
AI चैटबॉट्स ने सिर्फ 7 मिनट में बनाई सॉफ्टवेयर कंपनी
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI बेस्ड चैटबॉट के जरिये नई क्रांति लाने की दिशा में एक खास प्रयोग किया गया। अमेरिका के रोड आइलैंड स्थित ब्राउन यूनिवर्सिटी और चीन की कई अलग-अलग यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने एआई के इस्तेमाल से खास चैटबॉट्स तैयार किए हैं।
ये अत्याधुनिक लैंग्वेज मॉडल्स पर काम करते हैं। इसमें कम से कम ह्यूमन इंटरफेरेंस के साथ सॉफ्टवेयर कंपनी चलाने में कैपेसिटी हैं। ऐसी कंपनी में सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट की पूरी प्रोसेस सिर्फ 7 मिनट में पूरी की जा सकती है और वह भी एक डॉलर (करीब 83 रुपए) से कम लागत में। रिसर्चर्स ने इनका हुनर दिखाने के लिए एक प्रयोग किया, जिसे 'चैटडेव' नाम दिया गया। एक काल्पनिक सॉफ्टवेयर-डेवलपमेंट कंपनी बनाने के लिए रिसर्चर्स ने चार चरण तय किए- डिजाइनिंग, कोडिंग, परीक्षण और डॉक्यूमेंटिंग।
हर एक AI बॉट को कम्युनिकेशन प्रोटोकॉल और काम निपटाने की समयसीमा के साथ सीईओ, सीटीओ (चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर), प्रोग्रामर और आर्ट डिजाइनर जैसी भूमिकाएं सौंपी गईं। रिसर्च में सभी ने सारे काम सही तरीके से पूरे किए।
चैटडेव ने पूरे किए 70 टास्क
यह प्रयोग इतना सटीक था कि AI वर्कर्स ने सहजता से आपस में बातचीत की, महत्वपूर्ण निर्णय लिए और हर चरण की जटिल चुनौतियों का हल निकाला। प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के चयन से लेकर बग्स की पहचान करने और उन्हें ठीक करने तक, हर काम सही तरीके से किया। प्रयोग के दौरान चैटडेव ने लगातार असाधारण नतीजे देते हुए 70 टास्क पूरे किए।
AI पॉवर्ड कंपनी ने अपनी वर्किंग कैपेसिटी और कॉस्ट एफिशिएंसी का प्रदर्शन करते हुए एक डॉलर से भी कम लागत पर सात मिनट से कम समय में सॉफ्टवेयर विकसित करने की क्षमता दिखाई। इनके जरिये जेनरेट किए गए 86.66% सॉफ्वेयर सिस्टम में कोई खामी नहीं पाई गई।
लैंग्वेज मॉडल की संभावित खामियों की भी पहचान
बर्लिन के कोडर डैनियल डिप्पोल्ड ने एक प्रोग्राम डेवलप करने के लिए चैटजीपीटी का सफल इस्तेमाल किया। इससे उन्हें एक अपार्टमेंट ढूंढने में मदद मिली। यहां तक कि अमेजन के कर्मचारियों ने भी सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के टास्क पूरे करने के लिए चैटजीपीटी का इस्तेमाल किया है। हालांकि ये सिक्के का सिर्फ एक पहलू है।
रिसर्चर्स ने लैंग्वेज मॉडल की संभावित खामियों की पहचान भी की है, जो सटीक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट को प्रभावित कर सकते हैं।