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सेहत के लिए वरदान मोटे अनाज,को मिल रहा है भरपूर प्रोत्साहन

सेहत के लिए वरदान मोटे अनाज,को मिल रहा है भरपूर प्रोत्साहन

हमारे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जब भी मौका मिलता है मोटे अनाज की अहमियत बताने से नहीं
चूकते। अनेक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में मोटे अनाज से बने स्वादिष्ट व्यंजन परोसे
जाने लगे है। जयपुर में 5 से 7 जनवरी को आयोजित पुलिस महानिदेशक - महानिरीक्षक
सम्मलेन में मोटे अनाज से बने व्यंजन परोस कर सन्देश दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने
मन की बात के108वें कार्यक्रम में मोटे अनाज का जिक्र कहा कि भारत के प्रयास से 2023 को
अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष के रूप में मनाया गया। इससे इस क्षेत्र में काम करने वाले स्टार्टअप को
बहुत सारे अवसर मिले हैं। वहीं हमारे किसान भी धीरे- धीरे मोटे अनाज की तरफ रूख कर रहे
हैं। वे फिर से बाजरा और मक्का जैसी फसलों की खेती करने लगे हैं। इससे किसानों को अच्छा
मुनाफा हो रहा है कई राज्यों में मोटे अनाज की खेती करने पर किसानों को बंपर सब्सिडी भी
दी जा रही है। पहले लोग मोटे अनाज का सेवन करते थे। लेकिन बदलते समय के साथ लोग
इससे दूर हो गए। अब प्रधानमंत्री मोदी ने फिर से लोगों को मोटे अनाज उगाने और उसके सेवन
के प्रति जागरूक करने के लिए विशेष अभियान छेड़ा है। देश में मिलेट्स जिसे मोटा अनाज कहा
जाता है के पक्ष में माहौल बनना शरू हो गया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में पैदा
होने वाले मोटे अनाज में 41 प्रतिशत तक भारत में पैदा होता है। देश में सर्वाधिक बाजरा
उत्पादन करने वाले राज्य राजस्थान सहित अनेक प्रदेशों में मोटे अनाज की महत्ता, उपयोगिता
और पोषण गुणवत्ता को लेकर कार्यशालाएं आयोजित की जा रही है जिनके माध्यम से किसानों
और आम नागरिकों में जागरूकता पैदा की जा रही है। राजस्थान का बाजरे के उत्पादन और
क्षेत्रफल दोनों दृष्टि से देश में प्रथम स्थान है। देश में बाजरा क्षेत्रफल में राजस्थान का हिस्सा
57.10 प्रतिशत है वहीं उत्पादन में 41.71 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। इसी तरह राष्ट्र में ज्वार
के क्षेत्रफल और उत्पादन में राज्य का तीसरा स्थान है।
हमारे देश में आज भी घर घर में लोग गेहूं के साथ मक्के, बाजरा और चंने की रोटी पसंद करते
हैं। सर्दी हो या गर्मी लोग इसे बड़े ही चाव के साथ न केवल खाते है अपितु मेहमानों की
परोसगारी भी करते है। इसे मोटा अनाज कहा जाता है, जिसमें ज्वार, बाजरा, रागी, सावां,
कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी और कुट्टू शामिल है। सर्दी के दिनों में ठंड से शरीर को बचाने के
लिए ज्वार और बाजरा खाने की सलाह भी दी जाती है। गेहूं और चावल की तुलना में मोटे

अनाज में मिनरल, विटामिन, एंजाइम और इन सॉल्युबल फाइबर भी ज्यादा मात्रा में पाया जाता
है। मोटे अनाज को खाने से शरीर में कई पोषक तत्वों की पूर्ति होती है साथ ही यह कुपोषण से
भी बचाव करेगा। मोटे अनाजों में बीटा-कैरोटीन, नाइयासिन, विटामिन-बी6, फोलिक एसिड,
पोटेशियम, मैग्नीशियम, जस्ता आदि खनिज लवण भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक भविष्य मोटे अनाजों का है। मोटे अनाज के क्षेत्र में किसानों एवं
कृषि उद्यमिता की अपार संभावनाएं हैं। अच्छे स्वास्थ्य के लिए इनकी उपयोगिता जगजाहिर है।
गेहूं, चावल के मुकाबले मोटा अनाज उगाना और खाना ज्यादा सुविधाजनक है। मोटे अनाज में
पोषण भी अधिक होता है, जिससे शरीर मजबूत होता है और बीमारियों से लड़ने की शक्ति
मिलती है। मोटे अनाजों के उत्पादन को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ प्रसंस्करण गतिविधियों के
जरिए उद्यमिता को भी बढ़ावा दिया जाए। इससे रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। भारत सरकार
ने बजट में ऐलान किया कि बाजरा, कोदो, सांवा जैसे मोटे अनाज को बढ़ावे देने के लिए
श्रीअन्न योजना शुरू की जाएगी। भारत मिलेट्स को लोकप्रिय बनाने के काम में सबसे आगे है,
जिसकी खपत से पोषण, खाद्य सुरक्षा और किसानों के कल्‍याण को बढ़ावा मिलता है। भारत
विश्‍व में श्रीअन्न का सबसे बड़ा उत्‍पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। भारत में कई
प्रकार के श्रीअन्‍न की खेती होती है जिसमें ज्‍वार, रागी, बाजरा, कुट्टु, रामदाना, कंगनी,
कुटकी, कोदो, चीना और सामा शामिल हैं। मोटे अनाज को सुपर फूड भी कहा जाता है। मोटे
अनाज में बाजरे की रोटी, दलिया, बिस्कुट, पकौडी , लड्डू के साथ ही मकई की रोटी व
घट्ठा, कोदो का भात, मिक्स अनाज का पापड़, ज्वार की खिचड़ी, चव्यनप्राश, बिस्कुट, बेकरी
उत्पाद जैसे व्यंजन बनाये जा सकते है। मोटा अनाज यानि मिलेट्स के पोषक तत्वों को देखते
हुए देश विदेश की सरकारों द्वारा इन्हे बढ़ावा दिया जा रहा है। क्योंकि मिलेट्स का अधिक
उत्पादन भूख और कुपोषण की समस्या हल करने मे बहुत सहायक हो सकता है। मोटे अनाज
की उपयोगिता को देखते हुए भारत सरकार सहित राज्य सरकारों ने विभिन्न स्तरों पर इसे
बढ़ावा देना शुरू कर दिया है।

 - बाल मुकुन्द ओझा 

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