
पर्यटन को नई दिशा देगा बायोलॉजिकल पार्क
राजस्थान का ऐतिहासिक भरतपुर जिला अब केवलादेव पक्षी विहार या प्राकृतिक धरोहरों के लिए ही नहीं, बल्कि वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरणीय पर्यटन के एक नए केंद्र के रूप में भी पहचाना जाएगा। जिले के बंध बारैठा क्षेत्र में करीब 70 करोड़ रुपए की लागत से 50 हेक्टेयर में एक अत्याधुनिक बायोलॉजिकल पार्क विकसित किया जाएगा, जो ना केवल विलुप्त होते वन्यजीवों का नया आश्रय होगा बल्कि पूर्वी राजस्थान को पर्यटन के क्षेत्र में नई दिशा भी देगा। इस बायोलॉजिकल पार्क में बाघ, शेर, तेंदुआ, मगरमच्छ, घडिय़ाल जैसी खतरनाक और आकर्षक प्रजातियों के साथ-साथ पूर्वी राजस्थान में पाए जाने वाले लगभग सभी प्रमुख वन्यजीवों को शामिल किया जाएगा। खास बात यह है कि ऐसे वन्यजीव जिन्हें पहले केवलादेव घना जैसे क्षेत्रों में देखा जाता था, लेकिन अब वहां उनकी उपस्थिति नहीं रही, उन्हें भी इस पार्क में बसाने का प्रयास किया जाएगा। वन विभाग की योजना है कि इन वन्यजीवों को एक्सचेंज पॉलिसी के तहत अन्य बायोलॉजिकल पार्कों और वन्यजीव अभ्यारण्यों से यहां लाया जाए। जिन पार्कों में वन्यजीवों की संख्या अधिक है या स्थान की कमी है, वहां से इन प्रजातियों को भरतपुर स्थानांतरित किया जाएगा। इससे ना केवल विविधता बढ़ेगी, बल्कि विभिन्न प्रजातियों के संरक्षण में भी मदद मिलेगी। बायोलॉजिकल पार्क में प्रत्येक प्रजाति के वन्यजीव के लिए अलग-अलग पिंजरे और प्राकृतिक वातावरण से मेल खाते जलाशय बनाए जाएंगे। इन पिंजरों की डिजाइन इस तरह से होगी कि वन्यजीव खुद को प्राकृतिक आवास में महसूस करें और आगंतुकों को भी जीवों की स्वाभाविक गतिविधियों को देखने का अवसर मिले। वन्यजीवों की खानपान व्यवस्था के लिए भी विशेष सतर्कता बरती जाएगी।
पार्क के निर्माण से भरतपुर जिले को एक नया पर्यटन स्थल मिलेगा, जिससे पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी। खासकर वे पर्यटक जो केवल केवलादेव पक्षी अभ्यारण्य तक सीमित रहते थे, अब बायोलॉजिकल पार्क की ओर भी आकर्षित होंगे। इससे न सिर्फ भरतपुर का पर्यटन क्षेत्र मजबूत होगा, बल्कि आसपास के इलाकों में स्थानीय रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। स्थानीय गाइड, होटल व्यवसाय, रेस्तरां, टैक्सी सेवा जैसे कई क्षेत्र इससे लाभान्वित होंगे। पर्यटकों की ठहराव अवधि बढ़ेगी, जिससे भरतपुर की स्थानीय अर्थव्यवस्था को सीधा फायदा पहुंचेगा।
बायोलॉजिकल पार्क का उद्देश्य केवल वन्यजीवों को दिखाना नहीं है, बल्कि लोगों को वन्यजीव, जंगल और पर्यावरण के महत्व के प्रति जागरूक करना भी होगा। पार्क में स्कूली बच्चों और युवाओं के लिए विशेष शिक्षा कार्यक्रम होंगे, जिनमें वन संरक्षण, जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र के महत्व की जानकारी दी जाएगी।
बायोलॉजिकल पार्क के लिए दो स्थानों को चिह्नित किया था। इनमें पहला, केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के पास मलाह क्षेत्र और दूसरा बयाना उपखंड का बंध बारैठा क्षेत्र। सेंट्रल जू अथॉरिटी की टीम के निरीक्षण के बाद बंध बारैठा क्षेत्र को बायोलॉजिकल पार्क के लिए चुना गया। अब डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जाएगी। पार्क को चरणबद्ध तरीके से विकसित किया जाएगा और पहले चरण में ही कुछ प्रमुख वन्यजीवों को यहां लाकर रखा जाए।