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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से हुंकार भरी है कि अगली बार भी वे ही लाल किले पर
तिरंगा फहराएंगे। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे ने पलटवार करते हुए कहा वे अपने घर
पर झंडा फहराएंगे। ये सारी बयानबाजी अगले लोकसभा चुनाव को लेकर हो रही है। भाजपा ने
लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर अपनी तैयारियां अभी से शुरू कर दी है। यूपी देश का सबसे
बड़ा प्रदेश है। यही प्रदेश करेगा लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री के ताज का फैसला। प्रदेश की 80
लोकसभा सीटों की राजनीति को साधने के लिए लगातार कवायद चल रही है। भाजपा ने छोटे
दलों के साथ अपने सम्बन्ध मज़बूती से तलाशने शुरू कर दिए है। यूपी चुनाव में जातीय
ध्रुवीकरण सियासत पर हावी होता है। यहाँ भाजपा के सामने सपा की चुनौती मुख्य रूप से है।
हालांकि बसपा और कांग्रेस जैसे दल भी चुनावी मैदान में होंगे। यह चुनाव देश की दशा और
दिशा को तय करेगा इसमें कोई दो राय नहीं है। पिछले चुनाव में भाजपा और सहयोगियों ने 62
सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब हुई। एनडीए को 64 सीटों पर जीत मिली। बसपा ने 10,
सपा ने 5 और कांग्रेस ने एक सीट जीती। भाजपा 2019 के चुनाव में हारी हुई 16 लोकसभा
सीटों पर भी जीत हासिल करने की रणनीति पर काम कर रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साल 2014 से ही बीजेपी के ऐसे चेहरे हैं जिस पर बीजेपी की पूरी राजनीति टिकी हुई
है। चुनाव कहीं भी चेहरा सिर्फ नरेंद्र मोदी हैं। इस समय मोदी के साथ योगी मुख्य चुनावी फेस है। भाजपा
कश्मीर, राम मंदिर, राष्ट्रीय सुरक्षा और विकास के मॉडल पर आगे बढ़ रही है। पार्टी इन्हीं मुद्दों को जनता
तक ले जाने में जोर दे रही है। मोदी का निर्वाचन क्षेत्र यूपी होने का फायदा भी भाजपा को मिल रहा है।
ओबीसी नेता ओम प्रकाश राजभर और दारा सिंह चौहान के एनडीए में आने के बाद भाजपा और अधिक
सशक्त हुई है।
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी यूपी में इतनी अधिक सीटें नहीं ला सके। नेहरू, चंद्र शेखर ,
इंदिरा गाँधी , राजीव गाँधी हो या चौधरी चरण सिंह या वीपी सिंह अथवा लोहिया कोई भी मोदी जैसी
लोकप्रियता यूपी में हासिल नहीं कर पाए। इसे मोदी का करिश्मा ही कहा जायेगा की कांग्रेस केवल 1 सीट
पर सीमित होकर रह गई। उस चुनाव में जातीय समीकरण भी ढह गए और लोगों ने मोदी पर विश्वास
व्यक्त किया। उत्तर प्रदेश की सियासत जातियों के ईर्दगिर्द ही घूमती है। यूपी चुनाव में जातीय समीकरण
शुरु से ही अहम भूमिका निभाता आया है, ऐसे में सभी पार्टियां अपनी चुनावी रणनीति जातीय समीकरण
को ध्यान में रखते हुए ही बनाती हैं। राजनीति में जातीय समीकरण का बड़ा खेल हमेशा से माना जाता रहा
है। उत्तर प्रदेश के जाति गणित को समझें तो सवर्ण 18-20 प्रतिशत, ओबीसी 42 प्रतिशत, दलित 21
प्रतिशत और मुस्लिम 18 प्रतिशत है। सवर्णों में सबसे ज्यादा तादाद ब्राह्मणों की 8-9 प्रतिशत है. जबकि
राजपूतों की 8 प्रतिशत और वैश्य की 3-4 प्रतिशत है ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए यह चुनाव करो या मरो की लड़ाई होंगी । यूपी चुनाव में धर्म और जातीय
समीकरण भी एक अहम रोल अदा करता है और सभी पार्टियां इस पर गणित बैठाने में लगी हुई हैं। वोट बैंक
के लिहाज से देखें तो यूपी में मुसलमानों की संख्या करीब 17 प्रतिशत है । बीते विधानसभा चुनाव में भी
सपा को 60 प्रतिशत से ज्यादा मुस्लिम वोट मिले थे। बीजेपी को यूपी में आने से रोकने के लिए मुस्लिम
समुदाय उस पार्टी को वोट देगी जो उनको कड़ा मुकाबला दे सके। सपा के पास अपना परंपरागत 9 प्रतिशत
यादव वोट है जो किसी और पार्टी को नहीं जाता है साथ ही मुसलमानों का एक बड़ा प्रतिशत भी उसके साथ
है। बसपा के पास अपना दलित वोट बैंक के साथ मुस्लिम मतों का सहारा भी है। भाजपा स्वर्ण और राजपूत
मतदाताओं पर अपना अधिकार जमाती है। 41 प्रतिशत ओबीसी जनसंख्या को भी टारगेट किया जा रहा
है। यूपी में भाजपा राजनाथ सिंह के जरिए 8 प्रतिशत ठाकुर वोट जीतना चाहेगी। ब्राह्मण, कुर्मी व
भूमिहार वोट जिनकी संख्या करीब तेरह प्रतिशत है भी बीजेपी को अच्छा समर्थन देंगे, क्योंकि यह यूपी में
परंपरागत इन्हीं के साथ जुड़े रहे हैं।
यूपी में सबसे बड़ा संकट कांग्रेस के साथ है जिसके पास केवल एक सीट है। राहुल गांधी कांग्रेस की अपनी
परम्परागत अमेठी सीट गंवा चुके है। कांग्रेस के पास यूपी में कोई भी बड़ा नेता नहीं है जो मायावती व
अखिलेश यादव से टक्कर ले सके। कांग्रेस में आपसी मतभेद भी बढ़ रहे हैं। प्रियंका और राहुल गांधी भी
कांग्रेस को दोबारा खड़ा करने में पूरी तरह नाकामयाब साबित हुए हैं। अब यह फैसला यूपी की जनता करेगी
की वह किसे जीत की वरमाला पहनाएगी मगर यह सच है की भाजपा को यहाँ अपनी पूर्ववत स्थिति प्राप्त
करने के लिए जोरदार प्रयास करना पड़ेगा।
 
                                                                        
                                                                    