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वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) से वित्तीय समावेश के मामले में प्रदर्शन सुधारने और ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण आवंटन बेहतर करने के लिए कहा। वित्तीय सेवाओं के विभाग के सचिव विवेक जोशी की अगुवाई में हुई क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की समीक्षा बैठक में इन बैंकों की वित्तीय व्यवहार्यता योजनाओं पर भी चर्चा की गई। इसकी वजह यह है कि कुछ आरआरबी घाटे में चल रहे हैं। आधिकारिक बयान के मुताबिक, पुणे में आयोजित इस बैठक में वित्तीय सेवाओं के विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक, नाबार्ड, प्रायोजक बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आरआरबी के चेयरपर्सन भी शामिल हुए।
इस दौरान जोशी ने विभिन्न परिचालन मानकों पर आरआरबी के प्रदर्शन पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें अपने प्रदर्शन को बेहतर करने के लिए जोर लगाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आरआरबी को ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण वितरण को सुधारने और वित्तीय समावेश की दिशा में सरकारी प्रयासों के अनुरूप कदम उठाने होंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में कारीगरों, छोटे किसानों और कृषि श्रमिकों को कर्ज एवं अन्य सुविधाएं देने के लिए आरआरबी अधिनियम, 1976 के तहत क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का गठन किया गया था। फिलहाल इन बैंकों में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत है जबकि 35 प्रतिशत हिस्सा संबंधित प्रायोजक बैंक और 15 प्रतिशत उस राज्य की सरकार के पास है।
 
                                                                        
                                                                    