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सिर चढ़कर बोली झूठ की सियासत

सिर चढ़कर बोली झूठ की सियासत

झूठ बोले कौवा काटे। यह कहावत हम जन्म से ही सुनते आ रहे है। ऐसा इसलिए कहा जाता है कि ताकि
लोग झूठ बोलने से बचें और सत्य बोलें। बचपन से ही हमें सच बोलने की सीख दी जाती है। यह रटाया जाता
है झूठ बोलना पाप है। मगर अब तो समूची सियासत ही झूठ सी काली हो गयी तो कौन क्या करें। सियासत
का सच तो यह है आज झूठ को सच बताने का पूरा अभियान चल रहा है। झूठ ही सच है, झूठ की प्राण
प्रतिष्ठा की जा रही है।
आज की सियासत झूठ की दहलीज पर खड़ी होकर दहाड़े मार रही है। यहाँ सत्य का नामो निसान नहीं है।
जो जितना बड़ा झूठ बोलेगा वह उतना बड़ा आदमी बनेगा। झूठ, छल-कपट-प्रपंच साधारण जीवन से लेकर
सियासत तक दिखाई पड़ते हैं। लोगों को बहलाना-फुसलाना या बरगलाना सियासत के बुनियादी सिद्धांतों
में से एक है। लेकिन राजनीति में झूठ या यूं कहें कि सफेद झूठ को हथियार बनाना एक नया चलन है। आम
आदमी की सोच है झूठ की राजनीति देश और लोकतंत्र के लिए अच्छी नहीं है इस समय राहुल गाँधी को
लेकर सच और झूठ की सियासत गरमाई हुई है। सांसदी छिनने पर अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते
हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने कहा है मेरी सच्चाई के अलावा किसी चीज में दिलचस्पी नहीं है।
राहुल ने कहा मेँ केवल सच बोलता हूँ। ये मेरा काम है मैं करता रहूँगा। चाहे मैं अयोग्य हो जाऊं या गिरफ्तार
हो जाऊं। राहुल की बहन प्रियंका वाड्रा ने अपने भाई का समर्थन करते हुए कहा है, राहुल सच बोलते हुए जिए
हैं, सच बोलते रहेंगे। सच्चाई की ताकत और करोड़ों देशवासियों का प्यार उनके साथ है। भाजपा ने पलटवार
करते हुए कहा की राहुल गांधी झूठों का सरताज है। भाजपा ने राहुल गांधी पर विदेश में जाकर झूठ बोलने
का आरोप लगाया और कहा झूठ बोलना राहुल गांधी की फितरत हो चुकी है। इससे इंकार नहीं किया जा
सकता है की राहुल के समर्थन में वे पार्टियां या नेता गोलबंद हो गए जिनके नेता या तो सजायाप्ता है अथवा
जेलों में बंद है। इनमें से बहुत से नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरूपयोग के मामले न्यायालय
में चल रहे है। कुछ जमानत पर है। झूठ और सच के कई मामले देश की सर्वोच्च अदालत में विचाराधीन है।
उन नेताओं की फेहरिस्त लम्बी है जिन पर झूठ की सियासत के आरोप है। दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल
प्रधान मंत्री पर झूठ बोलने का सरेआम आरोप लगते है तो उनके गुरु अन्ना हजारे अपने शिष्य पर झूठ
बोलकर राज करने का आरोप लगा चुके है। उद्धव ठाकरे बनाम एकनाथ शिंदे के झूठ सच का बहुचर्चित
मामला भी सर्वोच्च अदालत में चल रहा है। हमारे कर्णधार अदालतों में गीता पर हाथ रखकर झूठ बोलने के

आदि हो चुके है। ऐसे मामले पकडे जाने पर माफ़ी मांगते भी देर नहीं करते। लोकतंत्र में सच की सियासत
कायम होनी चाहिए। झूठ का चलन बंद होना चाहिए।
इस समय देश की हालत ऐसी बन गई है जैसे सच्चाई पीछे हट रही है और झूठ लगातार आगे बढ़ रही है।
हमारे नेता झूठ का सहारा लेकर अपनी सियासत को चमका रहे है यह किसी से छिपा नहीं है। ऐसा लगता है
झूठ हमारी सियासत में घुस कर सिर चढ़ कर बोलने लगी है। झूठ की सियासत किसी शायर ने ठीक ही
कहा है -
हर तरफ मशहूर है झूठ की सियासत करने वाले
मैं सच का पैरोकार, मेरा कही नाम तक न आया।
भरे बाजार सच की दुकानों पर है सन्नाटा
तिजारत झूट की चमकी है मक्कारी की बातें हैं

बाल मुकुन्द ओझा

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