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परमाण्वीय ऊर्जाओं का प्रस्फुटन है ब्रह्मास्त्र - गोस्वामी अच्युतानन्द महाराज

परमाण्वीय ऊर्जाओं का प्रस्फुटन है ब्रह्मास्त्र - गोस्वामी अच्युतानन्द महाराज

उदयपुर. वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. दीपक आचार्य के ताजातरीन लघुकथा संग्रह ‘ब्रह्मास्त्र’ का विमोचन वैश्विक क्षितिज पर विख्यात त्रिकालज्ञ भविष्यवक्ता संत श्री मावजी महाराज की परम्परा में श्री निष्कलंक धाम के नवें पीठाधीश्वर एवं बेणेश्वर धाम के महंत गोस्वामी अच्युतानंद महाराज ने किया। अलौकिक तपस्विनी एवं विलक्षण आध्यात्मिक विभूति 1008 श्री तुलसिया माताजी के सलूम्बर के समीप पावन सेरिया धाम आश्रम पर आयोजित समारोह में बेणेश्वर पीठाधीश्वर ने बड़ी संख्या में उपस्थित सर्वसमाज के प्रबुद्धजनों के समक्ष इसका विमोचन किया।

निर्भीक एवं पारदर्शी अभिव्यक्ति का आईना
बेणेश्वर पीठाधीश्वर गोस्वामी श्री अच्युतानन्द महाराज ने इस अवसर पर सामाजिक जागरण तथा सम सामयिक विद्रुपताओं के सटीक एवं पारदर्शी शब्द चित्र श्रृंखला को पैनी धार बताते हुए कहा कि डॉ. दीपक आचार्य की कृति ‘ब्रह्मास्त्र’ कृतिकार के अनुभूत सत्य और आशा-अपेक्षाओं एवं आकांक्षाओं से मुक्त निर्भीक प्रवाह का दैवीय एवं दिव्य प्रस्फुरण है।

सराहनीय है कृतिकार का रचनाकर्म
उन्होंने कहा कि ब्रह्मास्त्र अपने आप में अक्षर ब्रह्म की अपरिमित परमाण्वीय ऊर्जा का प्रस्फुटन है। इसमें समाहित लघुकथाएं दिल और दिमाग को झंकृत कर युगीन सत्य की धाराओं-उपधाराओं के नग्न सत्य और यथार्थ को समाज के समक्ष प्रकट करने का साहसिक उपक्रम है। इसके लिए उन्होंने कृतिकार की सराहना की।

श्री भरत शर्मा की भूमिका और डॉ. कुंजन आचार्य का मंतव्य
लघुकथा संग्रह ‘ब्रह्मास्त्र’ की भूमिका मशहूर साहित्यकार एवं राष्ट्रीय ख्याति के कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित श्री भरतचन्द्र शर्मा ने लिखी है जबकि मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. कुंजन आचार्य ने कृति एवं कृतिकार के परिचय पर ‘मंतव्य’ के माध्यम से इन्द्रधनुषी शब्दचित्र दिए हैं। स्वयं बेणेश्वर पीठाधीश्वर गोस्वामी अच्युतानन्द महाराज ने ‘ब्रह्मास्त्र’ की सराहना में अपना आशीर्वाद अंकित किया है।

सामाजिक विद्रुपताओं पर केन्द्रित है संग्रह
लघुकथा संग्रह ‘ब्रह्मास्त्र’ के रचनाकार डॉ. दीपक आचार्य ने विमोचित कृति पर प्रकाश डालते हुए बताया कि राजस्थान साहित्य अकादमी के सहयोग से प्रकाशित इस पुस्तक में आम आदमी की पीड़ाओं, बहुरूपिया चिऱत्रों से भरी राजनीति, सामाजिक बुराइयों, मानवीय एवं नैतिक मूल्यों के पतन, शासन-प्रशासन के अनछूए वितण्डावाद, बुद्धिजीवियों के पाखण्ड से लेकर समाज-जीवन लेकर व्यष्टि और समष्टि में प्रतिबिम्बित और अनुभवगम्य विषयों पर 80 लघुकथाओं का समावेश है।

जताया अकादमी एवं सहयोगियों का आभार
उन्होंने बताया कि राजस्थान साहित्य अकादमी से प्रकाशित यह उनकी दूसरी पुस्तक है। इससे पहले चर्चित काव्यसंग्रह ‘मुश्किल है चुप रहना’ प्रकाशित हो चुकी है। लघुकथाकार डॉ. दीपक आचार्य ने पुस्तक प्रकाशन में सहयोग के लिए अकादमी अध्यक्ष डॉ. दुलाराम सहारण एवं अकादमी परिवार और पुस्तक प्रकाशन में उत्प्रेरणा एवं योगदान के लिए सभी सहयोगियों का आभार भी जताया।

मानवीय संवेदनाओं का यथार्थ चित्रण
समारोह में सामाजिक चिन्तक एवं समीक्षक श्री जयप्रकाश पण्ड्या ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि डॉ. दीपक आचार्य की लघुकथाओं में लघुता से महत्ता की यात्रा केवल शब्दों की यायावरी मात्र नहीं है बल्कि एक चिंतनधर्मा लेखक का मानवीय संवेदनाओं के प्रति आत्मीय एवं अनुभूत यथार्थ है, लेखक के भीतर की दीप ज्योति तमस के प्रति बेबाक-निर्मम प्रहार करते हुए ब्रह्मास्त्र की सार्थकता को संपूर्ण परिवेश प्रदान करती है। संचालन शिक्षाविद् श्री मनोहर जोशी ने किया। आरंभ में उद्योगपति एवं समाजसेवी श्री शंकरलाल त्रिवेदी ने कृतिकार का परिचय दिया।

 

 

 

 

 

 

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