
दुनियाभर में बढ़ रही जंगलों में आग की घटनाएं
दक्षिणी अमेरिकी देश चिली के जंगलों में आग से लगभग सवा सौ लोगों की अकाल मृत्यु का
समाचार विचलित कर देने वाला है। चिली में दो दिन के राष्ट्रीय शोक का ऐलान भी हुआ है।
देश और दुनिया में जलवायु परिवर्तन और अन्य मानव जनित कारणों से वनों में आग लगने
की घटनाएं तीन गुना से अधिक बढ़ गई हैं। बढ़ते तापमान से आग लगने की घटनाएं भी बढ़
जाती हैं। ग्रीष्म ऋतु में जंगलों में आग लगने की घटनाओं में तेजी से इजाफा होने लगा है।
आग के चलते पेड़ पौधों के साथ जंगली जानवर मौत के शिकार हुए वहां भूमि भी बंजर हो
गयी। ताजा संकट चिली में देखने को मिल रहा है जहां भीषण आग ने लोगों का जीवन अस्त-
व्यस्त कर दिया है। यह चिली में लगी सबसे बड़ी आग में से एक है, जिसका कारण हीटवेव
बताया जा रहा है। गर्मी के महीनों के दौरान अक्सर जंगल की आग की चपेट में आ जाता है।
चिली के मध्य और दक्षिण क्षेत्र में 92 जंगलों में आग लगी है। बड़ी चिंता यह है कि आग घनी
आबादी वाले क्षेत्रों की ओर फैल रही है। इस कारण लोगों, घरों और सुविधाओं के प्रभावित करने
की बहुत अधिक आशंका है। चिली में गर्मियों के दौरान जंगल की आग आम बात है। पिछले
साल यहां रिकॉर्ड गर्मी के दौरान लगी आग में 27 लोगों की मौत हो गई और 400,000 हेक्टेयर
से अधिक भूमि प्रभावित हुई थी। स्थिति भयानक होने के कारण चिली के राष्ट्रपति ने देश में
इमरजेंसी का ऐलान किया है। इस सप्ताह के अंत में चिली का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस
पहुंच गया था, जिससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. तापमान बढ़ने से आग
और बढ़ने लगा।
यूरोपियन फॉरेस्ट फायर इंफॉर्मेशन सिस्टम ने 19 देशों को जंगलों की आग के लिए बेहद
संवेदनशील, वहीं स्पेन, पुर्तगाल, ग्रीस और फ्रांस को एक्सट्रीम डेंजर मे बताया। इनके अलावा
मोरक्को, अमेरिका, कनाडा दुनिया के वे हिस्से हैं, जहां जुलाई से सितंबर के बीच लगातार
जंगलों में भीषण आग से तबाही मची रहती है। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के कारण दुनिया के
विभिन्न देश प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर रहे हैं। देश और दुनिया में जलवायु परिवर्तन
और अन्य मानव जनित कारणों से वनों में आग लगने की घटनाएं तीन गुना से अधिक बढ़ गई
हैं। इसकी वजह है पृथ्वी का गर्म होना। जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है, पेड़ सूखने लगते हैं और
उनमें आग लगने का खतरा बढ़ जाता है। ग्लेशियर और बर्फ की चादरें एक ही समय में
पिघलती हैं, जिससे जंगल लंबे समय तक सूखे रहते हैं। आने वाले वर्षों में जंगल की आग और
अधिक आम हो जाएगी क्योंकि तापमान और ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि जारी रहेगी। तापमान में
वृद्धि से जंगल में वनस्पति और वन्य जीवन दोनों प्रभावित होंगे। गर्मी और पानी की कमी
जंगल की आग और भी अधिक प्रभावित करेगी। जंगल में आग लगने के कई कारण होते हैं।
इनमें ईंधन, ऑक्सीजन और गर्मी मुख्य है। अगर गर्मियों का मौसम है, तो सूखा पड़ने पर ट्रेन
के पहिए से निकली एक चिंगारी भी आग लगा सकती है । इसके अलावा कभी-कभी आग
प्राकृतिक रूप से भी लग जाती है। ये आग ज्यादा गर्मी की वजह से या फिर बिजली कड़कने से
लगती है। जंगलों में आग लगने की ज्यादातर घटनाएं इंसानों के कारण होती हैं, जैसे आगजनी,
कैम्पफायर, बिना बुझी सिगरेट फेंकना, जलता हुआ कचरा छोड़ना, माचिस या ज्वलनशील चीजों
से खेलना आदि। जंगलों में आग लगने के मुख्य कारण बारिश का कम होना, सूखे की स्थिति,
गर्म हवा, ज्यादा तापमान भी हो सकते हैं। इन सभी कारणों से जंगलों में आग लग सकती है।
जंगलों में आग से करोड़ों अरबों की वन संपदा खाक हो जाती है। पेड़ पौधों के साथ जंगली
जानवर मौत के शिकार होते है वहां भूमि भी बंजर हो जाती है।
जंगलों में लगी आग से जान-माल के साथ-साथ पर्यावरण को भारी नुकसान होता है। पेड़-पौधों के साथ-साथ
जीव-जन्तुओं की विभिन्न प्रजातियां जलकर राख हो जाती हैं। जंगलों में विभिन्न पेड़-पौधे और जीव-जन्तु
मिलकर समृद्ध जैवविविधता की रचना करते हैं। पहाड़ों की यह समृद्ध जैवविविधता ही मैदानों के मौसम
पर अपना प्रभाव डालती हैं। दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि ऐसी घटनाओं के इतिहास को देखते हुए भी कोई ठोस
योजना नहीं बनाई जाती है।
- बाल मुकुन्द ओझा