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अंधकार से ब्रह्मांड को रोशन करने वाली मां कुष्मांडा, पूजन से पाएं आरोग्य और तेज

अंधकार से ब्रह्मांड को रोशन करने वाली मां कुष्मांडा, पूजन से पाएं आरोग्य और तेज

नवरात्रि में हम सभी मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा करते हैं और इन सभी 9 रूपों की अलग-अलग व्याख्या है और अलग कहानी है। इनमें से नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है। मां कुष्मांडा को सृष्टि की रचना करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। मां दुर्गा के नौ रूपों में से एक कुष्मांडा देवी का नाम संस्कृत के दो शब्द 'कू' यानी छोटा, 'उष्मा' यानी गर्मी और 'अंडा' यानी दैवीय बीज से जुड़कर बना है। ऐसा इसलिए क्योंकि मां कुष्मांडा को सृष्टि का रचयिता माना जाता है। मां कुष्मांडा की भी मां दुर्गा की तरह शेर की सवारी करती हैं और सूर्य का तेज अपने साथ लेकर चलती हैं। मां आठ भुजाओं वाली मां शक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं। मां कुष्मांडा की कहानी बेहद अनोखी है और उनकी शक्ति और समृद्धि की ताकत देती है।


जानिए मां कुष्मांडा की कहानी
कई शास्त्रों में मां कुष्मांडा का जिक्र है, लेकिन इनकी कहानी देवी पुराण में लिखी है। कथा के मुताबिक जब ब्रह्मांड की रचना हुई थी, तब वह अंधकार से भरा हुआ था और पूरी तरह से खाली था। फिर मां कुष्मांडा ने इसको देखा और बस मुस्कुरा दीं। मां की मुस्कुराहट से उस खाली स्थान पर रोशनी का जन्म हुआ था। इसलिए मां कुष्मांडा को शक्ति और रोशनी का प्रतीक माना जाता है। जब मां मुस्कुराईं, तो उनकी छवि से रोशनी बनी और यह रोशनी धीरे-धीरे पूरे ब्रह्मांड में फैल गई। फिर सूर्य और अन्य सभी ग्रहों को जन्म हुआ। सूर्य के आने के बाद से पृथ्वी पर जीवन का विकास हुआ। पहले जल आया, फिर पेड़-पौधे, जानवर और फिर इंसान आए। इसलिए मां कुष्मांडा को जरूरी माना जाता है। कई बार मां कुष्मांडा का वर्णन अष्ट भुजाओं के लिए भी होता है और कई बार दस भुजाओं के साथ। मां कुष्मांडा सृष्टि को संभालती हैं और माना जाता है कि इनकी ऊर्जा से ही सृष्टि का संचालन होता है।


मां कुष्मांडा की पूजा
नवरात्रि के 9 दिनों में से मां कुष्मांडा की पूजा में मालपुए का भोग लगाना चाहिए। इसके साथ ही सफेद कद्दू से बनी चीजों का भोग अर्पित किया जाता है। नवरात्रि के दिन सुबह उठकर स्नान आदि करके पीले कपड़े पहनें। मां कुष्मांडा को लाल फूल और पीले चंदन अर्पित किए जाते हैं। मां को भोग में मालपुआ देने के बाद आरती की जाती है। मालपुए के साथ आप अतिरिक्त फल और मिठाइयों को चढ़ा सकती हैं। मां कुष्मांडा को पीला और हरा रंग अतिप्रिय होता है।


कुष्मांडा माता का मंदिर
मां कुष्मांडा का वाराणसी में एक फेमस मंदिर है। इसके अलावा कानपुर के घाटमपुर इलाके में भी मां कुष्मांडा का मंदिर है। वहीं नेपाल में भी कुष्मांडा का मंदिर स्थित है। नवरात्रि के दौरान इन मंदिरों पर खासतौर पर भीड़ होती है।


मां कुष्मांडा के लिए मंत्र
मां कुष्मांडा के लिए 'या देवी सर्वभूतेषु कुष्मांडा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः।' मंत्र दिया गया है। मां कुष्मांडा की आरती के साथ इस मंत्र का जाप भी कर सकती हैं।

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