
आकंठ तुष्टीकरण में डूबी है गहलोत सरकार : शेखावत
पचपदरा में दलित महिला को बलात्कार के बाद जलाकर मारने की घटना पर बोले केंद्रीय जलशक्ति मंत्री
कहा, अपराधी मुस्लिम, इसलिए तत्काल मुकदमा दर्ज नहीं किया, उस अस्पताल में पीड़िता को रखा, जहां बर्न यूनिट नहीं
जोधपुर/जयपुर । बाड़मेर जिले के पचपदरा में दलित महिला को बलात्कार के बाद थिनर से जलाने की घटना पर केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने राजस्थान सरकार पर तीखा हमला बोला। शेखावत ने आरोप लगाया कि अपराधी मुस्लिम है, इसलिए तत्काल मुकदमा दर्ज नहीं किया गया। यह सरकार आकंठ तुष्टीकरण में डूबी हुई है।
शनिवार को अपनी प्रतिक्रिया में केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि राजस्थान में जिस तरह के हालात पिछले साढ़े चार साल से हैं। यह राजस्थान में कोई पहली घटना नहीं है। यह घटना हृदय विदारक और वीभत्स है। एक दलित महिला के घर पर एक मुस्लिम व्यक्ति दिनदहाड़े घुसता है और बलात्कार करता है। महिला द्वारा प्रतिरोध करने और हल्ला मचाने पर पड़ोस की महिलाएं आती हैं तो आरोपी पीड़िता पर थिनर या केमिकल डालकर आग लगाकर उसकी हत्या का प्रयास करता है।
शेखावत ने कहा कि एकत्रित लोगों की सूचना पर तुरंत पीड़िता को अस्पताल ले जाया जाता है, लेकिन दुर्भाग्य और दुर्भाग्य का कलंक समाप्त नहीं होता, बल्कि वहां से प्रारंभ होता है, क्योंकि हनुमान जयंती का दिन है, अपराधी एक मुस्लिम है, सरकार अपराधी और अपनी इज्जत को बचाने के लिए मुकदमा दर्ज नहीं करती, क्योंकि यह सरकार आकंठ तुष्टीकरण में डूबी हुई है। उदयपुर के कन्हैयालाल हत्याकांड से लेकर इस घटना से एक बार फिर यह सिद्ध हुआ है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 24 घंटे तक पीड़िता को बालोतरा के उस अस्पताल रखा जाता है, जिसमें बर्न यूनिट नहीं है। बर्न का कोई चिकित्सक नहीं है। अस्पताल में बिना मुकदमा दर्ज किए पीड़िता को रखा जाता है। फिर 24 घंटे बाद उसे जोधपुर रेफर किया जाता है, जहां पीड़िता की दर्दनाक मृत्यु हो जाती है, क्योंकि उसको सही समय पर इलाज नहीं मिल सका। उन्होंने कहा कि एक दलित महिला, जिसके साथ में न केवल बलात्कार हुआ, अपितु सिस्टम ने उसके साथ अनाचार और बलात्कार करने में कोई कमी नहीं रखी है।
*बेटियां घर से बाहर निकलने में घबराती हैं*
सख्त शब्दों में शेखावत ने कहा कि अशोक गहलोत साहब की सरकार जिस दिन से अस्तित्व में आई है, उस दिन से राजस्थान में महिलाओं की इज्जत खतरे में है। घर से बाहर निकलने में बेटियां घबराती हैं और जब घर से बाहर बिटियां जाती हैं तो घर में मां-बाप इस डर के साए में जीने को मजबूर हो रहे हैं कि कब, कहां और क्या अनहोनी उनके साथ में घटित हो जाए।