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कोटा केयर्स के तहत जिला कलक्टर डॉ.रविन्द्र गोस्वामी ने किया संवाद छात्रों से संवाद

कोटा केयर्स के तहत जिला कलक्टर डॉ.रविन्द्र गोस्वामी ने किया संवाद छात्रों से संवाद

कोटा। जिला प्रशासन के कामयाब कोटा एवं कोटा केयर्स अभियान के तहत जिला कलक्टर डॉ. रविन्द्र गोस्वामी ने सोमवार को जवाहर नगर स्थित एलन समुन्नत कैम्पस में स्टूडेंट्स से संवाद किया। उन्होंने स्टूडेंट्स को नीट परीक्षा में आए अब तक के सबसे कठिन प्रश्नपत्र और आगे की तैयारी के बारे में समझाया। सेशन के बाद कुछ स्टूडेंट्स और पेरेन्ट्स भी डॉ.गोस्वामी से मिले और उन्हें नीट परीक्षा में टफ पेपर के बारे में बताया। इस पर डॉ. गोस्वामी ने उन्हें समझाया और कहा कि यदि पेपर टफ था तो कटऑफ भी डाउन होगी। कम्पीटिटिव एग्जाम्स की यही खासियत है।
इससे पूर्व क्लास में उन्होंने स्टूडेंट्स को ओवर थिंकिंग, सेल्फ डाउट और एनजाइटी के बारे में समझाते हुए कहा कि नीट का पेपर टफ आया लेकिन ये सिर्फ एक स्टूडेंट के लिए टफ नहीं आया ये सभी के लिए टफ आया तो जो भी होगा वो सभी के साथ होगा। पहले पूरे में से पूरे नम्बर कई स्टूडेंट्स के आए लेकिन इस वर्ष हो सकता है ऐसा नहीं हो। कटऑफ डाउन होगी।
अब बात ऐसी परीक्षा के लिए तैयार होने की तो हमें हमारी कमजोरी ढूंढनी चाहिए और फिर उसे स्वीकार करना चाहिए। आपका सब कॉशियस माइंड कृष्ण हैं और कॉंशियस माइंड अर्जुन है। अर्जुन सच बोलता है कि मैं नहीं लड़ सकता, मैं युद्ध से भागता हूं, कृष्ण उन्हें जीतने के लिए डटे रहने की बात कहते हैं। ऐसे समय में पेपर से डरना नहीं है, उसे हल करने के लिए और अधिक मजबूत होना है। अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदारी से मेहनत करते हुए अपनी कमजोरियों को दूर करें।
उन्होंने कहा कि सेल्फ डाउट दिमाग का मैकेनिज्म है जो हमें अवेयर रखता है। हम जिस चीज को इंर्पाेटेंस देते हैं दिमाग उसको बार-बार क्रॉस चौक करता है। यह अच्छा है लेकिन ज्यादा नहीं हो। जब हम बातों को जनरलाइज कर लेते हैं तो ओवर थिंकिंग में नहीं जाते। ओवर थिंकिंग सबकी समस्या है, इससे बाहर आने के लिए मैं पहले तो स्वीकार कर लेता हूं कि मैं ओवरथिंक कर रहा हूं, फिर उस टॉपिक को लिखता हूं जिस टॉपिक पर ज्यादा सोच रहा हूं। फिर खुद को मैसेज करता हूं और डिलिट कर देता हूं। कागज पर लिखता हूं तो फाड़ देता हूं। ऐसा करने से वो विषय खत्म हो जाता है।
डॉ.रविन्द्र गोस्वामी ने कहा कि मोबाइल हमारा शत्रु है। जब पढ़ाई करते हैं तो ध्यान में आता है कि कोई रील मिस तो नहीं हो गई, जब रील देख रहे होते हैं तो पछतावा होता है कि पढ़ाई करते तो अच्छा रहता। इस अपराधबोध से बचने के लिए हमें दोनों का समय निर्धारित करना चाहिए। जब पढ़ाई करें तो सिर्फ पढ़ाई में ही ध्यान हो और जब रील देखेंगे तो पूरे ध्यान से ही देखेंगे।
उन्होंने कहा कि पढ़ाई में मन लगाओ, यदि पढ़ाई में मन लग रहा है तो आप थकोगे नहीं, आपको मजा आएगा, जो काम करना चाहते हो यदि वो ही कर रहे हो तो फिर वो नौकरी नहीं जिंदगी है, शरीर थक सकता है दिमाग नहीं और हमेशा नई ऊर्जा में खुद को महसूस करते हैं।

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