अब मनरेगा को गोचर से जोड़ने का काम शुरू, देशी बछड़ों के मेलों की भी सरकार लेगी सुध ,
पदमपुर . अभिनव राजस्थान पार्टी पिछले कई बरसों से बेसहारा भटकते बछड़ों और सांडों के लिए संघर्ष कर रही है. पार्टी चाहती है कि गोचर भूमि को मनरेगा से जोड़कर गौवंश को उनका वाजिब अधिकार दिया जाये ताकि वे इस धरती पर सम्मानपूर्वक जीवन जी सके. पार्टी ने इसके लिए लगातार आन्दोलन किये हैं, धरने प्रदर्शन किये हैं और अधिकारियों को अनेक पत्र लिखे हैं. अब जाकर राजस्थान सरकार ने पार्टी की बात को माना है और इस वर्ष 2023-24 के बजट में 600 करोड़ रूपये से तीन हजार हेक्टेयर गोचर भूमि में विकास कार्य करवाए जायेंगे. राजस्थान में लगभग 17 लाख हेक्टेयर जमीन गायों के नाम गोचर के रूप में आरक्षित है. इस भूमि में से कुछ हिस्से पर अतिक्रमण है जबकि अधिकतर भूमि में अंग्रेजी बबूल हैं या यह एकदम बंजर पड़ी है या इस पर जानवरों के लिए अनुपयोगी वनस्पति उगी हुई है. इस भूमि का विकास करके इसमें चारे, पानी और छाया का प्रबंध किया जाए तो बेसहारा भटकते गौवंश की समस्या का स्थाई समाधान हो जायेगा. ऐसा होने पर जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में सहयोग मिलेगा और जैविक खेती को भी प्रोत्साहन मिलेगा.
इस बारे में अभिनव राजस्थान पार्टी ने मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, पशुपालन सचिव, राजस्व सचिव और ग्रामीण विकास सचिव को कई पत्र लिखे हैं. विशेषकर मुख्य सचिव से इन सभी विभागों का समन्वय करने का आग्रह किया है. अब इस कार्रवाई का असर हुआ है और सरकार ने काम शुरू कर दिया है.हालांकि अभी बड़े स्तर पर काम होना बाकी है. शराब और रजिस्ट्री पर लिए जाने वाले काऊ सेस और मनरेगा की राशि का सदुपयोग इस काम के लिए हो तो इस समस्या का समाधान जल्दी हो जायेगा.
इसके साथ ही अभिनव राजस्थान पार्टी की तरफ से देशी नस्ल के बछड़ों के राज्य से बाहर निर्यात को लेकर भी लम्बे समय से सरकार से पत्र व्यवहार किया जा रहा है. सरकार की तरह से बार बार मामला दिल्ली में अटका होने का हवाला दिया जा रहा था. सूचना के अधिकार के उपयोग से भी पार्टी ने हकीकत जानने का कई बार प्रयास किया है. भारत सरकार को भी इस समस्या से अभिनव राजस्थान पार्टी ने अवगत करवाया है. भारत सरकार को अभिनव राजस्थान पार्टी द्वारा लिखे गए पत्रों का असर हुआ है और अब राष्ट्रपति ने इस बारे में बने कानून में संशोधन की अनुमति दे दी है. अब सरकार राजस्थान गौवंशीय पशु अधिनियम, 1995 में संशोधन करके दो वर्ष की उम्र पूरी करने वाले बछड़ों के दूसरे राज्यों में ले जाने को अनुमति दे सकेगी. ऐसा होने पर बछड़ों का बेसहारा भटकना रुकेगा और पशुपालकों की आमदनी भी बढ़ेगी. साथ ही राजस्थान खासकर नागौर की एक धरोहर भी बचेगी.
(गौवंश के बेसहारा भटकने को मैं राजस्थान के समाज और सरकार के माथे पर एक कलंक समझता हूँ. हम कितना ही आँखें मूँद लें, पर इनकी बददुआएं हमको लगती हैं. गलियों और सड़कों पर गन्दगी और प्लास्टिक खाते हुए गौवंश को देखना बहुत पीड़ादायक होता है. यह भी उस राजस्थान में, जहाँ अनेक लोकदेवता गौवंश की रक्षा के लिए अपना बलिदान दे गए. उन लोकदेवताओं की आत्माओं को इन्हें इस हाल में देखकर बहुत कष्ट होता है. हमारी पार्टी इस मुद्दे को अंजाम तक पहुंचाकर दम लेगी और गौवंश को उनका वाजिब हक़ और इज्जत दिलवाएगी.हरविन्द्र सिंह बराड़ स्टेट काऊंसिल सदस्य ने यह जानकारी दी