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उच्चतम न्यायालय ने 3,300 करोड़ रुपये की कर्ज धोखाधड़ी की आरोपी एक कंपनी की चेयरपर्सन एवं डोमिनिकन रिपब्लिक की नागरिक सुमन विजय गुप्ता के जवाब पर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को अपना पक्ष रखने की अनुमति दे दी है। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने बृहस्पतिवार को एसबीआई की याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान गुप्ता के वकील ने कहा कि उनकी मुवक्किल ने बैंक की अर्जी का जवाब दे दिया है और उन्हें विदेश जाने की अनुमति दे दी जाए।
एसबीआई की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसका विरोध करते हुए कहा कि उन्हें गुप्ता के जवाब पर प्रति-उत्तर दाखिल करने की मंजूरी दी जाए। पीठ ने इस पर कहा, भारतीय स्टेट बैंक को अगर जरूरी हो तो जवाबी हलफनामा दाखिल करने की अनुमति दी जाती है। इसके साथ ही न्यायालय ने इस विशेष अनुमति याचिका पर 14 अप्रैल को अगली सुनवाई करने की बात कही। उच्चतम न्यायालय ने 16 मार्च को इस मामले में एसबीआई की अपील पर फौरन सुनवाई करते हुए बंबई उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी।
उच्च न्यायालय ने मुंबई स्थित उषदेव इंटरनेशनल लिमिटेड (यूआईएल) की चेयरपर्सन गुप्ता को विदेश जाने की अनुमति इस शर्त पर दी थी कि वह भारत लौटकर कानूनी प्रक्रिया का सामना करने का हलफनामा देंगी। उच्चतम न्यायालय में सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि गुप्ता ऐसी कंपनी की प्रमुख हैं जिसने 3,300 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। उस कर्ज को एनपीए घोषित किए जाने के बाद गुप्ता ने भारत की नागरिकता छोड़कर डोमिनिकन रिपब्लिक की नागरिकता भी ले ली। गुप्ता के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी होने के बाद उन्हें विदेश जाने से रोक दिया गया था। इसके साथ ही सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि हलफनामा देकर विदेश जाने की मंजूरी देने के मामले में पिछले अनुभव काफी खराब रहे हैं। कर्ज धोखाधड़ी का मामला सामने आने के बाद यूआईएल के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया शुरू की गई थी। बाद में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने गुप्ता के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी।
 
                                                                        
                                                                    