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पशुपालन कार्यो में नवीनतम तकनीकों एवं उपकरणों की उपयोगिता

पशुपालन कार्यो में नवीनतम तकनीकों एवं उपकरणों की उपयोगिता

बुधवार को कृषि विज्ञान केन्द्र पोकरण ने खेतोलाई ग्राम पंचायत में पशुपालन प्रबंधन में नवीनतम तकनीकों एवं उपकरणों का महत्व विषयक किसान चौपाल का आयोजन किया गया।  खेती एवं पशुपालन कार्य कड़ी मेहनत एवं श्रम युक्त होते हैं एवं दोनों ही कार्य एक दुसरे के पूरक एवं अभिन्न अंग हैं। केंद्र के प्रभारी डॉ बलबीर सिंह ने बताया कि खेती के विभिन्न कार्यो को सरल बनाने, श्रम को कम करने एवं समय को बचने हेतु अनेक उन्नत तकनीकियां और यंत्र उपलब्ध हैं परन्तु पशुपालन कार्यों एवं रखरखाव के दौरान कृषक आज भी वही पारंपरिक तरीकों और तकनीकों का इस्तेमाल करते है । पशुपालन कार्यों एवं पशुओं के रख रखाव इत्यादि कार्यों में लगने वाली अत्यधिक मेहनत, श्रम एवं थकान को दूर करने के लिए विभिन्न उन्नत सरल एवं उन्नत तकनीकियां एवं यंत्र न केवल थकान को दूर करते हैं बल्की श्रम को भी कम करते हैं। कार्यक्रम में पशुपालन विशेषज्ञ डॉ राम निवास ढाका ने  बताया कि उन्नत तकनीकियों जैसे चारा कुट्टी मशीन, मेंजर, पशु नांद, ठाण, दूध दोहन हेतु ट्रोली एवं चोकी रेक एवं शोवेल ट्राली  का प्रयोग कर कृषक अपने पशुपालन कार्यों में समय की भी बचत कर सकता है । उन्होंने पशुपालन तकनीको एवं यंत्रो का उपयोग करके किसान अपने श्रम एवं समय का प्रबंधन कर करके थकान को काफी हद तक दूर करने के साथ साथ पशुपालन में आने वाली लागत को कम करने की बात कही । उन्होंने पशुपालकों को व्यावसायिक दृष्टिकोण अपनाते हुये पशुपालन का कार्य करने की सलाह दी। जिससे पशुपालन आय का एक अतिरिक्त साधन विकसित होगा साथ ही कृषि उत्पादन में भी अच्छी वृद्धि होगी। एक प्रगतिशील पशुपालक को तीन वैज्ञानिक मूल मंत्रों गुड ब्रीडिंग, गुड फिडिंग एवं गुड़ मेनेजमेन्ट अर्थात् उन्नत नस्ल का चुनाव, उत्तम पोषण आहार एवं अच्छा रखरखाव व प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी गई साथ ही स्थानीय पशुओं की नस्ल में भारतीय अधिक दूध देने वाली नस्लों साहीवाल, गिर थारपारकर, हरियाणा एवं बंगोल के सांड या कृत्रिम गर्भधान कराकर नस्ल सुधार के कार्य को प्राथमिकता दी जावे साथ ही साल भर हरा चारा का उत्पादन करे। केंद्र के सस्य वैज्ञानिक डॉ के जी व्यास ने पशुओं में पोषक तत्वों कैल्शियम फास्फोरस की कमी से होने वाली बीमारियों के लक्षणों, पशुओं में होने वाली प्रमुख बीमारियों एवं उनके प्रबंधन पर तकनीकी जानकारी प्रदान की । प्रसार विशेषज्ञ सुनील शर्मा ने पशुपालकों के लिये संचालित योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया साथ ही किसानों को योजनाओं के सम्बन्ध में समस्याओं का भी समाधान किया गया। राजस्थान सरकार द्वारा संचालित महंगाई राहत शिविर में प्रत्येक पशुपालक को अपने दो दुधारू जानवरों का बिमा निशुल्क करवाने की सलाह दी।

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