 
                        
        प्रदूषण मानवीय जीवन के लिए हानिकारक : राजकुमार सेहरा
बालोतरा। वायु प्रदूषण हानिकारक गैसों, धूल और धुएं द्वारा हवा का प्रदूषण है जो पौधों, जानवरों और मनुष्यों को बुरी तरह प्रभावित करता है। वायुमंडल में कुछ निश्चित प्रतिशत गैसें मौजूद हैं। इन गैसों की संरचना में वृद्धि या कमी जीवन के लिए हानिकारक है। गैसीय संरचना में इस असंतुलन के कारण पृथ्वी के तापमान में वृद्धि हुई है, जिसे ग्लोबल वार्मिंग के रूप में जाना जाता है।
राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल बालोतरा के क्षेत्रीय प्रबंधक राजकुमार सेहरा ने बताया कि वे प्रदूषक जो सीधे वायु प्रदूषण का कारण बनते हैं, उन्हें प्राथमिक प्रदूषक कहा जाता है। कारखानों से निकलने वाला सल्फर डाइऑक्साइड एक प्राथमिक प्रदूषक है। इसी तरह प्राथमिक प्रदूषकों के आपस में मिलने और प्रतिक्रिया से बनने वाले प्रदूषकों को द्वितीयक प्रदूषक कहा जाता है। धुएँ और कोहरे के आपस में मिलने से बनने वाला स्मॉग एक द्वितीयक प्रदूषक है। जीवाश्म ईंधन के दहन से बड़ी मात्रा में सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जित होती है। जीवाश्म ईंधन के अधूरे दहन से निकलने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड से भी वायु प्रदूषण होता है। जीप, ट्रक, कार, बस आदि जैसे वाहनों से निकलने वाली गैसें पर्यावरण को प्रदूषित करती हैं।
उन्होंने बताया कि ये ग्रीनहाउस गैसों के प्रमुख स्रोत हैं और लोगों में बीमारियों का कारण भी बनते हैं। फैक्ट्रियाँ और उद्योग कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बनिक यौगिक, हाइड्रोकार्बन और रसायनों का मुख्य स्रोत हैं। ये हवा में छोड़े जाते हैं, जिससे इसकी गुणवत्ता खराब हो जाती है। ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के कारण हवा की गैसीय संरचना में असंतुलन पैदा हो रहा है। इससे धरती के तापमान में वृद्धि हुई है। धरती के तापमान में इस वृद्धि को ग्लोबल वार्मिंग के नाम से जाना जाता है। इसके परिणामस्वरूप ग्लेशियर पिघल रहे हैं और समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है। कई इलाके पानी में डूबे हुए हैं। जीवाश्म ईंधन के जलने से हवा में नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर ऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसें निकलती हैं। पानी की बूंदें इन प्रदूषकों के साथ मिलकर अम्लीय हो जाती हैं और अम्लीय वर्षा के रूप में गिरती हैं जो मानव, पशु और पौधों के जीवन को नुकसान पहुंचाती हैं। 
उन्होंने कहा कि बालोतरा एक औद्योगिक क्षेत्र हैं, यह शहर पाॅपलीन कपड़ा उत्पाद के लिए जाना जाता है। यहाँ के उद्योगों में कपडा उत्पाद में बायलर की आवश्यकता होती है, जो की ऊर्जा का प्रमुख स्त्रोत होता है और इसके लिए उद्योगो में कोयले को ईधन के रूप में उपयोग किया जाता हैं। जिसके कारण वायु में प्रदूषकों का उत्सर्जन होता हैं। वर्तमान में बालोतरा औद्योगिक क्षेत्र में PNG (पाइप नेचुरल गैस) की पाइपलाइन बिछाने का कार्य किया जा रहा हैं। बालोतरा औद्योगिक इकाइयों को जल्द से जल्द कोयले की बजाय नेचुरल गैस पर (स्वच्छ ईधन) पर आना चाहिए। जिससे की बालोतरा की वायु गुणवक्ता में सुधार हो सके साथ ही वायु प्रदूषण में कमी आ सकें। इसके अतिरिक्त दीपावली त्यौहार पर केवल ग्रीन फटाके, कम ध्वनी वाले फटाको का उपयोग हम सब को करना चाहिए। दीपावली पर हम सब घरों की साफ़ सफाई करते हैं तथा कचरे का निस्तारण खुले में करते हैं या उसको आग लगा देते है। इसके कारण भी वातावरण में वायु प्रदूषकों का उत्सर्जन होता हैं। एकल उपयोग प्लास्टिक (सिंगल यूज़ प्लास्टिक) हमारे चारों और खुले वातावरण में फैला हुआ हैं। दीपावली के इस त्यौहार पर बाहर जाते वक़्त कपडे की थेलियों का उपयोग करें तथा सिंगल यूज़ प्लास्टिक को ना कहे तथा आप और हम मिलकर इस बार स्वच्छ एवं प्रदूषण मुक्त दीपावली मनाए।
 
                                                                        
                                                                    