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फ्रेस्को, जयपुर ब्लू पॉटरी एवं श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोक शिविर के मुख्य आकर्षण
जयपुर: सिटी पैलेस जयपुर के प्रांगण में प्रतिभा निखार दिवस मनाया गया। सिटी पैलेस में चल रहे सांस्कृतिक विरासत प्रशिक्षण शिविर के प्रशिक्षणार्थियों ने शिविर गत दिनों के दौरान सीखी विभिन्न कलाओं का प्रदर्शन किया। इस अवसर पर एमएसएमएस द्वितीय संग्रहालय के अध्यक्ष, महाराजा सवाई पद्मनाभ सिंह उपस्थित रहे। इस शिविर का आयोजन महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय संग्रहालय, रंगरीत और सरस्वती कला केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है। कार्यक्रम की शुरूआत सरस्वती वंदना के साथ दीप प्रज्वलित करके की गई। बच्चों ने श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोक का उच्चारण किया।
संग्रहालय के अध्यक्ष, महाराजा सवाई पद्मनाभ सिंह ने शिविर का अवलोकन करते हुए बच्चों की प्रतिभा की सराहना की। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को जयपुर की समृद्ध कला व शिल्प से परिचित कराने के उद्देश्य से यह सांस्कृतिक विरासत प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया जा रहा है। इस अवसर पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि इस वर्ष पहली बार शुरू की गई प्राचीन आराईश (फ्रेस्को) एवं जयपुर ब्लू पॉटरी की कला को सीखने के लिए बच्चों में काफी उत्साह है और वे इन पारंपरिक और लुप्तप्राय कलाओं को सीखने के लिए बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। मैंने स्वयं फ्रेस्को कला की बारिकियों और तकनीक को सीखा और फ्रेस्को पेंटिंग बनाई।
कार्यक्रम के दौरान ध्रुवपद का प्रशिक्षण ले रहे प्रशिक्षणार्थियों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ जयपुर घराने का ध्रुवपद प्रस्तुत किया। जिसके बाद जयपुर घराने का कथक सीख रहे प्रशिक्षणार्थियों ने प्रस्तुति दी। इसी प्रकार से पेंटिंग, बांसुरी, ब्लू पॉटरी और अराईश जैसी पारम्परिक कलाओं का प्रशिक्षण ले रहे प्रशिक्षणार्थियों ने अपनी कलाओं का प्रदर्शन किया। गौरतलब है कि एक माह चलने वाले इस सांस्कृतिक विरासत प्रशिक्षण शिविर में प्रशिक्षुओं को ध्रुवपद, कथक, चित्रकला, बांसुरी, फ्रेस्को तथा जयपुर ब्लू पॉटरी जैसी पारंपरिक कलाओं का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
शिविर संयोजक चित्रकार रामू रामदेव ने बताया कि इस प्रशिक्षण शिविर में राजस्थान के प्रख्यात कलाकारों द्वारा प्रशिक्षणार्थियों को पारंपरिक कलाओं के गुर सिखाए जा रहे हैं। शिविर में मुख्य आकर्षण प्राचीन आराईश (फ्रेस्को), जयपुर ब्लू पॉटरी और श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोक हैं, जिन्हें क्रमश डॉ.नाथुलाल वर्मा, गोपाल सैनी व पंडित शिवदत्त व्यास द्वारा सिखाया जा रहा है। वहीं चित्रकला रामू रामदेव, हेमन्त रामदेव, बाबूलाल मारोठिया, यामिनी रामदेव; ध्रुवपद डॉ.मधु भट्ट तैलंग; कथक व लोकनृत्य डॉ.ज्योति भारती गोस्वामी; बांसुरी पं.आरडी.गौड़; सुलेखन अशोक शर्मा व ललित शर्मा और फड़ पेंटिंग मनोज जोशी के निर्देशन में सिखाई जा रही है।
 
                                                                        
                                                                    