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प्रतापगढ़. जिला कलक्टर डॉ. इंद्रजीत यादव की अध्यक्षता में राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम पर मल्टी सेक्टोरल एन्गेजमेंट के लिए जिला स्वास्थ्य समिति की जिला स्तरीय बैठक का आयोजन मिनी सचिवालय परिसर में बुधवार को किया गया। ला कलक्टर यादव ने कहा की सभी अधिकारी विभाग अपने-अपने कार्यालय में टीबी सम्बंधित जागरुकता के लिए प्रयास करें व लक्षणों की जानकारी ले, यदि लक्षण पाया जाता है तो उनकी जांच करें, यदि व्यक्ति टीबी से ग्रसित है तो सतत उपचार उप्लब्ध करवाये। बैठक में टीबी के लक्षणों, उपचारों व कार्यक्रम के बारे में अधिकारियों के साथ चर्चा की गई। ठक में टीबी रोगियों के सतत व अबाधित उपचार करने पर चर्चा की गई। साथ ही टीबी के उपचार के साथ पोषण का ध्यान रखने, टीबी मरीज के चिकित्सालय तक पहुंचने व नियमित उपचार उप्लब्ध करवाने, उच्च जोखिम वाली जनसंख्या में टी.बी. के रोगियों का पता लगाने व टीबी मुक्त वर्कप्लेस पोलिसी जिसमें मरीज की अनामिकता बनाये रखना भी शामिल है आदि के बारे में चर्चा की गई। टीबी रोधी उपचार के लिए उपचार की पूरी अवधि के लिए पौष्टिक आहार उपलब्धता के लिए प्रोत्साहन राशि उप्लब्ध करवाने के लिए निक्षय पोषण योजना भी संचालित है। ठक में उपवन संरक्षक सुनील कुमार, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. वीडी मीणा, जिला कोषाधिकारी जितेन्द्र कुमार, सामाजिक न्याय व आधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक डाॅ. टीआर आमेटा सहित अन्य जिला स्तरीय अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे।
क्या है तपेदिक (टीबी)
तपेदिक (टीबी) बैक्टीरिया (मायकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस) के कारण होने वाला एक संचारी (संक्रामक) रोग है, जो कि फेफड़ो को प्रभावित करता है, लेकिन यह अन्य हिस्सों (एक्सट्रा पल्मोमनरी टीबी) को भी प्रभावित करता है। टी.बी. एक संक्रामक रोग है जो एक इंसान से दूसरे इंसान में खांसी, छींकने या थूकने के दौरान हवा के जरिए या फिर संक्रमित सतह को छूने से फैलता है। इस बीमारी में रोगी के बलगम और खून के साथ खांसी, सीने में दर्द, कमजोरी, वजन का कम होना और बुखार के लक्षण देखे जा सकते हैं। तपेदिक उपचार और निवारण योग्य है।
 
                                                                        
                                                                    