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पीडब्ल्यूडी  मंत्री ने कारस देव बाबा मेले का किया उद्घाटन 

पीडब्ल्यूडी  मंत्री ने कारस देव बाबा मेले का किया उद्घाटन 

वैर  .  उपखंड के गांव जहाज में कारस देव बाबा का लक्खी मेला कैबिनेट मंत्री भजन लाल जाटव के द्वारा किए गए उद्घाटन के साथ ही शुरू हो गया , कैबिनेट मंत्री भजनलाल का कमेटी के सदस्यों ने चांदी का   मुकुट पहना कर स्वागत किया,  गांव जहाज में यह मेला वर्ष में दो बार लगता है, मंदिर पर दर्शन करने वाले श्रद्धालु जो मध्य प्रदेश, यूपी,हरियाणा  दिल्ली आदि दूरदराज के प्रांतों से  भारी संख्या में आते हैं तथा मनौती मांगते हैं, इसके अलावा मनौती पूर्ण होने पर जात देने के लिए भी आते हैं, मंत्री जाटव ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि मेले हमारी प्राचीन व गौरवमई संस्कृति के प्रतीक हैं इससे भाईचारा बढ़ता है,  लोगों ने  कारस देव बाबा के मंदिर तक पहुंचने वाली सड़क जो बहुत ही खराब हालत में है  उसे शीघ्र ही ठीक कराने की मांग की  जिसे  दो महीने में   ठीक कराने का आश्वासन मंत्री ने दिया, उपखंड के  प्रशासन द्वारा मेले की व्यवस्थाओं की देखभाल की जा रही है  एवं पुलिस थाना वैर से मेले में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए जाब्ता लगाया गया है  | इसके अलावा नगर पालिका चेयरमैन विष्णु महावर ने कारस देव बाबा के मंदिर पहुंचकर दर्शन किए  एवं मेले  की व्यवस्थाओं को देखा, कमेटी के सदस्यों ने चेयरमैन महावर का माल्यार्पण व साफा बंधवा कर स्वागत किया |

 चमत्कारी है बाबा कारस देव -- प्रचलित गाथाओं के अनुसार कारस देव बाबा को मुख्य रूप से पशुओं के डॉक्टर के रूप में माना जाता है, पशुओं में किसी प्रकार का रोग हो जाने पर मनौती  मांगते हैं तथा ठीक हो जाने पर दूध से  बने  प्रसाद का भोग चढ़ाया जाता है , अब तो श्रद्धालु अपने जीवन की सुख सुविधाओं एवं कष्टों को दूर करने के लिए भी बाबा कारस देव से मनौती मांगते हैं, बाबा की  लोकगाथा के रचना काल का   निर्धारण करना कठिन है, ऐतिहासिक घटना एवं पात्र,लोक संस्कृति के आधार पर यह गाथा 16 वीं सदी से पहले की मानी जाती है, कारस देव के अवतार के प्रभाव से पर्वत हिलना, सवा हाथ कंचन बरसना सहित अनेक आदिकालीन कथानक है, गाथा के मूल पाठ में जो कथा आती है उसके अनुसार राजू गुर्जर की पुत्री ऐलादी द्वारा गढ़ राजोर के  राजा  का हाथी पछाड़े जाने पर राजा उसका विवाह अपने पुत्र हरनाम से करने की मांग करता है,  राजू गुर्जर इसे दंड मानकर मना कर देता है और अपनी जन्म स्थली छोड़कर उपखंड वैर  के गांव जहाज में आकर बस जाता है, उसका पुत्र कारस देव राजा को द्वंद युद्ध में पराजित कर पिता के अपमान का बदला लेता है कारस देव  के लोक देवता होने  के कारण यह गाथा भक्ति परक एवं धार्मिक बन गई है , बाबा की गाथा टुकड़ों में गाई जाती है जिसे गोट कहते हैं, गोट  कारस देव के  अवतार विविध चमत्कारों , विवाह से संबंधित अधिकतर  भक्ति परक  गाई आती है, एक गाथा के अनुसार भगवान शंकर कारस देव की परीक्षा लेते हैं और उसे शक्तिशाली होने का वरदान देते हैं |  कारस देव स्थानीय ही नहीं बल्कि दूरदराज के प्रांतों मैं रहने वाले  श्रद्धालुओं के देवता है | कारस बाबा के स्थान पर  शीश नवाने श्रद्धालु वर्ष में दो बार आते  |

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