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देश की सेहत का खजाना है मोटा अनाज

देश की सेहत का खजाना है मोटा अनाज

हमारी सेहत और खानपान को लेकर देश में चिंता व्याप्त हो रही है। एक मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक हम सभी की आधी से ज्यादा बीमारियों की वजह हमारा गलत खानपान है। देश में 56.4 बीमारियों की वजह अनहेल्दी डायट है। इसी के साथ बिगड़ी सेहत को सुधारने के लिए मोटा अनाज या श्री अन्न एक बार फिर चर्चा में आ गया है। वैज्ञानिकों का मानना है मोटे अनाज के सेवन से शरीर में अनेक बीमारियां दूर हो जाती है मोटा अनाज डायबिटीज को रोकता है कोलेस्ट्रॉल और कैंसर की रोकथाम करता है। हार्ट अटैक से रक्षा करता है। मोटा अनाज पाचन तंत्र को मजबूत करता है और मोटापे को घटाता है। अनेक औषधीय फायदों के कारण इसे सेहत का खजाना कहा गया है। प्रगति और विकास के साथ न केवल हमारी जीवनशैली बदली अपितु हमारा खान-पान भी पूरी तरह से बदल गया। चार पांच दशक पहले मोटा अनाज हमारे आहार का मुख्य घटक था । जिन अनाज को हमारी कई पीढ़ियां खाती आ रही थीं, उनसे हमने मुंह मोड़ लिया। वह भी एक समय था जब लोग हाथ चक्की में पीसे मोटे अनाज का सेवन कर स्वस्थ रहते थे। मोटे अनाज के एक नहीं अनेक फायदे है। पौष्टिक तत्वों की भरमार होने से अनेक बीमारियां दूर भागती थी। अब एक बार फिर देश का ध्यान मोटे अनाज की ओर गया है। यह अनाज देश में बहुतायत से उत्पन्न होता है। हमारे देश में आज भी घर घर में लोग गेहूं के साथ मक्के, बाजरा और चंने की रोटी पसंद करते हैं। सर्दी हो या गर्मी लोग इसे बड़े ही चाव के साथ न केवल खाते है अपितु मेहमानों की परोसगारी भी करते है। इसे मोटा अनाज कहा जाता है, जिसमें ज्वार, बाजरा, रागी, सावां, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी और कुट्टू शामिल है। सर्दी के दिनों में ठंड से शरीर को बचाने के लिए ज्वार और बाजरा खाने की सलाह भी दी जाती है। गेहूं और चावल की तुलना में मोटे अनाज में मिनरल, विटामिन, एंजाइम और इन सॉल्युबल फाइबर भी ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। मोटे अनाज को खाने से शरीर में कई पोषक तत्वों की पूर्ति होती है साथ ही यह कुपोषण से भी बचाव करेगा। मोटे अनाजों में बीटा-कैरोटीन, नाइयासिन, विटामिन-बी6, फोलिक एसिड, पोटेशियम, मैग्नीशियम, जस्ता आदि खनिज लवण भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में पैदा होने वाले मोटे अनाज में 41 प्रतिशत तक भारत में पैदा होता है। देश में सर्वाधिक बाजरा उत्पादन करने वाले राज्य राजस्थान सहित अनेक प्रदेशों में मोटे अनाज की महत्ता, उपयोगिता और पोषण गुणवत्ता को लेकर कार्यशालाएं आयोजित की जा रही है जिनके माध्यम से किसानों और आम नागरिकों में जागरूकता पैदा की जा रही है। राजस्थान का बाजरे के उत्पादन और क्षेत्रफल दोनों दृष्टि से देश में प्रथम स्थान है। देश में बाजरा क्षेत्रफल में राजस्थान का हिस्सा 57.10 प्रतिशत है वहीं उत्पादन में 41.71 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। इसी तरह राष्ट्र में ज्वार के क्षेत्रफल और उत्पादन में राज्य का तीसरा स्थान है। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक भविष्य मोटे अनाजों का है। मोटे अनाज के क्षेत्र में किसानों एवं कृषि उद्यमिता की अपार संभावनाएं हैं। अच्छे स्वास्थ्य के लिए इनकी उपयोगिता जगजाहिर है। गेहूं, चावल के मुकाबले मोटा अनाज उगाना और खाना ज्यादा सुविधाजनक है। मोटे अनाज में पोषण भी अधिक होता है, जिससे शरीर मजबूत होता है और बीमारियों से लड़ने की शक्ति मिलती है। मोटे अनाजों के उत्पादन को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ प्रसंस्करण गतिविधियों के जरिए उद्यमिता को भी बढ़ावा दिया जाए। इससे रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। भारत सरकार ने बजट में ऐलान किया कि बाजरा, कोदो, सांवा जैसे मोटे अनाज को बढ़ावे देने के लिए श्रीअन्न योजना शुरू की जाएगी। भारत मिलेट्स को लोकप्रिय बनाने के काम में सबसे आगे है, जिसकी खपत से पोषण, खाद्य सुरक्षा और किसानों के कल्‍याण को बढ़ावा मिलता है। भारत विश्‍व में श्रीअन्न का सबसे बड़ा उत्‍पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। भारत में कई प्रकार के श्रीअन्‍न की खेती होती है जिसमें ज्‍वार, रागी, बाजरा, कुट्टु, रामदाना, कंगनी, कुटकी, कोदो, चीना और सामा शामिल हैं। मोटे अनाज को सुपर फूड भी कहा जाता है। मोटे अनाज में बाजरे की रोटी, दलिया, बिस्कुट, पकौडी , लड्डू के साथ ही मकई की रोटी व घट्ठा, कोदो का भात, मिक्स अनाज का पापड़, ज्वार की खिचड़ी, चव्यनप्राश, बिस्कुट, बेकरी उत्पाद जैसे व्यंजन बनाये जा सकते है।


-बाल मुकुन्द ओझा

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