
CONGRESS आलाकमान RAJASTHAN में सुसाइड करना चाहता है !
कांग्रेस आलाकमान जिस तरह बागी नेता सचिन पायलट और उनके समर्थकों के बारे में सोच रहा है तथा उन्हें पार्टी की मूल धारा में रखने की कोशिश कर रहा है उसे देख कर लग रहा है कि आलाकमान राजस्थान में कांग्रेस की बेहतर स्थिति होने के बावजूद चुनाव हारने की रूपरेखा बना रहा है। राजस्थान में मीडिया की रिपोर्टों सर्वे रिपोर्ट तथा भाजपा से आ रही रिपोर्टों में साफ है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अगुवाई वाली सरकार दिसंबर में होने वाले आम चुनाव में वापस रिपीट हो रही है ऐसा तब है जब बागी नेता सचिन पायलट और उनके समर्थकों ने 2 साल से कांग्रेस में अपना अलग राग छेड़ रखा है सरकार के कामकाज की मुखालात कर रहे हैं सरकार पर आक्षेप लगा रहे हैं सरकार के खिलाफ रैली धरने प्रदर्शन कर रहे हैं इन सबके बावजूद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी सरकार के कामकाज की बदौलत राजस्थान में कांग्रेस के पक्ष में प्रचंड लहर चला रखी है बजट के उपरांत जिस तरह राजस्थान में महंगाई राहत कैंप चलाए जा रहे हैं और आम आदमी को सीधी राहत देने की सरकार कोशिश कर रही है इसके बाद तो कांग्रेस के पक्ष में लहर चल चुकी है। सचिन पायलट के बारे में स्पष्ट हो चुका है कि वह कांग्रेस को छोड़ेंगे अपनी अलग पार्टी भी बना सकते हैं अथवा किसी अन्य राजनीतिक दल का पल्ला भी पकड़ सकते हैं, ढाई वर्ष पूर्व सरकार गिराने के लिए वे हरियाणा के मानेसर भी चले गए थे लेकिन उनके साथ 19 विधायक होने के कारण उनकी योजना फेल हो गई एक माह पश्चात वे वापस राजस्थान लोटे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तब आलाकमान को सबूत दे दिए थे कि बगावत करने वालों ने अमित शाह से पैसे लिए हैं अभी गहलोत कह रहे हैं कि अमित शाह के पैसे लौटा दो वरना वह परेशान करेगा यदि पैसे खर्च हो गए हैं तो पार्टी आलाकमान को बता दो वह लौटा देगा।
राजस्थान में कैसे आएगी कांग्रेस .. खास रिपोर्ट
सचिन पायलट ने राजस्थान प्रगतिशील कांग्रेस के नाम से पार्टी का रजिस्ट्रेशन भी करा रखा है जिसका चुनाव चिन्ह ट्रैक्टर है यदि वह पार्टी बनाएंगे तो इसी नाम से आगे बढ़ेंगे लेकिन पॉलिटिकल एज नामक एक कंपनी से सर्वे कराने के बाद पायलट डरे हुए हैं क्योंकि सर्वे कंपनी ने बहुत कम सीटें बताई है इसलिए भाजपा नेता किरोड़ी लाल मीणा को भी पायलट साथ लेने की कोशिश कर चुके हैं परंतु वे हिले नहीं कांग्रेस सरकार के खिलाफ 1 दिन का अनशन जयपुर में करने के बाद पायलट ने अजमेर से जयपुर तक 5 दिन की यात्रा भी निकाली है वर्तमान में सरकार को 3 सूत्रीय मांगों को लेकर अल्टीमेटम भी दे रखा है 19 जून से उनकी प्रस्तावित रथयात्रा की तैयारी भी है लेकिन दूसरी और वे आलाकमान से बातचीत भी कर रहे हैं आलाकमान को उन्होंने चेताया है कि शिकंजी बना पाया ना बना पाए लेकिन दूध को फाड़ने की क्षमता रखते हैं उनकी इस बात को कुछ कांग्रेसी वजन दे रहे हैं तो कुछ गहलोत विरोधी नेता आलाकमान को डरा रहे हैं लेकिन हकीकत यह है कि सचिन पायलट और गहलोत के समर्थकों के बीच इतना मनमुटाव हो चुका है कि दोनों एक साथ नहीं रह सकते, सचिन पायलट 200 में से 100 टिकट मांग रहे हैं जो नामुमकिन लग रहा है वह पार्टी अध्यक्ष बनना चाहते हैं, चुनाव बाद मुख्यमंत्री का वादा चाहते हैं।

ऐसे में तय है कि पायलट पार्टी में रहकर ज्यादा नुकसान कर सकते हैं, पार्टी से बाहर होकर उतना नुकसान नहीं कर सकते। फिर यह बात भी नहीं भूलनी चाहिए कि अशोक गहलोत ने विषम परिस्थितियों में पायलट की गद्दारी के बावजूद सरकार को बचाए रखा सरकार की छवि अच्छी रखी और सरकार रिपीट होने की इस स्थिति में ले आए अब पायलट आकर पार्टी में पंचायत करें यह ना तो गहलोत बर्दाश्त करेंगे ना दूसरे वफादार कांग्रेसी। फिर भी मान लिया जाए कि सब सचिन पायलट को कांग्रेसमें एडजस्ट करने को तैयार हो जाए तो इस बात की क्या गारंटी कि चुनाव बाद विधायक पायलट के पक्ष में ना हुए तो पायलट फिर बगावत करके मानेसर नहीं जाएंगे। पायलट में मुख्यमंत्री बनने का जुनून इस कदर सवार है कि वह इसके लिए कुछ भी कर सकते हैं। इसलिए आलाकमान को पायलट के बारे में तुरंत फैसला लेते हुए उन्हें बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए यदि इसमें विलंब किया जा रहा है अथवा पायलट को मूल धारा में लाने की कोशिश की जा रही है तो स्पष्ट संकेत है कि कांग्रेस आलाकमान राजस्थान में सुसाइड करना चाहता है और ऐसा करने पर उसे सुसाइड करने से कोई नहीं रोक सकता।
