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राहुल बोले- मणिपुर जल रहा, PM चुप हैं

राहुल बोले- मणिपुर जल रहा, PM चुप हैं

ट्वीट में लिखा- यूरोपियन संसद तक चर्चा हो गई, लेकिन मोदी ने एक शब्द नहीं कहा


नई दिल्ली . मणिपुर में 3 मई से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसा जारी है। इस हिंसा को लेकर राहुल गांधी ने शनिवार को ट्वीट करते हुए पीएम की चुप्पी पर निशाना साधा।

राहुल ने लिखा, मणिपुर जल रहा। यूरोपियन संसद ने भी भारत के आंतरिक मामले पर चर्चा की। पीएम ने इस पर एक शब्द भी नहीं कहा। राफेल ने पीएम को बैस्टिल डे परेड का टिकट दिला दिया।

राहुल के ट्वीट पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने पलटवार किया। स्मृति ने राहुल को राजवंश का हारा हुआ व्यक्ति बताया। ईरानी लिखती हैं, एक व्यक्ति जो भारत के आंतरिक मामलों में अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप चाहता है।

जब हमारे प्रधानमंत्री को राष्ट्रीय सम्मान मिलता है तो राजवंश का वह हारा हुआ व्यक्ति भारत का मजाक उड़ाता है। लोगों ने उसे खारिज कर दिया है।

स्मृति के बयान पर कांग्रेस जनरल सेक्रेटरी केसी वेणुगोपाल ने कहा, स्मृति जी पीएम से कहिए इस पर बात करें। प्रधानमंत्री दुनिया भर में घूम रहे हैं लेकिन मणिपुर मुद्दे पर एक मिनट भी बात नहीं कर रहे हैं।

इधर, कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की पूर्वोत्तर राज्यों- मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा और सिक्किम के नेताओं के साथ हुई बैठक के बाद कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि मणिपुर हिंसा में केंद्र की निष्क्रियता और चुप्पी, आपराधिक है।

इस बीच मणिपुर में इंटरनेट पर बैन 20 जुलाई तक बढ़ाया दिया गया है।

राहुल 29 जून को मणिपुर गए, दो दिन रहे
राहुल गांधी ने 29 जून को मणिपुर का दो दिन का दौरा किया था। पहले दिन राहुल ने चूराचांदपुर में रिलीफ कैंप में पीड़ितों से मुलाकात की थी। हालांकि, चूराचांदपुर पहुंचने से पहले राहुल का काफिला बिष्णुपुर में रोका गया था। पुलिस ने कहा था कि हिंसा की आशंका के चलते काफिला रोका गया था। इसके बाद राहुल हेलिकॉप्टर से चूराचांदपुर पहुंचे थे।

यहां उन्होंने कहा था- मैं मणिपुर के अपने सभी भाई-बहनों को सुनने आया हूं। सभी समुदायों के लोग बहुत स्वागत और प्रेम कर रहे हैं। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार मुझे रोक रही है।

राहुल ने 30 जून को मोइरांग रिलीफ कैंप में हिंसा प्रभावित से मुलाकात की थी। फिर उन्होंने कहा- मणिपुर को शांति की जरूरत है। मैं चाहता हूं कि यहां शांति बहाल हो। मैंने कुछ राहत शिविरों का दौरा किया, इन राहत शिविरों में कमियां हैं, सरकार को इसके लिए काम करना चाहिए।

हिंसा में 140 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है
मणिपुर में पिछले 74 दिनों से कुकी और मैतेई समुदाय के एक-दूसरे के खिलाफ हथियार लेकर खड़े हैं। हिंसा में अब तक 140 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 419 लोग घायल हुए हैं। 65,000 से अधिक लोग अपना घर छोड़ चुके हैं। आगजनी की 5 हजार से ज्यादा घटनाएं हुई हैं। 6 हजार मामले दर्ज हुए हैं और 144 लोगों की गिरफ्तारी हुई है।

राज्य में 36 हजार सुरक्षाकर्मी और 40 IPS तैनात किए गए हैं।
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मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।

नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इम्फाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।

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