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उदयपुर कलक्टर के मिशन कोटड़ा ने बदली जनजाति अंचल की तस्वीर

उदयपुर कलक्टर के मिशन कोटड़ा ने बदली जनजाति अंचल की तस्वीर

सीएम एक्सीलेंस अवार्ड से राज्य भर में चर्चित हुआ मिशन कोटड़ा


उदयपुर । मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा जिला कलक्टर ताराचंद मीणा को सिविल सेवा दिवस के अवसर पर मिशन कोटड़ा के लिए मुख्यंमंत्री सार्वजनिक सेवा उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित करने के बाद मिशन कोटड़ा की चर्चा पूरे प्रदेश में है। आदिवासी अंचल में राहत देता यह अभियान नजीर बना है। अभियान से उदयपुर जिले के दूरस्थ एवं सर्वाधिक पिछड़े ब्लॉक कोटड़ा में अवस्थित लोगों के जनजीवन में व्यापक परिवर्तन हुआ है जिसकी मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव ने भी कई बार सराहना की है। जिला कलक्टर ताराचंद मीणा इस सफलता का श्रेय खुद न लेते हुए सभी अधिकारियों, स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं स्थानीय लोगों को देते हुए कहते हैं कि अगर आमजन का साथ न मिला होता तो शायद मिशन कोटड़ा सफल न होता।

क्या है मिशन कोटड़ा?
जिला कलक्टर ताराचंद मीणा ने उदयपुर में पदभार संभाला तो देखा कि यहां के जनजाति अंचल के लोग बहुत पिछड़े हुए हैं एवं योजनाओं का सही से लाभ नहीं ले पा रहे हैं। इस पर कलक्टर कोटड़ा पहुंचे, स्थिति की समीक्षा की तथा पाया कि यहां लोगों में जागरूकता का नितांत अभाव है सरकारी मशीनरी और लोगों में तालमेल की भी कमी है...और यहीं से शुरू हो गया मिशन कोटड़ा। ब्लॉक कोटड़ा में सभी विभागों के अधिकारियों ने मिशन मोड पर योजनाओं से वंचित लोगों को चिन्हित कर उन्हें सभी योजनाओं से लाभान्वित करने का कार्य 30 जनवरी 2022 से शुरू किया। अभियान में सभी विभाग धरातल पर उतरे और योजनओं का लाभ घर-घर जाकर देने का सिलसिला शुरू हुआ। शुरूआत में कुछ कठिनाई जरूर अनुभूत हुई लेकिन जिला कलक्टर ताराचंद मीणा के मार्गदर्शन से अधिकारियों में भी उत्साह बना रहा और अभियान सफलता की ओर बढ़ता चला गया।

मिशन कोटड़ा से आया व्यापक परिवर्तन
मिशन कोटड़ा के सफल क्रियान्वयन से कोटडा उपखण्ड में पालनहार योजना के लाभार्थी 947 से बढ़कर 2034, पेंशन योजनाओं के लाभार्थी 33910 से बढ़कर 38616, दिव्यांग पंजीयन 650 से बढ़कर 1149, सिलिकोसिस पंजीयन 493 से बढ़कर 730 हो गए। कोटड़ा में राज्य सरकार ने औद्योगिक क्षेत्र घोषित किया, देवला से कोटड़ा 50 किमी सड़क का निर्माण मिशन मोड पर किया। ऐसे ही डेयरी बूथ शून्य से 10, खेल स्टेडियम शून्य से 11, कृषि मण्डी शून्य से 1 हो गई। शिक्षा में सुधार को लेकर अधिकारी घर-घर गए और बच्चों को मजदूरी के बजाय स्कूल भेजने के लिए परिजनों को प्रेरित किया जिससे नामांकन में 12.69 प्रतिशत का इजाफा हुआ। ऐसे ही गर्भवती महिलाओं के पंजीयन में भी 18.35 प्रतिशत का इजाफा हुआ जिससे संस्थागत प्रसव बढ़े एवं जच्चा-बच्चा की सुरक्षा सुनिश्चित हुई। टीकाकरण भी 12.92 प्रतिशत बढ़ा।

निरंतर समीक्षा, विजिट एवं बैठकों से आया सुधार
मिशन कोटड़ा के तहत उच्चाधिकारियों द्वारा निरंतर कोटड़ा का भ्रमण एवं समीक्षा सुनिश्चित की गई। कलक्टर ताराचंद मीणा ने मिशन कोटड़ा पंचायत समिति में कई बार अधिकारियों की बैठक लेकर समीक्षा की। ग्राम पंचायत स्तर पर शिविर लगा कर योजनाओं से लोगों को जोड़ा, जनप्रतिनिधियों एवं एनजीओ से संवाद कार्यक्रम आयोजित किए, मिशन कोटड़ा के तहत विभिन्न दायित्वों के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए।

इन योजनाओं पर हुआ मिशन मोड पर काम
मिशन कोटड़ा के तहत सड़क कनेक्टिविटी को काफी सुधारा गया। गतिमान प्रशासन बस के माध्यम के प्रशासन गांव गांव पहुंचा। क्षेत्र में मोबाइल कनेक्टिविटी में व्यापक सुधार लाया गया, एसएचजी के उत्पादों को बाजार देकर लाभान्वित किया।
मिशन कोटड़ा के तहत क्षेत्र में मुख्य रूप से पालनहार योजना, विभिन्न सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनाओं, दिव्यांग प्रमाण पत्र, आधार एवं जन आधार पंजीयन, एसएचजी ट्रेनिंग, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि पर फोकस रख कर काम हुआ। कोटड़ा जनजाति अंचल के कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए आदि महोत्सव का सफल आयोजन हुआ। कोटड़ा के स्थानीय कलाकारों को जी 20 बैठकों, गणतंत्र दिवस एवं स्वतंत्रता में भी प्रस्तुति का अवसर प्रदान किया गया। कोटड़ा की खेल प्रतिभाओं को राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर खेलने के अवसर प्रदान किए गए। मिशन कोटड़ा के तहत सीएसआर एवं डीएमएफटी के तहत भी विकास कार्य कलक्टर ने सुनिश्चित किए। यहां इको टूरिज्म को प्रोत्साहित करने के लिए व्यापक प्रचार प्रसार किया।

कोटड़ा की उन्नति के लिए जारी रहेंगे प्रयास
समग्र दृष्टिकोण, प्रशासनिक प्रणाली का इष्टतम उपयोग, मशीनरी को मोबिलाइजेशन, छूटी हुई कडि़यों को जोड़ने, समस्याओं की पहचान करना और योग्य व्यक्तियों को लाभ प्रदान करने के लिए निरंतर प्रयासों से मिशन कोटड़ा सफलता की ओर है। अब कलक्टर का प्रयास है कि क्षेत्र के लोगां को स्थायी रोजगार के साधन सुलभ हो एवं यहां बाल मजदूरी, बाल विवाह सहित अन्य कुप्रथाओं का जड़ से सफाया हो जाए।

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