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जनजीवन को बेहतर बनाएगा सुदृढ़ होता सड़क तंत्र

जनजीवन को बेहतर बनाएगा सुदृढ़ होता सड़क तंत्र

परिवहन के साधन चाहे कितने ही विकसित हो जाए किंतु आम आदमी के लिए तो आवागमन का सबसे सुलभ और कम खर्चीला साधन सड़क परिवहन ही है।
इसी बात को ध्यान में रखकर स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई ने समूचे भारत को एक छोर से दूसरे छोर तक जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना की संकल्पना की थी। इसी संकल्प को आगे बढ़ते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत माला परियोजना का स्वप्न संजोया। और इसी दृष्टिकोण पर कार्य करते हुए राजस्थान की भजन लाल शर्मा सरकार राज्य के सड़कों का सुदृढ़ तंत्र स्थापित करने का कार्य कर रही है।
प्रदेश में मजबूत सड़क तंत्र स्थापित करने के लिए 1000 किलोमीटर का स्टेट हाईवे निर्माण हो रहा है जो राज्य के संयोजित विकास में मील का पत्थर साबित होगा। करीब 2000 करोड़ की लागत से बनने वाले स्टेट हाईवे दूर दराज के ग्रामीण क्षेत्र और  कस्बों को बड़े बाजारों और एक्सप्रेस में से सीधे जोड़ने का कार्य करेंगे।
हाल ही में राज्य के विकास की रफ्तार को तेज करते हुए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत 35 सड़कों के निर्माण की भी स्वीकृति जारी की गई। राजस्थान सरकार ने अपने अंतिम बजट में भी 1150 करोड रुपए प्रदेश में सड़क निर्माण के लिए रख छोड़े हैं। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने हाल ही में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत प्रदेश में 251.58 करोड रुपए लागत से 394.65 किलोमीटर सड़कों की मंजूरी दी। यह प्रस्ताव दो वर्षों से लंबित था। ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क निर्माण से गांव से शहरों तक का संपर्क सुदृढ़ होगा। इसके ग्राम विकास को तो प्रगति मिलेगी ही, ग्रामीण उत्पादों को शहरों और मुख्य बाजारों तक पहुंचाना  सुगम होगा। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा जो वर्ष 2047 तक विकसित भारत के संकल्प को प्रबल बनाएगा।
इसके साथ ही राज्य में निर्माणाधीन स्टेट हाईवे और एक्सप्रेस में भी राजस्थान को देश का विकसित प्रदेश बनाने में सहायक होंगे ।राज्य में दूर दराज इलाकों के लोगों को बेहतर शिक्षा, चिकित्सा और अन्य सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए यह उत्तम संपर्क माध्यम होगा। इन परियोजनाओं को मूर्त रूप देने के लिए इसी माह 28 फरवरी से 8 मार्च तक विश्व बैंक का दल भी प्रदेश का दौरा करेगा। एक हजार किलोमीटर स्टेट हाईवे का निर्माण राजस्थान स्टेट हाईवे अथॉरिटी के माध्यम से होगा । अगले तीन वर्षों में इन राजमार्गों का निर्माण पूरा होने की उम्मीद है। सरकार का जोर प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों तक मजबूत सड़क तंत्र स्थापित करने का भी है ताकि जरूरत पड़ने पर  सेना को त्वरित सहयोग मिल सके।
प्रदेश में ग्रामीण संपर्क सड़कों से लेकर एक्सप्रेस हाई-वे तक का निर्माण कार्य तीव्र गति से चल रहा है। सर्वाधिक महत्वाकांक्षी दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे का निर्माण तो अब अंतिम चरण में है । लालसोट से दिल्ली के निकट सोहाना तक तो इसका लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर ही चुके हैं। शेष एक्सप्रेस- वे भी अब संपूर्ण होने को है। इसमें भी झालावाड़ से सूरत तक का एक्सप्रेस वे  खंड अगले मार्च माह तक प्रारंभ हो जाने की उम्मीद है।राजस्थान समूचे राष्ट्र के साथ अब विकास की ओर बढ़ रहा है। राजस्थान में सड़क निर्माण पिछले कई सालों से बेहतर और तीव्र गति से हो रहा है तथा राज्य की अधिकांश राज्य मार्गों और राजमार्गों का कार्य पूर्ण हो चुका है ।राज्य को मिलने वाली सबसे बेहतर सुविधा दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे के माध्यम से उपलब्ध होने वाली है।
  देश की राजधानी दिल्ली के निकट सोहना से लेकर लालसोट राजस्थान तक के एक्सप्रेसवे का शुभारंभ पिछले वर्ष प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के हाथों हो चुका है । अब उम्मीद की जा रही है कि  झालावाड़ से आगे सूरत तक यह एक्सप्रेस में इसी वर्ष मार्च के अंत तक आरंभ हो जाएगा। देश के लिए बेहद  महत्वपूर्ण भारत माला परियोजना के अधीन दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे का निर्माण तकरीबन एक लाख करोड रुपए की लागत से किया जा रहा है। इस परियोजना में सूरत तक का निर्माण कार्य तकरीबन पूरा हो चुका है और इस वर्ष मार्च माह के अंत तक आरंभ कर देने की योजना है।
मुंबई दिल्ली एक्सप्रेसवे का एक सिरा सोहना से जेवर एयरपोर्ट तक जाएगा जबकि दूसरा सिरा मुंबई के विरार से जवाहरलाल नेहरू पोर्ट खंड तक पहुंचेगा। इस तरह यह भारत का सबसे लंबा एक्सप्रेस वे होगा जो देश की राजधानी से देश की आर्थिक राजधानी को 1346 किलोमीटर की दूरी पर करते हुए जोड़ेगा ।इसका उद्देश्य देश के आर्थिक केंद्रों ,बॉर्डर और अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी ,कोस्टल और पोर्ट कनेक्टिविटी और ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे को विकसित करना है।
दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे का निर्माण 8 लेने के साथ किया जा रहा है जिस पर भविष्य में 12 लेने का विस्तार करने की क्षमता है भी है। इस एक्सप्रेस वे की डिजाइन  स्पीड 120 किलोमीटर प्रति घंटा है । इस पर पूरी तरह से  एक्सेस कंट्रोल और क्लोजिंग  टोलिंग  की व्यवस्था होगी। इस महत्वाकांक्षी परियोजना से दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र  राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का आपस में जुड़ाव बनेगा। इसका शुरुआती बिंदु सोहना एलिवेटेड कॉरिडोर दिल्ली है और अंतिम बिंदु जवाहरलाल नेहरू पोर्ट महाराष्ट्र है। इसके माध्यम से दौसा ,कोटा ,रतलाम, वडोदरा और सूरत जैसे शहरों का भी आपस में जुड़ाव होगा। 
एक्सप्रेसवे का निर्माण चार चरणों में किया जा रहा है। इसमें से पहले चरण का गत वर्ष 12 फरवरी 2023 को दिल्ली दौसा लालसोट खंड के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकार्पण किया। यह खंड 246 किलोमीटर लंबा है और इसे 12173 करोड रुपए से अधिक की लागत से बनाया गया है ।इस खंड के आरंभ होने से दिल्ली से जयपुर का यात्रा समय 5 घंटे से घटकर  3:30 घंटे रह गया है। एक्सप्रेस वे के दूसरे चरण में जयपुर वडोदरा खंड है जो 713 किलोमीटर लंबा है ।वैसे तो इस खंड का निर्माण 2024 के अंत तक इस वर्ष दिसंबर तक प्रस्तावित है, किंतु राजमार्ग सूत्रों का कहना है कि इस संभावित मार्च तक आरंभ कर दिया जाएगा । इस एक्सप्रेसवे का तीसरा चरण वडोदरा से विरार खंड है जो 400 किलोमीटर लंबा है ।इस खंड का निर्माण अगले वर्ष के मध्य तक पूर्ण होने की आशा है। इस परियोजना का अंतिम चरण विरार जवाहरलाल नेहरू पोर्ट खंड है जो 2025 के अंत तक पूर्ण हो सकेगा। समूचा एक्सप्रेस में बनने के दिल्ली से मुंबई तक का सफर मात्र 12 घंटे का रह जाएगा। दोनों महा नगरों के बीच की दूरी भी इससे 130 किलोमीटर कम हो जाएगी। अब तक इस यात्रा में 24 घंटे से अधिक का समय लगता है ।महत्वपूर्ण बात है की एक्सप्रेस में से माल ढुलाई के समय और ईंधन में काफी बचत होगी। अब तक दिल्ली से मुंबई जाने के लिए अलग-अलग मार्ग है ।मुख्यतः दिल्ली से आगरा और आगरा से मुंबई का  राष्ट्रीय राजमार्ग है किंतु यह काफी लंबा पड़ता है।
जानकार सूत्रों के अनुसार एक्सप्रेस वे का दिल्ली सूरत खंड इस साल मार्च तक शुरू होने की उम्मीद है और 300 किलोमीटर से अधिक के दो अतिरिक्त खंड भी पूरे होने वाले हैं। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के दस्तावेजों के अनुसार बड़ोदरा और अंकलेश्वर के बीच 100 किलोमीटर का खंड लगभग पूरा हो चुका है और उद्घाटन के लिए तैयार है । लालसोट और झालावाड़ के बीच एक और 205 किलोमीटर का हिस्सा पूरा होने की और अग्रसर है । एक्सप्रेस वे की कुल लंबाई में 563 किलोमीटर के 19 पैकेजों का काम शत प्रतिशत पूरा हो चुका है। इसमें 2023 से पहले ही जनता के लिए खोले गए दो खंड शामिल है । पहला -सोहना लालसोट 247 किलोमीटर और दूसरा- झालावाड़ और मध्य प्रदेश गुजरात सीमा 245 किलोमीटर के बीच। इसके अलावा अन्य 176 किलोमीटर की दूरी गुजरात में 63 किलोमीटर और राजस्थान में 113 किलोमीटर का कार्य 95% तक पूरा हो चुका है। जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट कनेक्टिविटी को छोड़कर मुंबई तक का पूरा विस्तार दिसंबर तक पूरा हो जाने की आशा की जा रही है ।अनुमान है कि एक्सप्रेसवे का 70% के लगभग कार्य पूर्ण हो चुका है।
एक्सप्रेस वे पर दोनों तरफ  92 से अधिक सुविधा केंद्र विकसित किया जा रहे हैं ।इसमें यात्रियों  और वाहन चालकों के लिए ठहरने की डॉरमेट्री तथा होटल, रेस्टोरेंट और पेट्रोल पंप का निर्माण शामिल है। जैसे-जैसे एक्सप्रेसवे पूर्ण होता जा रहा है यह सुविधा भी साथ के साथ ही विकसित हो रही है। 
 
-  प्रद्युम्न शर्मा
  

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