केंद्र सरकार पर गहलोत ने कसा तंज ,कहा-जातिगत जनगणना की तारीख बताए सरकार
जयपुर। पूर्व सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने जातिगत जनगणना और पहलगाम पर सरकार के स्टेंड का समर्थन करते हुए इसकी तारीख बताने से लेकर पर पूरी तस्वीर साफ करने को कहा है। गहलोत ने पहलगाम पर बहस और बयानबाजी नहीं करने की नसीहत देते हुए कहा है कि इस मुद्दे पर जब सरकार और पीएम को विपक्ष ने फ्री हैंड दिया है। बाकी लोगों को बहस और कमेंट करने की जरूरत नहीं है।
गहलोत ने कहा की अब सरकार को आगे कदम उठाना चाहिए, जातिगत जनगणना को लेकर सब कुछ साफ हो। इससे आम आदमी को मालूम चले कि सरकार की मंशा क्या है? ये जनगणना में देरी क्यों कर रहे हैं? 2021 में जनगणना होनी चाहिए थी, बार-बार उसे टाल रहे हैं। मैं केंद्रीय बजट के आंकड़े देख रहा था, बजट में जनगणना के लिए 600 करोड़ रुपए रखे गए हैं। उससे जनगणना नहीं होने वाली है। सरकार को तत्काल जनगणना के लिए पर्याप्त बजट आवंटित करना चाहिए और क्लेरिटी हो कि किस तारीख से कब जनगणना शुरू होगी? कितना वक्त लगेगा और उसके बाद क्या-क्या स्टेप उठाएंगे?
गहलोत ने कहा की राहुल गांधी बार-बार जिस आत्मविश्वास से जातिगत जनगणना पर बोल रहे थे, उसका सरकार पर जबरदस्त दबाव पड़ा। आखिर में उस पर फैसला करना पड़ा। जातिगत जनणना करवाने के फैसले पर देर आए,दुरुस्त आए। यह तो एक स्टेप है। अब आगे आरक्षण पर 50% राइडर खत्म करने की बात भी राहुल गांधी कह रहे हैं, अब आरक्षण की 50% की सीमा भी खत्म हो।
गहलोत ने कहा की सरकार ने बहुत बड़ा फैसला किया, अब अपने आप किया है। मजबूरी में किया है, करना पड़ा है, वह अलग बात है। क्योंकि यही लोग कहते थे कि कांग्रेस समाज को बांटने का काम कर रही है। जब कांग्रेस लगातार जातिगत जनगणना की बात उठा रही थी, तब आरएसएस और बीजेपी लगातार कांग्रेस पर आरोप लगा रहे थे कि आप जातियों को बांट रहे हो। इसलिए मांग रहे हो, जो नहीं होने वाला है। फिर आखिर में हो गया इसके मायने है कि जो जबरदस्त जवाब पड़ा उसका असर सबको देखने को मिल रहा है, यह मेरा मानना है। गहलोत ने कहा की मेरा मानना है कि वैज्ञानिक तरीके से जातिगत जनगणना होकर न्याय मिलना चाहिए। इस तरह तेलंगाना सरकार ने किया है, स्टेप बाय स्टेप कदम उठाए हैं। तेलंगाना एक तरह से मॉडल बन गया है। भारत सरकार को तेलंगाना के पैटर्न का अध्ययन करना चाहिए ताकि आसानी हो जाए।
गहलोत ने कहा की 75 साल बाद भी अगर हमारे एससी, एसटी और ओबीसी के भाइयों को उनका हक नहीं मिला तो उस पर काम होना चाहिए। 75 साल बाद में अगर उनकी कोई जगह ही नहीं है तो कब तक बर्दाश्त करेंगे? सामाजिक सद्भावना देश में बनी रहे, जाति धर्म और आम लोगों में भाईचारा बना रहे। यह देश की ताकत होगी तो हम मुकाबला किसी से भी कर सकते हैं। दुनिया में हमारा दुश्मन देश है, उससे तभी मुकाबला कर पाएंगे। जब 1971 का पाकिस्तान से युद्ध हुआ तो पूरा देश एकजुट था।
पहलगाम वाले मामले में सरकार को फ्री हैंड दिया तो फिर बयानबाजी क्यों ? गहलोत ने कहा की पहलगाम आतंकी घटना के बाद प्रधानमंत्री मोद को राहुल गांधी ने कहा पूरा विपक्ष आपके साथ है, आप फैसला कीजिए। मेरा व्यक्तिगत मानना है कि इसमें बाकी लोगों को बहस करने या कमेंट करने की जरूरत नहीं है। विपक्ष कह चुका है की सरकार और प्रधानमंत्री निर्णय करें और वह सोच समझकर निर्णय करें, उसमें हम लोग बहस, कमेंट करेंगे वह उचित नहीं मानता। क्योंकि इतना बड़ा निर्णय करना है कि हम आतंकवाद को किस तरह नेस्तनाबूद करेंगे। यह एक बहुत बड़ा चैलेंज होता है। यह मामूली बात नहीं है। सोच समझकर निर्णय करना पड़ेगा। इससे कि हमारे देश के हित सुरक्षित रहे। पहले काम यह होना चाहिए। मैं समझता हूं इसके लिए एनडीए सरकार और मोदी जी को विपक्ष ने फ्री हैंड दिया है कि वे फैसला करें। ये दो घटनाएं है जिनमें विपक्ष ने सरकार का पूरा साथ दिया है। पहलगाम के बाद जो भी कदम उठाना है साकार उठाए विपक्ष साथ है। अब जातिगत जनगणना के फैसले का भी स्वागत किया है। सरकार को इसमें आगे बढ़ना चाहिए।