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मसूदा.  प्रतिवर्ष की भाँति इस वर्ष भी श्री सीमेंट परिसर में हनुमान जयंती के अवसर 23 वे वार्षिकोत्सव पर काफी धूमधाम रही। पूजा पाठ,शोभा यात्रा से लेकर सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि पूर्व की भाँति लगभग यथावत ही चले। प्राप्त जानकारी के अनुसार ज़्यादातर काम और स्टाफ को गुड़गाँव शिफ्ट भी किया जा चूका है। वर्तमान में कॉरपरेट मैनेजमेंट के तहत ज़्यादातर कार्य किया जा रहा है।श्री सीमेंट परिसर में बनाये गए बालाजी मंदिर के गर्भ गृह में करीब डेढ़ फ़ीट ऊंचाई की बालाजी की पूर्ति स्थापित है। विश्वस्त सूत्रों से जानकारी मिली की इस मूर्ति को वर्ष में एक बार ही बाहर निकाला  जाता है और शोभा यात्रा में शामिल किया जाता है जबकि अन्य दिनों में कोई भी भक्त दर्शन नहीं कर सकते है। धूमधाम से निकाली जाने वाली शोभा यात्रा के दौरान प्रत्यक्ष दर्शियों ने बताया की प्रशांत बांगड़ और एच एम बांगड़ के पेरो का अचानक संतुलन बिगड़ गया और करीब डेढ़ फीट ऊंचाई की अति प्राचीन बालाजी महाराज की मूर्ति हाथो से गिर गई और बालाजी के हाथ का पर्वत,एक आँख और नाक के अलावा एक तरफ से खंडित भी हो गई।आनन फानन में उसे सुरक्षित स्थान ले जाकर रखा गया।श्री सीमेंट में कार्यरत गिने चुने कर्मचारियों ने अपने मोबाईल से खंडित प्रतिमा के4 फोटो तो दिखा दिए लेकिन अपनी नौकरी का हवाला देते हुए देने से साफ़ इंकार कर दिया। सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान भी किलन में अचानक खराबी आ जाने से चारो और डस्ट ही डस्ट हो गई।प्रत्यक्ष दर्शी के अनुसार सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति देने आये गायक और संगीतकार प्रीतम चक्रवर्ती भी बार बार अपने कपडे झाड़ते दिखाई दे रहे थे।कार्यक्रम के पश्चात जब अतिथि और दर्शक ज्योही अपने अपने वाहनों तक पहुंचे तो उन्हें अपना सर पकड़कर बैठने के अलावा कोई रास्ता दिखाई नहीं दिया क्योकि उन पर भी डस्ट जमा हो गई। पहले जाने वाले ऐसे दर्शक भी थे जिनके पास अपने वाहन झाड़ने का कपड़ा नहीं मिला तो पास में खड़े वाहन से निकाल लिया और लेकर चलते बने।प्राप्त जानकारी के अनुसार बालाजी की नई मूर्ति की पुनर्स्थापना एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित करते हुए 23 फरवरी को करने की संभावना है। कार्यक्रम के दौरान बांगड़ परिवार ने उन्नति का श्रेय संकटमोचन हनुमान को दिया गया। वाइस चेयरमेन प्रशांत बांगड़ ने कहा था की हनुमान जी की कृपा से कम्पनी लगातार उन्नति करती जा रही है। वर्ष 2000 में श्री संकट मोचन हनुमान जी की स्थापना श्री परिसर में हुई थी। चेयरमेन एमीरैट्स बीजी बांगड़ ने भी श्री की प्रगति का श्रेय श्री हनुमान जी महाराज को दिया था। अब चूँकि गर्भगृह वाले अति प्राचीन बालाजी की मूर्ति खंडित हो चुकी है तो क्या यह कहीं उलटी गिनती की शुरुआत तो नहीं ? आये दिन मामूली पैसा खर्च करते हुए स्कूलों में छात्र छात्राओं को कॉपी किताब बांटकर वाहवाही लूटने का प्रयास करने वाले अधिकारियों ने ब्यावर शहर को क्या कुछ दे दिया ? वर्तमान में घटे घटनाक्रमो को मद्देनज़र रखते हुए श्री प्रशासन को आने वाले समय में सोच समझकर कदम रखने की आवश्यकता पर ध्यान देना ज़रूरी हो गया है।
 
                                                                        
                                                                    