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आत्महत्या रोकने के लिए कोटा के छात्रावासों की बालकनी में जाल लगाए गए

आत्महत्या रोकने के लिए कोटा के छात्रावासों की बालकनी में जाल लगाए गए

कोचिंग का केंद्र कहे जाने वाले कोटा के छात्रावासों में आत्महत्या की घटनाओं को रोकने के लिए एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है जिसके तहत यहां बालकनियों और लॉबी में जाल लगाए जा रहे हैं। छात्रावास मालिकों ने बताया कि वे इस तरह की दुखद घटनाओं से बचने के लिए अपने परिसर को ‘आत्महत्या रोधी’ बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। इससे पहले पंखों में स्प्रिंग उपकरण लगाने का कदम भी उठाया गया था। अधिकारियों के अनुसार, इस साल कोटा में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे 20 छात्रों ने आत्महत्या कर ली जो कि अब तक किसी भी वर्ष में हुई सर्वाधिक घटनाएं हैं, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 15 था।आठ मंजिलों में 200 से अधिक कमरों वाले बालिकाओं के छात्रावास ‘विशालाक्षी रेजीडेंसी’ के मालिक विनोद गौतम ने कहा, ‘‘हमने सभी लॉबी और बालकनियों में बड़े-बड़े जाल लगाए हैं ताकि छात्राएं ऊंची मंजिल से कूदें तो उन्हें रोका जा सके। ये जाल 150 किलोग्राम तक वजन सह सकते हैं और इनसे कोई घायल भी नहीं होगा।’’ एक अन्य हॉस्टल मालिक ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि सभी लॉबी, खिड़कियों और बालकनियों में लोहे की जाली लगाई गई हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ज्यादातर छात्र या तो पंखे से लटककर या ऊंची इमारत या छत से कूदकर आत्महत्या करते हैं। हमने किसी भी घटना से बचने के लिए दोनों तरह के उपाय किए हैं। इस तरह की घटनाओं से व्यवसाय भी प्रभावित होता है क्योंकि आत्महत्या की घटना के बाद छात्र उस छात्रावास से अन्य छात्रावास में स्थानांतरित होने लगते हैं।’’ उपायुक्त ओपी बुनकर ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हम बच्चों के नियमित मनोवैज्ञानिक परीक्षण से लेकर माता-पिता के साथ लगातार बातचीत करने जैसे कई उपाय कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, पंखे में स्प्रिंग उपकरण लगाने जैसे उपाय किसी छात्र द्वारा किए गए ऐसे प्रयास को विफल करने में सहायक हो सकते हैं।
अगर एक बार जब वह प्रयास में असफल हो जाता है, तो छात्रों को परामर्श देना आसान हो जाता।’’ ‘आत्महत्या विरोधी उपाय’ के तहत पंखों में स्प्रिंग उपकरण लगाने को लेकर 12 अगस्त को कोटा के अधिकारियों और अन्य हितधारकों के बीच एक बैठक में चर्चा की गई थी। बाद में उपायुक्त ने निर्देश जारी कर सख्ती से इसका पालन करने के लिए कहा था। इंजीनियरिंग के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) और मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए हर साल दो लाख से अधिक छात्र कोटा आते हैं।

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