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पाकिस्तान में बैठे हैं पहलगाम हमले के हैंडलर : फारूक अब्दुल्ला

पाकिस्तान में बैठे हैं पहलगाम हमले के हैंडलर : फारूक अब्दुल्ला

नगर । जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने पहलगाम आतंकी हमले को लेकर आईएएनएस से खास बातचीत की। उन्होंने पहलगाम की घटना को दर्दनाक बताया साथ ही पाकिस्तान पर कड़े एक्शन की मांग की।पहलगाम आतंकी हमले पर बात करते हुए जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा, "पहलगाम की घटना बहुत दर्दनाक थी, यह होना नहीं चाहिए था। उन लोगों ने इंसानियत का कत्ल किया है, जितनी भी इस घटना की निंदा की जाए, वह कम है। मैं मांग करता हूं कि आतंकियों को पकड़कर सजा दी जाए और ये सब लोगों के लिए मिसाल हो।"पहलगाम आतंकी हमले में पाकिस्तान का हाथ होने की बात पर उन्होंने कहा, "पहलगाम की घटना में कोई भी हो सकता है, जब तक हम उनको पकड़ेंगे नहीं तब तक हम यह नहीं कह सकते हैंडलर कौन है।

मैं कह सकता हूं कि इस हमले के पीछे वही होंगे, ये आज की बात नहीं है बल्कि उरी, पुलवामा, पठानकोट, पुंछ और मुंबई में अटैक किसने किया था? ये बात सभी लोग जानते हैं। हैंडलर तो वहीं (पाकिस्तान) बैठे हैं।"फारूक अब्दुल्ला ने आगे कहा, "उनको (पाकिस्तान) लगा कि हम अमन से रह रहे हैं और यहां हजारों पर्यटक घूम रहे हैं। उनको यह पसंद नहीं आया और वह चाहते हैं कि जब हम 1947 में उनके साथ नहीं बने हैं तो वह जितना हमें बर्बाद कर सकेंगे, वो ऐसा करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।"पहलगाम हमले में स्थानीय नागरिकों के हाथ होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं नहीं समझता कि यह घटना किसी मदद के बिना हो सकती है, जब तक आतंकियों का कोई साथ नहीं देगा ऐसा हमला नहीं होगा।

वह कहां से आए और किस तरीके से ये हमला किया? मैंने पहले भी कहा था कि जब मौलाना मसूद अजहर को छोड़ा गया था। उस समय मैंने कहा था उसको मत छोड़ें, क्या पता इस हमले में उसका भी हाथ हो, लेकिन किसी ने मेरी बात नहीं मानी और उसे लेकर चले गए। जिसने पाकिस्तान में बच्चों को मारा हो और मेरे चचेरे भाई को घर में घुसकर गोली मार दी हो। उस शख्स को हमने बड़ी मुश्किल से पकड़ा था, मगर वह उसे जहाज में बैठाकर कंधार लेकर चले गए और हमारी एक भी बात नहीं सुनी।क्या पीओके को भारत वापस ले सकता है? इस सवाल पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा, "यह देश के प्रधानमंत्री का फैसला होगा और इसमें फारूक अब्दुल्ला उनको कोई राय नहीं दे सकता है, क्योंकि वह हमारी राय मानने के लिए तैयार नहीं होते हैं।"

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