Dark Mode
8 दिनों में ही मायावती के हाथी ने लिया यूटर्न

8 दिनों में ही मायावती के हाथी ने लिया यूटर्न

लोकसभा चुनाव 2024 से पहले चार राज्‍यों में होने वाले व‍िधानसभा चुनाव को लेकर सियासी रण में INDIA और NDA एक दूसरे से दो-दो हाथ करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। वहीं बहुजन समाजवादी पार्टी की प्रमुख मायावती के गठबंधन को लेकर मात्र आठ द‍िनों के बाद ही बदलने लगे हैं। इसे पूर्व 19 जुलाई को बैठक के दौरान बसपा प्रमुख ने कहा था क‍ि वह दोनों गठबंधनों से अलग हैं। अब लखनऊ में 25 जुलाई को हुई बैठक में मायावती ने कहा क‍ि कई राज्यों में बैलेंस ऑफ पावर बनने के बावजूद जातिवादी तत्व द्वारा साम। दाम। दंड। भेद आदि अनेकों घिनौने हथकंडे अपना कर बीएसपी के विधायकों को तोड़ लेते हैं। जिससे जनता के साथ विश्वासघात करके घोर स्वार्थी जनविरोधी तत्व सत्ता पर काबिज हो जाते हैं। आगे विधानसभा आमचुनाव के बाद बैलेंस ऑफ पावर बनने पर लोगों की चाहत के हिसाब से। सरकार में शामिल होने पर विचार संभव है। मायावती ने राजस्थान , एमपी, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में होने वाले व‍िधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि इन राज्यों में धार्मिक अल्पसंख्यकों व मुस्लिम समाज का भला तभी हो सकता है जब मजबूत व अहंकारी सरकार नहीं बल्कि गठबंधन की मजबूर सरकार होगी। इस समाज के लोगों पर अत्याचार की खबरें लगातार आती हैं। यह दुखद है। इसका समाधान तभी होगा जब सरकार में उनके हितैषी प्रतिनिधि होंगे। मायावती ने सरकार से बाढ़ पीड़ितों की भी मदद करने की अपील की। कहा। पार्टी के लोगों को जो भी संभव हो मदद करनी चाहिए।

मायावती कहना है कि लोकसभा चुनाव बेहद नजदीक हैं। NDA और विपक्षी पार्टियों के गठबंधन की बैठकों का दौर चल रहा है। एक तरफ NDA अपनी पूर्ण बहुमत की सरकार बनने की दलीलें दे रहा है। दूसरी तरफ। विपक्ष गठबंधन सत्ताधारी को मात देने की प्लानिंग कर रहे हैं। इसमें बसपा भी पीछे नहीं है ,कांग्रेस पार्टी। अपने जैसी जातिवादी और पूंजीवादी सोच रखने वाली पार्टियों के साथ गठबंधन करके फिर से सत्ता में आने की सोच रही है। सभी विपक्षी दलों की सोच एक जैसी है। यही कारण है कि बसपा ने इनसे दूरी बनाई है।देखा जाय तो बसपा सुप्रीमो मायावती ने भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता की कोशिशों को तभी तगड़ा झटका दिया था जब 15 जनवरी अपने जन्मदिन के अवसर पर मायावती ने 2024 को लेकर बसपा की रणनीति का खुलासा किया था । उन्होंने साफ किया था कि बहुजन समाज पार्टी लोकसभा चुनाव अकेले अपने दम पर लड़ेगी। किसी के साथ कोई भी गठबंधन नहीं होगा। यही नहीं 2023 में जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं वहां भी कोई गठबंधन नहीं किया जाएगा।बसपा सुप्रीमो मायावती अपने 67वें जन्मदिन के मौके पर अलग अंदाज में नजर आईं थी । उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया के हर एक सवाल का जवाब दिया था । फिर चाहे वो बसपा को चुनाव में मिल रही हार पर सवाल हो या भाजपा के पसमांदा प्रेम पर। मायावती ने हर सवाल का खुलकर जवाब दिया। मायावाती ने कहा कि 2023 में राजस्थान । मध्य प्रदेश। छत्तीसगढ़ और 2024 के लोकसभा के चुनाव बसपा अकेले लड़ेगी। किसी के साथ कोई गठबंधन नहीं करेगी। क्योंकि कांग्रेस ने कुछ दिनों से ये भ्रम फैला रखा था कि वो बसपा से गठबंधन करेंगे। लेकिन बसपा ये नहीं करेगी। बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि कांग्रेस और कुछ अन्य दल हमारी पार्टी से गठबंधन करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन हमारी विचारधारा अन्य पार्टियों से एकदम अलग है। बसपा लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनावों में किसी भी पार्टी से कोई गठबंधन नहीं करेगी।

2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रचंड मोदी लहर के बावजूद अपने 19 प्रतिशत वोटों के जनाधार को बचाने में सफल रहीं मायावती ने अपनी इस ताकत को दिखाने का भी संकेत प्रतिशोध के अंदाज में दिया था। बसपा मुखिया मायावती ने 2024 चुनाव में कमजोर वर्गों के लोगों का आहृवान किया है कि आपसी भाईचारा के आधार पर व अपना अकेले ही मजबूत गठबंधन बनाकर बसपा को मजबूती देनी है। ताकि फिर यहां कोई भी गठबंधन केंद्र व राज्यों की सत्ता में पूरी मजबूती के साथ न आ सके। इनकी मजबूत नहीं। मजबूर सरकार बने। ताकि किसी गठबंधन को पूर्ण बहुमत न मिलने की स्थिति में बसपा की अहमियत कायम रहे। मायावती 19 जुलाई को हुई बैठक के दौरान यह भी स्पष्ट कर दिया था कि अब वह राजस्थान। मध्य प्रदेश। छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में भी किसी बड़े दल के साथ हाथ मिलाना नहीं चाहतीं। अकेले चुनाव लड़ेंगी। पंजाब। हरियाणा जैसे राज्यों में क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का विकल्प खुला रखा है बशर्ते उनका एनडीए या इंडिया गठबंधन से कोई संबंध न हो।

गौरतलब यह भी है कि बसपा सुप्रीमो मायावती कब दिल्ली होती हैं और कब लखनऊ। इस बात की किसी को कानों कान खबर नहीं होती। लेकिन शायद यह पहली बार है जब मायावती दिल्ली पहुंची तो इसे बकायदा एलान कराया गया कि मायावती इस बार लंबे वक्त के लिए दिल्ली गई है और वहीं कुछ दिनों तक डेरा डालेंगी। तो आखिर लंबे समय तक दिल्ली रहने का ऐलान करने की जरूरत क्या थी? क्या सचमुच मायावती इस बात को अब बता देना चाहती हैं कि वह अब दिल्ली की सियासत करना चाहती हैं। यानी 2024 को लेकर उनके जो प्लान है वह दिल्ली से तय होंगे या फिर प्लान बी कुछ और है।

पार्टी की तरफ से बताया जा रहा है कि चार राज्यों के चुनाव हैं और राजस्थान मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ और हरियाणा जैसे राज्यों में चुनाव के लिए उन्हें दिल्ली बेस बनाना जरूरी था। ताकि इन राज्यों के चुनावी गतिविधियों पर सीधे दिल्ली से नजर रखी जा सके। दिल्ली पहुंचते ही मायावती ने इन राज्यों के कोऑर्डिनेटर और संगठन से जुड़े लोगों की बैठक बुलाई और इस बैठक की एक तस्वीर बाहर भी आई। जिसमें मायावती के भतीजे और नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद उनके मंच के दाहिने तरफ बैठ दिखाई दे रहे हैं। मायावती पहले ही अपने भतीजे को लॉन्च कर चुकी हैं मगर अब वो बसपा सुप्रीमो को दाहिना हाथ होंगे यह संकेत भी चला गया। पार्टी की तरफ से बताया गया कि मायावती अब दिल्ली में लंबे वक्त तक रहेंगी। उसके पीछे की वजह बताई गई कि 4 राज्यों के कोऑर्डिनेटर संगठन के लोग और पश्चिमी उत्तर प्रदेश संगठन के लोग आसानी से दिल्ली में बहन जी से मिल सकते हैं और रणनीति बना सकते है। जबकि लखनऊ में लोगों को पहुंचने में मुश्किल होती है। दिल्ली में बड़ी बैठक करके मायावती ने इसका आगाज भी कर दिया कि अब उनकी सियासत फिलहाल दिल्ली से चलेगी और सब कुछ वह दिल्ली बैठकर तय करेंगी। चाहे वह 4 राज्यों का चुनाव हो चाहे 2024 को लेकर गठबंधन हो या फिर पार्टी की विरासत को लेकर आकाश आनंद को आगे करना हो।

दरअसल। माना ये जा रहा है कि के बढ़ते प्रभाव और उन पर हुए हालियां हमले के बाद उनके प्रति बड़े दलितों के आकर्षण और खासकर दलित युवाओं के बीच बढ़ते फैन फॉलोइंग को देखते हुए मायावती अब इसके काउंटर की तैयारी में जुटी हैं। मायावती हर हाल में युवा दलित चेहरे के तौर पर अपने भतीजे को स्थापित करने का प्रयास कर रही है। मायावती को लग रहा है कि चंद्रशेखर दिल्ली में बैठकर देश की दलित राजनीति और दलित विमर्श को प्रभावित कर रहा है। चंद्रेशेखर आजाद की दलित फॉलोइंग बढ़ रही है और वह एक दलित चेहरे के तौर पर उभर रहा है। मायावती को ये भी लगने लगा है कि अगर चंद्रशेखर का उभार नहीं रोका गया या फिर उसकी तुलना में आकाश आनंद को खड़ा नहीं किया गया तो देर हो जाएगी और सियासी रूप से बसपा को भारी नुकसान हो जाएगा। क्योंकि चंद्रशेखर रावण ने मध्य प्रदेश हरियाणा राजस्थान और पंजाब सभी जगहों पर उसने चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है और उसकी सियासी यूनिट आज़ाद समाज पार्टी ने काम करना शुरू भी कर दिया है। आने वाले वक्त को भांपते हुए मायावती इस बार अपने भतीजे को बसपा के चेहरे के तौर पर स्थापित करने के प्रयास में हैं ताकि राष्ट्रीय फलक पर बढ़ते चंद्रशेखर आजाद के उभार को रोका जा सके। सूत्रों के मुताबिक मायावती अपनी फॉलोइंग और अपने करिश्मे को अभी चुनावी राज्यों में आगे रखना चाहती हैं जबकि भतीजे को आकाश ?आनंद को संगठन और चुनावी राज्यों में गठबंधन को लेकर पार्टियों से चर्चा करने की जिम्मेदारी दी गई है।

-अशोक भाटिया

Comment / Reply From

Newsletter

Subscribe to our mailing list to get the new updates!