मंथन : कुछ कानूनो में संशोधन की आवश्यकता है एक विचार
बच्चों को काम से ना रोके उन्हें हुनर सीखने दे जो पारंपरिक व्यवसाय चला आ रहा है बच्चा उसमें शामिल होता है तो उसे शामिल होने की अनुमति देना चाहिए क्योंकि उसके बड़े होने पर वही उसकी रोजी-रोटी रहेगी आज यह पारंपरिक व्यवस्था चरमरा रही है।
शेड्यूल कास्ट के हित में कई कानून बनाए और उसके कई दुरुपयोग हुए जिसमें कई लोग बिना वजह तकलीफ में आये।
महिलाओं के हित में कई कानून बने पूरे देश में या यूं कहो कि विश्व में मी टू नाम से अभियान चालू हो गया अब आप बताइए कि क्या यह सही है उन महिलाओं ने जो 10- 20 साल बाद केस दायर करने की बात कर रही है क्या वे लालची नहीं रही होगी आज वह अपने आप को शेरनी बता रही हैं उस टाइम वह क्यों बकरी बनी रही इसका मतलब यह है कि इस कानून का गलत इस्तेमाल कर रही है।
दरिंदे कानूनी की नरमी का लाभ उठाते हुए अपील पर अपील करते हुए अपने आपको लंबे समय तक बचा लेते हैं यहां कानून मे सख्ती होना चाहिए कि उनके खिलाफ जो फैसले हो गए उसके बाद उनकी अपील के रास्ते बंद कर देना चाहिए।
आरक्षण एक नियत समय तक होना चाहिए आजीवन आरक्षण की आवश्यकता नहीं है इससे दूसरों का हक मारा जाता है।
इसी प्रकार बीपीएल सरकारी आर्थिक मदद भी कुछ समय के लिए होना चाहिए आजीवन नहीं।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्)