की है। इन दलों के नेताओं ने सकारात्मक सन्देश दिया है
जिससे भाजपा उत्साहित है। इसी बीच गृहमंत्री अमित शाह और आंध्रप्रदेश के पूर्व सीएम एन चंद्रबाबू
नायडू ने शनिवार शाम मुलाकात की। बिहार में नीतीश की जेडी यू के एनडीए से हटने की भरपाई के रूप में
उपेंद्र कुशवाह जैसे नेताओं से भाजपा ने बात की है जो एनडीए में आने को तैयार है। जेडी यू के पूर्व अध्यक्ष
आरसीपी सिंह भाजपा में शामिल हो चुके है। चिराग पासवान जैसे कुछ नेता एनडीए में शामिल होने को
उत्सुक है। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की शिवसेना भाजपा का साथ छोड़कर कांग्रेस से गठबंधन कर चुकी
थी। यहाँ शिवसेना को तोड़कर एकनाथ शिंदे भाजपा के साथ आकर अपनी सरकार बना चुके है। वहीं राज
ठाकरे को भी एनडीए में लाने की बात चल रही है। कुछ अन्य राज्यों में भी एनडीए को सुदृढ़ बनाने की
रणनीति पर काम चल रहा है। भाजपा विभिन्न राज्यों में कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं पर भी नज़र गड़ाये
हुए है। इस पूरी कवायद के पीछे की रणनीति यही है की कांग्रेस के नेतृत्व में एकजुट होने वाली पार्टियों का
डटकर मुकाबला किया जा सके। भाजपा को उम्मीद है कांग्रेस की अगुवाई के कारण ममता , अखिलेश और
केजरीवाल की पार्टियां एक नहीं हो पायेगी जिसका फायदा भाजपा को मिलेगा। इसके अलावा बसपा , बीजू
जनता दल और वाई एस आर कांग्रेस किसी भी हालत में कांग्रेस के साथ नहीं जाएगी। जरुरत पड़ने पर इन
दलों का समर्थन भाजपा को ही मिलेगा।
गौरतलब है एनडीए की स्थापना 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी ने 16 दलों के
साथ मिलकर की थी। उस दौरान एनडीए में भाजपा के नेतृत्व में अन्नाद्रमुक, समता पार्टी, बीजू जनता
दल, शिरोमणि अकाली दल, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, पीएमके, लोक शक्ति, एमडीएमके, हरियाणा
विकास पार्टी, जनता पार्टी, मिजो नेशनल फ्रंट, एनटीआर टीडीपी एलपी आदि शामिल थे। जॉर्ज फर्नांडीज,
चंद्र बाबू नायडू और शरद यादव जैसे दिग्गज नेता एनडीए के संयोजक थे। धीरे धीरे सभी पुरानी और
संस्थापक पार्टियां एनडीए से बाहर हो गई हैं। मौजूदा समय में जो बड़े दल एनडीए में शामिल हैं, उनमें

तमिलनाडु की अन्नाद्रमुक प्रमुख हैं। इसके अलावा, विभिन्न राज्यों में कुछ दल भी उसके साथ जुड़े हुए हैं.
इनमें हरियाणा में जेजेपी, झारखंड में आजसू, बिहार में लोजपा गोवा में महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी, यूपी
में निषाद पार्टी और अपना दल प्रमुख हैं। इन दलों का राष्ट्रीय राजनीति में कोई प्रभाव नहीं है। यही वजह है
कि भाजपा अब एनडीए में कुछ ऐसे दलों को जोड़ने के लिए प्रयासरत है जो 2024 के लोकसभा चुनाव में
मिलकर चुनावी संघर्ष का सामना करे। एनडीए अब तक 6 लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। इनमें 2014 और
2019 के चुनाव में एनडीए की भारी जीत हुई और नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने अपना सर्वश्रेष्ठ
प्रदर्शन किया। पिछले दो लोकसभा चुनावों में ऐतिहासिक जीत हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने
अपने ‘मिशन 2024’ के तहत नये सिरे से काम करना शुरू कर दिया है। भाजपा ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक
गठबंधन (एनडीए) के लिए नये सहयोगी दलों की खोज शुरू कर दी है । भाजपा का मानना है कि नये
सहयोगियों के सहारे वह लगातार तीसरी बार सत्ता में आ सकती है, क्योंकि इन छोटी पार्टियों के पास छह
राज्यों की 60 सीटें हैं। भाजपा का मानना है कि इन पार्टियों के साथ आने से उसकी सफलता की संभावना
कई गुना बढ़ जायेगी।
कर्नाटक चुनाव में पराजय के बाद भाजपा ने नये सिरे से चुनावी चक्रव्यूह की रचना शुरू की है। भाजपा
का मानना है कि नये सहयोगियों को एनडीए में जोड़ कर वह 2024 का किला फतह कर सकती है। इसका
संकेत उसे नये संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर मिला, जब कांग्रेस समेत कई दलों के बहिष्कार के
बावजूद कुछ दल समारोह में शामिल हुए। इनमें वाइएसआर कांग्रेस के जगन मोहन रेड्डी (आंध्रप्रदेश),
कर्नाटक में एचडी देवेगौड़ा का जनता दल सेक्यूलर, ओड़िशा में बीजू जनता दल, तेलंगाना में के चंद्रशेखर
राव की भारत राष्ट्र समिति, मायावती की बहुजन समाज पार्टी और कुछ अन्य दल शामिल थे। नये संसद
भवन के उद्घाटन के मसले पर 25 दलों का समर्थन भाजपा को मिल गया है। शिरोमणि अकाली दल और
टीडीपी जैसे कई पुराने सहयोगियों ने भी उसे समर्थन देने का एलान किया है।

-बाल मुकुन्द ओझा

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