
ममता बनर्जी ने एसआईआर को बताया भाजपा-नीत केंद्र सरकार का दिमागी उत्पाद
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को आरोप लगाया कि बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) निर्वाचन आयोग की मिलीभगत से भाजपा-नीत केंद्र सरकार के दिमाग की उपज है। पश्चिम मेदिनीपुर जिले के बाढ़ प्रभावित घाटल के दौरे पर आईं बनर्जी ने यह भी कहा कि बांग्ला भाषी भारतीय नागरिकों को बांग्लादेशी बताकर पड़ोसी देश भेजा जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘यह (एसआईआर) योजना केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई है, जिसमें निर्वाचन आयोग को भी शामिल किया गया है। हम इससे सहमत नहीं हैं।’’ उन्होंने तर्क दिया कि इस प्रक्रिया के लिए माता-पिता के जन्म प्रमाण-पत्र सुरक्षित रखना सभी के लिए संभव नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह पश्चिम बंगाल में एसआईआर लागू करने के किसी भी प्रयास को स्वीकार नहीं करेंगी। राज्य में 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं। बनर्जी ने दावा किया, ‘‘यदि राज्य में विशेष गहन पुनरीक्षण लागू किया जाता है, तो सभी धर्मों के लोगों को नुकसान होगा।’’ विपक्षी दल संसद के दोनों सदनों में एसआईआर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और आरोप लगा रहे हैं कि निर्वाचन आयोग की इस कवायद का उद्देश्य बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले ‘मतदाताओं को मताधिकार से वंचित करना’ है। बनर्जी ने दोहराया कि पश्चिम बंगाल के प्रवासी कामगारों को ‘अपनी मातृके कारण’ कुछ राज्यों में उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री ने यह भी दावा किया कि चूंकि उन्होंने इस तरह के कृत्यों का विरोध किया है, इसलिए कुछ हलकों में यह मांग उठ रही है कि उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत गिरफ्तार किया जाए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि एसआईआर के नाम पर एनआरसी लागू करने की कोशिशें चल रही हैं।