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सत्य और अहिंसा के पुजारी थे गांधी

सत्य और अहिंसा के पुजारी थे गांधी

महात्मा गांधी की 76वीं पुण्यतिथि आज देश और दुनिया में शहीद दिवस के रूप में मनाई जा रही है।
महात्मा गांधी की 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हर साल इस दिन राष्ट्रपति,
उप-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और तीनों सेना के प्रमुख राजघाट स्थित महात्मा गांधी की समाधि पर
उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं। सेना के जवान भी उनके सम्मान में श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए अपने हथियार को
नीचे झुकाते हैं और पूरे देश में गांधीजी समेत अन्य शहीदों को भी याद कर दो मिनट का मौन रखा जाता है।
स्कूलों में इस दिन कार्यक्रम होते हैं जिसमें छात्र देशभक्ति के गीतों को व नाटकों का प्रदर्शन करते हैं। आज
भी देश और दुनिया में वंचित, शोषित और पीड़ित समुदाय अपने अधिकारों के संघर्ष के लिए महात्मा गांधी
के बताये आंदोलन की राह पर चलकर अपना हक हासिल करते हैं। यह गाँधी के विचारों की सबसे बड़ी जीत
है।
आजादी के 76 वर्षों के बाद नई पीढ़ी के मन में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि देश को शांति और अहिंसा
के मार्ग पर ले जाने वाले गाँधी के विचारों की हत्या किसने की। झूठी सौगंध खाने वाले लोग कौन है और
उनके मनसूबे क्या है। गोडसे के नाम की ताली हम कब तक पीटते रहेंगे। आखिर देश गाँधी के बताये मार्ग
से क्यों भटका। आज सम्पूर्ण विश्व भारतवासियों से पूछ रहा है कि संसार को अहिंसा का पाठ पढा़ने वाले
बापू के देश में बात बात पर मार काट क्यों मच रही है। हमें इस पर गहराई से चिंतन और मनन करने की
जरूरत है। शहीद दिवस के मौके पर हम देश के लिए अपनी जान गंवाने वाले शहीदों को याद करते हैं। साथ
ही हम उन महान पुरुषों को भी याद करते हैं जिन्होंने देश को आजाद कराने के लिए अपना बलिदान दिया।
सच तो यह है कि शहीद दिवस पर हम कश्मे खाते है उनके पदचिन्हों पर चलने की मगर हमारा आचरण
इसके सर्वथा विपरीत होता है। आज सम्पूर्ण देश में शहीद दिवस मनाया जाता है। अब यह भी कागजी हो
गया है। कश्मीर की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। पाकिस्तान छद्म युद्ध पर उतारू है और चीन की
हरकतें भी जग जाहिर है। ऐसे में अहिंसा की बाते बेमानी हो गयी है।
30 जनवरी का दिन भारत के लिए काफी मायने रखता है। क्योंकि आज के दिन गांधी की गोली मारकर
हत्या कर दी गई थी। महात्मा गांधी त्याग और बलिदान की मूर्ति थे। सादा जीवन और उच्च विचार उनका

आदर्श था और वे भारतीय जनमानस में सदैव प्रेरणा के स्त्रोत रहेंगें। अहिंसा और सादगी राष्ट्रपिता महात्मा
गांधी के व्यक्तित्व के प्रमुख अलंकार थे। उनके ये दोनों गुण आज भी आमजन को एक गौरवशाली जीवन
की प्रेरणा देते हैं।
एक गांधी जी थे जिन्होंने सत्य ओर अहिंसा का पाठ पढ़ाया, आत्मविश्वास ओर आत्मनिर्भरता से जीना
सिखाया। आज के दिन हमें उनके बतायें मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी
ने सादगी, सच्चाई और अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश की आजादी के आंदोलन में अपनी ऐतिहासिक और
निर्णायक भूमिका निभाई। उन्होंने देश को स्वावलम्बन के रास्ते पर चलने की प्रेरणा दी और ग्राम स्वराज
के साथ-साथ सुशासन और सुराज का भी मार्ग दिखाया। आज देश और दुनिया में युध्द, नक्सलवाद,
आतंकवाद हिंसा और प्रतिहिंसा के बादल मंडरा रहे हैं, ऐसे युद्धोन्मादी दौर में गांधी के आदर्श और सिध्दांत
सबके लिए और भी ज्यादा प्रासंगिक हो गए हैं।

 -   बाल मुकुन्द ओझा 

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