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विश्व जल दिवस पर जिलेभर में हुए कार्यक्रम

विश्व जल दिवस पर जिलेभर में हुए कार्यक्रम

जिला स्तरीय कार्यशाला में जल संरक्षण व पुनर्भरण पर हुई चर्चा
भौतिक विकास के साथ साथ जल संरक्षण जरूरी-कलक्टर

उदयपुर । विश्व जल दिवस बुधवार को जिले भर में मनाया गया। जिला मुख्यालय पर जिला परिषद सभागार में जिला कलक्टर ताराचंद मीणा, उदयपुर ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मयंक मनीष व जिला विधिक प्राधिकरण सचिव व एडीजे कुलदीप शर्मा के आतिथ्य में आयोजित कार्यशाला में जल संरक्षण पर विस्तार से चर्चा हुई।
वर्षा में व्यर्थ बहने वाले जल के संरक्षण पर सोचना होगा:
कार्यशाला में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना एवं राजीव गांधी जल संचय योजना की प्रगति पर समीक्षा की और इसमें किए जा रहे कार्यों को जल संरक्षण दिशा में उपयोगी बताया। कलक्टर ने कहा कि जिले में भौतिक विकास के साथ-साथ जल संरक्षण भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि जिले में 700 एमएम बारिश होती है  परंतु पहाड़ी इलाका होने के कारण काफी जल व्यर्थ बह जाता है। इस जल के संरक्षण विषय पर सबको सोचना होगा एवं इसके सदुपयोग के लिए सभी को मिलकर प्रयास करने हांेगे। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद और वर्तमान स्थितियों में जल की स्थितियों पर सोचना जरूरी है। उन्होंने मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना के बाद भूजल स्थितियों पर भी शोध की जरूरत जताई।
पीएचईडी से जल दोहन तो हो रहा, पुनर्भरण कैसे ?
उन्होंने संबंधित विभागों से ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की आपूर्ति के साथ सिंचाई के लिए उपलब्ध कराई जा रही जल सुविधा के बारे में जानकारी की और जल संरक्षण एवं उसके उपयोग व पुनः उपयोग के लिए सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रमों का प्रभावी क्रियान्वयन करने के निर्देश दिए। कलक्टर ने कहा कि पेयजल आपूर्ति के रूप में पीएचईडी द्वारा जल का दोहन तो हो रहा परंतु इसके पुनर्भरण के लिए क्या उपाय किए जा रहे है, इस पर भी चिंतन जरूरी। इस दौरान उन्होंने स्थानीय जनप्रतिनिधियों से चर्चा करते हुए क्षेत्र में विकास कार्यों के साथ साथ पेयजल सुविधाओं के विकास व विस्तार के लिए आगे आने का आह्वान किया।  
कार्यशाला में उदयपुर ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा ने कहा कि जिले में जल संरक्षण दायित्व हम सभी का है। उन्होंने सरकार की विभिन्न योजनाओं को धरातल पर उतारने के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों इनका व्यापक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश आबादी पहाड़ी क्षेत्रों में निवासरत है ऐसे लोगों को सरकार की इन योजनाओं का लाभ दे ताकि उन्हें निर्बाध रूप से जल सुविधा का लाभ मिल सके।
जिला परिषद सीईओ मयंक मनीष ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना एवं राजीव गांधी जल संचय योजना की प्रगति के साथ जल संरक्षण के लिए जारी कार्यों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण के लिए सभी को मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है और इसके लिए नवीन तकनीकी का उपयोग करें ताकि आने वाली पीढ़ी को हम पर्याप्त जल की सौगात दें सके।
एडीजे कुलदीप शर्मा ने भी कहा कि पंच महाभूतों में शामिल जल का उपयोग जीवनशैली में परिवर्तन के कारण बहुत ज्यादा हुआ है। हमें व्यर्थ बहते जल को रोकने के लिए तकनीकों का उपयोग करते हुए पीने योग्य पानी के संरक्षण के लिए प्रभावी प्रयास करने होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि आज के दौर में युवा पीढ़ी को जागरूक करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आज जल का बेहतर उपयोग एवं संरक्षण करते हुए हम आने वाले कल को संरक्षित व सुरक्षित रख सकते है।
कार्यशाला में स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं संबंधित अधिकारियों ने भी अपने-अपने सुझाव दिए। अंत में सभी संभागियों को जल संरक्षण की शपथ दिलाई गई।
कार्यशाला में जिला परिषद् सदस्य एवं जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी, जल संसाधन, कृषि, उद्यानिकी, जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण, राजीविका, वन, ग्रामीण विकास विभाग, कृषि विज्ञान केन्द्र के अधिकारी एवं एनजीओ के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
श्रमदान व प्रतियोगिताओं का आयोजन
इसी क्रम में विश्व जल दिवस के अवसर पर जिले की समस्त 20 पंचायत समिति में ब्लॉक स्तरीय श्रमदान, जलाशय सफाई कार्य करवाया गया। जिले की 90 ग्राम पंचायतों के विद्यालयों में जागरूकता कार्यक्रम के तहत् निबंध व चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की गई।

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