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राजस्थान विधानसभा के चुनाव ज्यों ज्यों नज़दीक आते जा रहे है त्यों त्यों भाजपा कार्यकर्ताओं
के दिलों की धड़कन तेज होती जा रही है। इसका और कोई कारण नहीं बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री
वसुंधरा राजे है जो अब तक पूरी तरह चुनाव प्रचार में सक्रीय नहीं हुई है। पार्टी की परिवर्तन
यात्राओं में भी बड़े नेताओं की कुछ रैलियों में राजे जरूर दिखी मगर अन्य रैलियों में नदारद
रही। इसका कारण पार्टी आलाकमान से उनकी बेरुखी को देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री अशोक
गहलोत राज्य में अपनी सरकार को रिपीट करवाने के लिए लोगों में जीत का गारंटी कार्ड बांट
रहे है। मगर भाजपा में जीत का गारंटी कार्ड वसुंधरा राजे के पास है। भाजपा में इस समय
सर्वाधिक सक्रीय नेताओं में प्रतिपक्ष के नेता राजेंद्र राठौड है जिनकी तूती पूरे राज्य में बोल रही
है। पार्टी के पास जाट नेताओं में सतीश पूनिया, राजपूत नेताओं में राजेंद्र राठौड़ और केंद्रीय
मंत्री गजेन्द्रसिंह, दलित नेताओं में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल, आदिवासियों में डॉ किरोड़ी लाल
मीणा, ब्राह्मणों को लुभाने के लिए घनश्याम तिवाड़ी और प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी सरीखे
जनाधार वाले नेता मौजूद है। मगर करिश्माई नेता वसुंधरा राजे की गैर मौजूदगी पार्टी
कार्यकर्ताओं को रास नहीं आ रही है। जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं के मन में रह रह कर यह
सवाल उठ रहा है की आखिर यह बात बीजेपी आलाकमान को समझ में क्यों नहीं आ रही है की
राजस्थान में बिना वसुंधरा राजे के चुनावी वैतरणी पार नहीं की जा सकती। यह भी सच है
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने वसुंधरा को प्रदेश से हटाकर केंद्र में लाने
की लाख कोशिश की मगर सफल नहीं हुए। उनका राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद भी वसुंधरा को नहीं
डिगा सका। अब जबकि विधान सभा चुनाव में गिनती के दिन शेष रहे है, भाजपा ने कोई साफ
निर्णय नहीं लिया तो पार्टी की नैय्या को मँझदार में डूबने से कोई नहीं बचा पायेगा। विधानसभा
चुनाव में वसुंधरा राजे की अनदेखी भाजपा को भारी भी पड़ सकती है। वहीँ वसुंधरा राजे का
कहना है किसी के चाहने से कुछ नहीं होता है, वहीं व्यक्ति शासन करेगा, जिसे सभी समुदायों
का प्यार मिलेगा।
प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सियासत में खूब लड़ी मर्दानी के रूप में प्रसिद्ध है। दो बार राजस्थान
की मुख्यमंत्री रही वसुंधरा के राजनीतिक कौशल का लोहा उनके विरोधी भी मानते है। राजस्थान में वसुंधरा
राजे जितना बड़ा कद और करिश्मा किसी और नेता का नहीं है। वसुंधरा राजे को आगे रखे बिना राजस्थान
में भाजपा सत्ता में नहीं आ सकती। यह भी सत्य है भैरो सिंह शेखावत जैसे कद्दावर नेता भी राजस्थान में
कभी पूर्ण बहुमत नहीं ला पाए थे, लेकिन वसुंधरा राजे दो-दो बार प्रचंड बहुमत लेकर आईं।
अपने दम खम पर दो बार मुख्यमंत्री रही राजनीति में अपराजेय वसुन्धरा अपनी माता विजय राजे की
प्रेरणा से 1982 में राजनीति में आईं। खूब लड़ी मर्दानी की छवि वाली वसुन्धरा ने अपनी प्रारम्भिक
राजनीति अपने गृह प्रदेश मध्य प्रदेश से अपनी माता विजय राजे सिंधिया के सानिध्य में शुरू की। मगर
अपने भाई माधवराव सिंधिया से अनबन के चलते मध्य प्रदेश की राजनीति में सफल नहीं हुई। 1984 में वो
अपने गृह राज्य राजस्थान वापस आयीं और बतौर भाजपा की राष्ट्रीय सदस्या के रूप में राजनीतिक पारी
की शुरुआत की।
एक प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक होने के बावजूद वसुन्धरा जी का जीवन बहुत संघर्षमय बीता, लेकिन
जीवन के हर संघर्ष का उन्होंने दृढ़ता से सामना किया। केवल आठ साल की उम्र में इन्होंने अपने पिता को
खो दिया था, लेकिन मां श्रीमती विजयाराजे द्वारा दिए गए संस्कारों ने इन्हें सदैव संबल प्रदान किया।
वसुन्धरा का राजनीति में पदार्पण सन् 1984 में हुआ। इसी वर्ष वे धौलपुर से 8वीं राजस्थान विधानसभा के
सदस्य के रूप में भी निर्वाचित हुई। दरअसल यह वह समय था जब श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के बाद
कांग्रेस और श्री राजीव गांधी को विधानसभा चुनावों में भारी बहुमत प्राप्त हुआ था। लेकिन वसुन्धरा जी ने
पूरे देश में कांग्रेस का बहुमत होने के बावजूद विधानसभा चुनावों में सफलता हासिल की थी। इन्हीं
सफलताओं के कारण सन् 1987 में उन्हें राजस्थान भाजपा का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। 1987 तक
वसुंधरा ने राजस्थान बीजेपी के उपाध्यक्ष की कुर्सी पर अपना कब्जा कर लिया।
2018 का विधान सभा चुनाव हार जाने के बावजूद वसुंधरा राजे की पकड़ अपनी पार्टी में कमजोर नहीं हुई
है। भाजपा आलाकमान की लाख चेष्टा के बाद भी वे राजस्थान की सियासत छोड़ने को तैयार नहीं है। देश
में भाजपा में वे अकेली नेता है जो प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और अध्यक्ष अमित शाह को नाकों चने चबाये हुए
है। अपनी सियासी पकड़ और लोकप्रियता के फलस्वरूप वसुंधरा से सीधे तौर पर टकराने की हिम्मत
भाजपा में किसी नेता में नहीं है।  
 
                                                                        
                                                                    