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शीर्षक पढ़कर आपको कुछ अजीब सा लगा होगा लेकिन यह सही है क्योंकि जो मैंने देखा वह बहुत अच्छा देखा। पुलिस का नाम सुनते ही आम आदमी के मन में कुछ अलग ही सोच उत्पन्न हो जाती है । पुलिस और पर्यावरण संरक्षण का तालमेल सुनने में अजीब सा लगता है लेकिन पुलिस भी सामाजिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता । तो आइए मैं आपको राजस्थान पुलिस की शानदार सोच और पहल के बारे में बताने जा रहा हूँ जो प्रकृति से प्रेम का नायाब उदाहरण होने के साथ अनुकरणीय व प्रशंसनीय है।
कुछ दिनों पहले मैं कोटा किसी काम से अपने कुछ साथियों के साथ गया था। जहाँ हमारी मुलाकात मेरे स्कूली जीवन के साथी डीवाईएसपी राजेश कुमार सोनी से हुई जिन्होंने हमारा स्वागत बड़ी आत्मीयता से किया। फिलहाल राजेश सोनी कोटा में आरएसी यानि राजस्थान आर्म्ड कांस्टेबुलरी में डीवाईएसपी के पद पर तैनात हैं। हमारे साथ राजेश सोनी के पिता कल्याणमल सोनी भी थे जो सेवानिवृत्त शिक्षक है और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता होने के साथ विभिन्न दायित्वों का निर्वहन बड़ी कुशलता से कर चुके हैं। एक शिष्टाचार मुलाकात के बाद सोनी ने हमें चम्बल नदी के किनारे लगभग 400 बीघा जमीन में आरएसी के परिसर की यात्रा करवाई जो साधारण दृष्टिकोण से तो सामान्य कही जा सकती है लेकिन वहां जो देखा वो सच में अकल्पनीय था क्योंकि पुलिस की देखरेख में इतना बड़ा प्रकृति प्रेम का संदेश था जिसे देखने के बाद मेरी कलम स्वतः ही शुरू हो गई।
400 बीघा क्षेत्र में चम्बल नदी के किनारे आरएसी बटालियन का खूबसूरत परिसर जिसे देखकर आश्चर्यचकित होना स्वाभाविक है। इस परिसर में 1 लाख पेड़ पौधे है जो राजस्थान पुलिस की मेहनत का नायाब उदाहरण है। पुलिस द्वारा ऐसा कार्य जो कल्पनाओं से परे है। हमारे मित्र राजेश सोनी ने बताया कि यह सारा काम आरएसी की सेकंड बटालियन में तैनात एडिशनल एसपी पवन कुमार जैन के भागीरथी प्रयासों से ही सम्भव हो पाया है। जिन्होंने इतनी बड़ी पथरीली जमीन में एक लाख से अधिक पौधे लगवाने का सराहनीय प्रयास किया । इस जगह पर अलग अलग तरह के पौधों की वाटिकाऐं है जैसे कदम वाटिका,नीलकंठ वाटिका,हर्बल वाटिका,सिट्रस वाटिका,पुष्प वाटिका,चमन वाटिका व कमल सरोवर आदि । इन वाटिकाओं में उनसे सम्बंधित ही पौधे लगाए गए हैं। हर्बल वाटिका में 500 तरह के औषधीय पौधे लगाए गए हैं जो आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श के साथ लगाए हैं और उनके आगे शिलापट्ट पर उस औषधीय पौधे का नाम और गुण दोनों लिखे हुए हैं। कुछ औषधीय पौधे तो ऐसे भी है कि जिनका केवल नाम ही सुना था और इस पथरीली जमीन पर उनका होना किसी आश्चर्य से कम नहीं था।
इनके अलावा वहां पक्षियों के लिए चुग्गा स्थल भी बनाया गया है जहाँ पशु चिकित्सक की सलाह से मौसम के अनुसार पक्षियों को दाना डाला जाता है। यह सब वहां तैनात एडिशनल एसपी पवन जैन की रुचि के कारण ही सम्भव हो पाया है और इसके लिए कोई सरकारी बजट नहीं था यह तो जनसहयोग से ही सम्भव हुआ लेकिन सहयोग तो आज कोई भी कर सकता है और खासकर पुलिस को तो मना ही नहीं कर सकते लेकिन ऐसे प्रयासों के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है जो एडिशनल एसपी पवन जैन ने दिखाई वो पुलिस विभाग में दुर्लभ है। इस पूरे परिसर में पुलिस के जवान समय समय पर ईमानदारी से देखभाल करते हैं। पुलिस के जवानों की देखरेख में ही इतना बड़ा प्रकृति प्रेम का साक्षात उदाहरण देखने को मिला है क्योंकि चट्टानों में मिट्टी डलवाकर पौधारोपण करना बहुत मुश्किल कार्य है और उसकी देखरेख करना तो इससे भी ज्यादा जटिल है लेकिन राजस्थान पुलिस की आरएसी कोटा की सेकंड बटालियन ने इस काम को बखूबी कर दिखाया जो प्रशंसनीय होने के साथ अनुकरणीय है और इसका अनुसरण हर प्रकृति प्रेमी को करना चाहिए। तारीफ करनी होगी कि पुलिस के प्रयासों से इतना बड़ा कार्य हो गया लेकिन किसी से इसकी चर्चा तक नहीं हुई। इसे कहते हैं निस्वार्थ रूप से धरातल पर सेवाभाव से कार्य करना । यह उदाहरण उन फर्जी प्रकृति प्रेमियों के मुँह पर करारा तमाचा है जो एक पौधा लगाएंगे ओर सौ फोटो खिंचवाएँगे फिर उसके बाद उस पौधे को भूल जाएंगे।
पौधारोपण और प्रकृति प्रेम आज के समय में एक फैशन बनकर रह गया है और इस फैशन का हिस्सा नेता,समाजसेवी, अधिकारी और फर्जी प्रकृति प्रेमी बने हुए हैं जो एक पौधा लगाकर बड़े गर्व से सोशल मीडिया पर उस फोटो को शेयर कर इतिश्री कर लेते हैं जो शर्मनाक है।राजस्थान पुलिस की कोटा आरएसी सेकंड बटालियन का यह कार्य आमजन की जानकारी में आना चाहिए इसीलिए मैं इसे लिख रहा हूँ क्योंकि ऐसे सकारात्मक प्रयासों से हमें सीखने को मिलता है और कुछ नया करने की प्रेरणा मिलती है । इसके लिए पुलिस बधाई के साथ प्रशंसा की पात्र है जो उन्होंने समाज को प्रकृति के प्रति जागरूकता का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया है । कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि पर्यावरण संरक्षण का बेहतरीन उदाहरण है राजस्थान पुलिस। इस लेख के प्रकाशन के बाद प्रकृति व पर्यावरण प्रेमियों को कोटा जाकर इसका अवलोकन करना चाहिए और इससे प्रेरणा लेनी चाहिए।
-भवँर सिंह कछवाहा
 
                                                                        
                                                                    