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गणतंत्र दिवस असल में उस महत्वपूर्ण क्षण का जश्न है जब 1950 में भारत का संविधान लागू हुआ था। दो साल से अधिक के मंथन के बाद 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा ने इसे अपनाया था, लेकिन इसे 26 जनवरी, 1950 को ही लागू किया गया। यही कारण है कि इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। पहली गणतंत्र दिवस परेड 1950 में दिल्ली के राजपथ पर अब कर्तव्य पथ आयोजित की गई थी। उस समय 50 मिनट तक चली इस परेड में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने ध्वजारोहण किया था। वहीं, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णाे इस समारोह के पहले मुख्य अतिथि थे।
भारत का संविधान 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा द्वारा अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित किया गया। उस दिन को हम संविधान दिवस के रूप में मनाते हैं। उसके दो महीने बाद 26 जनवरी, 1950 से हमारा संविधान पूर्णतः प्रभावी हुआ। ऐसा सन 1930 के उस दिन को यादगार बनाने के लिए किया गया था जिस दिन भारतवासियों ने पूरी आजादी हासिल करने का संकल्प लिया था। सन 1930 से 1947 तक, हर साल 26 जनवरी को पूर्ण स्वराज दिवस के रूप में मनाया जाता था, अतः यह तय किया गया कि उसी दिन से संविधान को पूर्णतः प्रभावी बनाया जाए। सन 1930 में महात्मा गांधी ने देशवासियों को श्पूर्ण स्वराज दिवसश् मनाने का तरीका समझाया था। उन्होंने कहा था, “... चूंकि हम अपने ध्येय को अहिंसात्मक और सच्चे उपायों से ही प्राप्त करना चाहते हैं, और यह काम हम केवल आत्म-शुद्धि के द्वारा ही कर सकते हैं, इसलिए हमें चाहिए कि उस दिन हम अपना सारा समय यथाशक्ति कोई रचनात्मक कार्य करने में बिताएं।”
हम सबको एक सूत्र में बांधने वाली भारतीयता के गौरव का यह उत्सव है। सन 1950 में आज ही के दिन हम सब की इस गौरवशाली पहचान को औपचारिक स्वरूप प्राप्त हुआ था। उस दिन, भारत विश्व के सबसे बड़े गणतंत्र के रूप में स्थापित हुआ और हम, भारत के लोगों ने एक ऐसा संविधान लागू किया जो हमारी सामूहिक चेतना का जीवंत दस्तावेज है। हमारे विविधतापूर्ण और सफल लोकतंत्र की सराहना पूरी दुनिया में की जाती है। हर साल गणतंत्र दिवस के दिन हम अपने गतिशील लोकतन्त्र तथा राष्ट्रीय एकता की भावना का उत्सव मनाते हैं।
गणतंत्र दिवस हम सभी को कई भावनाओं और ज़ज्बों से सराबोर करता है। इस पावन अवसर पर हमें उन अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों को याद करना चाहिए, जिनके हौंसलों और त्यागों के बिना ये पावन स्वतंत्रता का सूर्याेदय कभी न होता। वो वीर सपूत जिन्होंने अंग्रेजों के सदियों के जुल्म के खिलाफ बगावत का बिगुल बजाया, जिन्होंने जेलों की यातनाएं सहीं, फांसी के तख्ते पर हंसते-हंसते चढ़े, और अपने प्राणों की आहुति देकर हमें यह अनमोल आज़ादी दिलाई। लेकिन आज़ादी मिलना ही काफी नहीं था, उसे संजोना भी अति आवश्यक था. और इसीलिए हमारे संविधान निर्माताओं ने वो दिव्य दस्तावेज़ रचा, जिसने हमारे गणतंत्र को मजबूत आधार दिया. डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, राजेन्द्र प्रसाद जैसे महापुरुषों की सूझबूझ और दूरदर्शिता ने हमें संविधान का वो प्रकाशस्तंभ दिया, जो हमें लोकतंत्र के अंधकार से निकालकर न्याय, समानता और भाईचारे के उजाले में लाता है।
सारी दुनिया के समक्ष अपने पूर्ण वैभव के साथ संचलन करती भारतीय सैन्य शक्ति के प्रदर्शन की छवियों को यह हमारे मस्तिष्क में उकेरता है। यह हमें एक बार फिर अपने वर्दीधारी महिलाओं और पुरुषों की निस्वार्थ देशभक्ति को सलाम करने की प्रेरणा देता है। साथ ही यह हमें वीरता पुरस्कार प्राप्त जांबाज सैनिकों के साहसिक कृत्य और पराक्रम की गाथाओं से प्रेरित करता है। आज का दिन पीछे मुड़कर देखने और अपने गौरवशाली अतीत को स्मरण करने और उसे संजोने का भी है! महत्वपूर्ण रूप से आज का दिन आत्मनिरीक्षण का दिन भी है। भारतीय गणतंत्र का अर्थ क्या है? हमारे लिए इसके मायने क्या हैं? पिछले सात दशक के दौरान यह किस दिशा में आगे बढ़ा है? और आने वाले वर्षों में एक गणतंत्र के रूप में हमें क्या करने की आवश्यकता है?
आज के दिन संविधान सभा के उन सम्मानित सदस्यों को याद कीजिए जिन्होंने हमें अपने संविधान के जरिये एक ऐसा बुनियादी बल प्रदान किया, जिस पर हमें बहुत गर्व कर सकते हैं। आज का दिन इस पवित्र दस्तावेज़ के प्रति अपने विश्वास और प्रतिबद्धता को दोहराने का भी दिन है जिसने आज के भारत का निर्माण किया है। यद्यपि हमारे संविधान का कलेवर विस्तृत है क्योंकि उसमें, राज्य के काम-काज की व्यवस्था का भी विवरण है। लेकिन संविधान की संक्षिप्त प्रस्तावना में लोकतंत्र, न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के मार्गदर्शक सिद्धांत, सार-गर्भित रूप से उल्लिखित हैं। इन आदर्शों से उस ठोस आधारशिला का निर्माण हुआ है जिस पर हमारा भव्य गणतंत्र मजबूती से खड़ा है। इन्हीं जीवन-मूल्यों में हमारी सामूहिक विरासत भी परिलक्षित होती है।
प्रस्तावना की शुरुआत ‘हम भारत के लोग..’ से होती है। इसका मतलब है कि हम सब महत्वपूर्ण हैं। नागरिक होना गर्व की बात है। सब राष्ट्रीय हित में कार्य करेंगे तो देश मजबूत होगा। इसी प्रकार हमको मूल अधिकारों की भी जानकारी होनी चाहिए।  संविधान ने छह मूल अधिकार प्रदान किये हैं जो इस प्रकार हैं- समता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार शोषण के विरुद्ध अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, संस्कृति एवं शिक्षा का अधिकार और संवैधानिक उपचारों का अधिकार।
बयालीसवें संविधान संशोधन से मूल कर्तव्य जोड़े गए। इसमें कहा गया कि प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य होगा कि वह- संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों राष्ट्र ध्वज और रार्ष्ट्गान का आदर करे। स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शाे को हृदय में संजोए रखे व उनका पालन करें।
भारत की प्रभुता एकता व अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। देश की रक्षा करें और आवाहन किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करे। ऐसे ही और भी की कर्तव्य निश्चित किए गए। गणतंत्र दिवस पर इन सभी बातों से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए, जिससे हम आदर्श नागरिक के रूप में राष्ट्र के विकास में अपना योगदान कर सकें। इन जीवन-मूल्यों को, मूल अधिकारों तथा नागरिकों के मूल कर्तव्यों के रूप में हमारे संविधान द्वारा बुनियादी महत्व प्रदान किया गया है।
अधिकार और कर्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। संविधान में उल्लिखित मूल कर्तव्यों का नागरिकों द्वारा पालन करने से मूल अधिकारों के लिए समुचित वातावरण बनता है। आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करने के मूल कर्तव्य को निभाते हुए हमारे करोड़ों देशवासियों ने स्वच्छता अभियान से लेकर कोविड टीकाकरण अभियान को जन-आंदोलन का रूप दिया है। ऐसे अभियानों की सफलता का बहुत बड़ा श्रेय हमारे कर्तव्य-परायण नागरिकों को जाता है। मुझे विश्वास है कि हमारे देशवासी इसी कर्तव्य-निष्ठा के साथ राष्ट्र हित के अभियानों को अपनी सक्रिय भागीदारी से मजबूत बनाते रहेंगे।
भारत का विकास एक मज़बूत संघराज्य के बिना संभव नहीं है। हमारे संविधान निर्माताओं ने एक मज़बूत संघीय ढांचे का सपना देखा था जहां सभी राज्य और केंद्र विकास की यात्रा में बराबर के सहभागी हों। जहां कोई बड़ा न हो, कोई छोटा न हो. हमें उस मनःस्थिति को बदलना होगा जहां राज्यों का अस्तित्व दिल्ली की दया पर निर्भर हो। हमें यह मानना होगा कि हमारे देश के खजाने में संचित धन पर देश के सभी नागरिकों का अधिकार है। गणतंत्र के दिन हमें गौरवशाली इतिहास को याद करना चाहिए। क्योंकि गौरवशाली इतिहास के आधार पर ही हम स्वर्णिम भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।
- रोहित माहेश्वरी
 
                                                                        
                                                                    