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सवालों के घेरे में है सवाल पूछने वाले !

सवालों के घेरे में है सवाल पूछने वाले !

 

लोकसभा में पैसा और गिफ्ट लेकर सवाल पूछने के मामले में तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा की मुश्किलें बढ़ गई हैं। महुआ मोइत्रा के लिए कुछ समय से बेहद परेशान करने वाला रहा हैं। सवालों में घिरी महुआ मोइत्रा को एक या दो नहीं, बल्कि तीन-तीन मामलों में उन्हें झटके लगे हैं।

पहला कि बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी ने एफिडेविट देकर सार्वजनिक तौर पर ये माना है कि वो महुआ मोइत्रा के करीबी हैं और उनकी तरफ से संसद की आधिकारिक ईमेल आईडी से खुद सवाल पूछ चुके हैं। दूसरा - दिल्ली हाईकोर्ट में महुआ के वकील को जज से तगड़ी फटकार लगी है, जिसके बाद वकील गोपाल शंकरनारायणन को केस से हटना पड़ा। एथिक्स कमेटी के अध्यक्ष विनोद सोनकर ने मीडिया से कहा कि उनको हीरानंदानी का एफिडेविट मिल गया है और प्राइमा फेसी ये गंभीर मामला लगता है।

वैसे यह किस्सा भारतीय राजनीति, कॉर्पोरेट जगत और कोर्ट का ऐसा कॉकटेल है जो पूरा देश जानना चाहता है। महुआ मोइत्रा पर लगे आरोप झूठे हैं या सही, इसी बात की मिस्‍ट्री महुआ की कहानी में थ्रिल पैदा करती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूंजीपति अडानी के संबंधों में घोटाला साबित करने की कोशिश महुआ मोइत्रा कर रही थीं, कहीं इतने बड़े लोगों को चैलेंज करने की सजा तो नहीं भुगत रही हैं मोइत्रा? हिंदुस्तान में एक कहावत है कि बिना आग धुआं नहीं दिखाई देता है। कुछ चीजें तो ऐसी रही ही होंगी जो महुआ को आज सफाई देनी पड़ रही है।

महात्मा गांधी इसलिए ही राजनीति में सादगी की बात करते थे। लुई वितां का बैग लेकर संसद में पहुंचने वाले के खिलाफ कोई सवाल उठाएगा तो संदेह के बादल तो बनेंगे ही। अब तक जो हीरानंदानी समूह कह रहा था कि इस मामले से हमारा कोई लेना-देना नहीं है उसके सीईओ दर्शन हीरानंदानी खुद सरकारी गवाह बन गए हैं। हालांकि राजनीति में ऐसे आरोप लगते रहते हैं। तो इस तरह के आरोपों से घबराना कैसा? इससे बड़े आरोप लगने के बावजूद लोग साफ साफ बच निकले हैं। पर कुछ तथ्य ऐसे हैं जिनके चलते महुआ बुरी तरह फंस सकती हैं।

हीरानंदानी समूह के सीईओ दर्शन हीरानंदानी ने अपने हलफनामे में कहा है कि उन्होंने अडानी ग्रुप के बारे में संसद में सवाल उठाने के लिए टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के संसद के ऑफिशियल पोर्टल के लॉगिन का इस्तेमाल किया था। अपने हलफनामे में उन्होंने स्वीकार किया है कि सरकार के स्वामित्व वाली इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) की कंपनी के एलएनजी टर्मिनल के बजाए ओडिशा में धामरा एलएनजी आयात सुविधा केंद्र को चुनने के बाद उन्होंने अडानी पर निशाना साधते हुए सवाल पूछने के लिए मोइत्रा के संसदीय लॉगिन का इस्तेमाल किया था।

दरअसल पासवर्ड और लॉगइन आईडी का यूज किसी और ने किया साबित हो जाता है तो यह मामला गंभीर हो जाएगा।और यह पता लगाना बहुत आसान भी है। पर इस मामले पर महुआ कोई जवाब देती नहीं दिख रही हैं। अपने ट्वीटर हैंडल पर वो निशिकांत दुबे द्वारा उनके आईपी एड्रेस की जांच के लिए लोकसभा अध्यक्ष को भेजे गए लेटर के जवाब में लिखती हैं कि सांसदों के सभी संसदीय कार्य पीए, सहायकों, प्रशिक्षुओं, बड़ी टीमों द्वारा किए जाते हैं। आदरणीय अश्विनी वैष्णव जी कृपया सीडीआर के साथ सभी सांसदों के स्थान और लॉगिन विवरण जारी करें। कृपया लॉगिन करने के लिए कर्मचारियों को दिए गए प्रशिक्षण की जानकारी जारी करें।

रियल स्टेट कारोबारी हीरानंदानी ने अपने हलफनामें में यह भी दावा किया है कि टीएमसी सांसद ने महंगे लग्जरी आइटम, दिल्ली में उनके बंगले की मरम्मत, यात्रा खर्च, छुट्टियों के अलावा देश और दुनिया में अलग-अलग जगहों पर यात्राओं के लिए उनसे कई बार मदद ली है। जाहिर है कि उन्होंने बिना सबूत ये आरोप नहीं लगाएं होंगे। क्योंकि इस तरह के गंभीर आरोप अगर झूठे निकलते हैं उल्टे दर्शन फंस सकते हैं। अगर ये आरोप साबित होते हैं तो महुआ की मुश्किलें बढ़नी तय हैं। कोर्ट में इन खर्चों के रिसीट यह साबित करने के लिए काफी हो जाएंगे कि उन्होंने रिश्वत लेकर संसद में सवाल पूछे थे। महुआ दर्शना हीरानंदानी के सारे आरोपों के जवाब फैक्ट्स के साथ देने की बजाय आरोप लगाने वाले की टेक्निकलटी पर जा रही हैं। जैसे दर्शन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों नहीं आरोप लगाने के लिए? आरोपों को उन्होंने खुद क्यों नहीं पढ़ा ? ट्वीट क्यों नहीं किया? उनकी कंपनी की ओर से ये बातें क्यों नही की गईं? दर्शन के आरोप कंपनी के लेटरहेड पर क्यों नहीं हैं? आरोप नोटरीकृत क्यों नहीं है? महुआ के ये सभी जवाब उनके समर्थन में कहीं से खड़ा नहीं होते। उनके इस तरह के तर्कों से लगता है कि उनके पास जवाब देने के लिए कुछ नहीं है। जरूरी नहीं है कि आरोप लगाने के लिए पीसी ही बुलाई जाए। और ये भी जरूर नहीं इस तरह के आरोप अपनी कंपनी के लेटरहेड पर ही लिखे जाएं।

महुआ अपने लिखे जवाब के पैराग्राफ 12 में दावा करती हैं कि दर्शन ने मेरी मांगें मान लीं, क्योंकि उसे डर था कि मैं नाराज न हो जाऊं। दर्शन और उनके पिता भारत के सबसे बड़े बिजनेस ग्रुप के संचालक हैं। यूपी और गुजरात में उनकी हालिया परियोजनाओं का उद्घाटन उत्तर रदेश के मुख्यमंत्री और प्रधान मंत्री द्वारा किया गया है। दर्शन हाल ही में प्रधानमंत्री के साथ उनके व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में विदेश गए थे। ऐसे धनी, सफल व्यवसायी जिसकी हर मंत्री और पीएमओ तक सीधी पहुंच है, उसे पहली बार के विपक्षी सांसद द्वारा उसे उपहार देने और उसकी मांगों को मानने के लिए क्यों मजबूर किया जाएगा? महुआ द्वारा दिया यह तर्क जितना उनको निर्दोष साबित करता है उतना ही दर्शन हीरानंदानी को भी। जिस शख्स के पास इतनी दौलत है, इतनी पहचान है , इतना बड़ा साम्राज्य है वह इस पचड़े में क्यों पड़ेगा। हीरानंदानी के पास इस पचड़े में पाने के लिए कुछ नहीं है , खोने के लिए बहुत बड़ा औद्योगिक साम्राज्य है। हां ये हो सकता है कि हीरानंदानी ने महुआ के साथ मिलकर कुछ गलत किया हो। और सही है कि हर गलत करने वाला दूसरों के इशारे पर नाचने को मजबूर होता है। और अगर हीरानंदानी ने कोई गलती है की है तो महुआ का भी फंसना तय है।

संसद में सवाल पूछने के आरोपों का सामना कर रही टीएमसी सांसद महुआ के मामले में कांग्रेस नेता अधीर रंजन खड़े हुए है उन्होंने कहा कि किसी खास व्यक्ति या उद्योगपति को बचाने के ल‍िए सरकार को दिक्कत हो रही है। अधीर रंजन ने कहा कि सदन में हम जनता के प्रतिनिधि होते हैं। जब भी कोई हमारे पास सवाल होता है तो उसको उठाने की कोशिश करते हैं। अधीर रंजन ने सांसद महुआ के मामले की जांच करने को गठित एथ‍ीक्‍स कमेटी को लेकर भी सवाल उठाए। उन्‍होंने कहा, 'इस मामले में इतनी तत्‍परता द‍िखाना और एथीक्स कमेटी बनाकर जांच शुरू करने का ऐसा तरीका पहले कभी नहीं देखा। सदन के अंदर हर सदस्य को बोलने का अधिकार है। सरकार 'राई का पहाड़' बनाने की कोश‍िश कर रही है। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया क‍ि सरकार एक खास उद्योगपति को बचाने को इतनी उत्सुक है कि अगर कोई उसके खिलाफ सवाल पूछता है तो वह देश का दुश्मन बन जाता है। उन्‍होंने कहा क‍ि एक उद्योगपत‍ि के खिलाफ आवाज उठाने पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के ख‍िलाफ भी कार्रवाई की गई। महुआ मोइत्रा पर आरोप लगाने वाले सदस्‍यों को लेकर कांग्रेस नेता ने यह भी कहा क‍ि सरकार के नुमाइंदे जो बात कर रहे हैं, उनके साथ तो सीबीआई, ईडी जैसी तमाम एजेंस‍ियां हैं। इन सभी को तैनात कर दीज‍िए।

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