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गांव, गरीब, किसान की अनदेखी करने वाला राजनीति से प्रेरित बजट: पायलट

गांव, गरीब, किसान की अनदेखी करने वाला राजनीति से प्रेरित बजट: पायलट

जयपुर। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने केन्द्र सरकार द्वारा आज संसद में प्रस्तुत बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है इसे राजनीति से प्रेरित, किसानों की अनदेखी करने वाला, अदूरदर्शी बजट बताया है।
उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने बजट में यह नहीं बताया कि पिछले वर्षो के बजट्स में किसानों की आय दोगुनी करने, मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने, रोजगार सृजन जैसी घोषणाओं पर क्या प्रगति हुई। उन्होंने कहा कि सत्ता में बने रहने के लिए सहयोगी दलों पर निरंतर निर्भरता इस बजट में साफ देखने को मिलती है। केन्द्रीय बजट में इस प्रकार पूर्णतः राजनीतिक प्रभाव परिलक्षित होना चिंतनीय है।
पायलट ने कहा कि बजट में किसानों की भी स्पष्ट रूप से अनदेखी की गई है। देश के किसान एम.एस.पी. पर कानून बनाने की मांग को लेकर पिछले लम्बे समय से आन्दोलनरत् है। बजट में किसानों की इस मांग को पूर्णतः अनदेखा किया गया है। किसान क्रेडिट कार्ड की न्यूनतम सीमा बढ़ाने से किसानों को कोई विशेष लाभ नहीं होगा, यह लघु अवधि का ऋण मात्र है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए मनरेगा में पिछले वर्ष के बजट 86 हजार करोड़ रूपये में कोई वृद्धि नहीं किया जाना निराशाजनक है।
उन्होंने कहा कि राजस्थान के संदर्भ में भी बजट पूर्णतः निराशाजनक रहा है। ईआरसीपी और यमुना जल योजना को लेकर कोई आश्वासन या घोषणा बजट में नहीं किया जाना प्रदेश की जनता के साथ छलावा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में रेल यातायात को और मजबूत करने के लिए नई रेल लाईन स्वीकृत करने तथा पिछली स्वीकृत रेल परियोजनाओं पर काम शुरू करने के संबंध में कोई उल्लेख नहीं किया जाना राजस्थान की जनता के प्रति केन्द्र सरकार की अनदेखी को दर्शाता है। केन्द्रीय बजट में प्रदेश का जिक्र तक नहीं होना प्रदेश सरकार की विफलता को भी इंगित है कि राज्य सरकार राजस्थान के लिए केन्द्र से कोई नई योजना लाने में असफल रही।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने देश को कर्ज में डुबोकर आर्थिक ढांचे को कमजोर करने का काम किया है। बजट में सरकार द्वारा अगले वर्ष 12.76 लाख करोड़ रूपये से कर्ज के ब्याज का भुगतान करना बताया गया है जबकि इसके विपरीत पूंजीगत व्यय 11.24 लाख करोड़ रूपये बताया गया है जो कि सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन को दर्शाता है।

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