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विनियोग पर टिका विकास

विनियोग पर टिका विकास

केन्द्रीय बजट आर्थिक नीतियों को घोषित करने का मंच है। यह वार्षिक आयोजन सरकार के नीतिगत फैसले व इरादों को प्रतिबिंबित करता हैं। देश के वित्तीय स्वास्थ्य का अन्दरूनी हाल पेश किया जाता है। भावी नीतिगत निर्णयों और वर्ष के दौरान विकास के कार्यो की यात्रा का मार्ग चित्र प्रस्तुत करता है। वार्षिक बजट खर्च, आमदनी, करों, कार्यक्रमों और नीतियों में परिस्थितियों के अनुसार परिवर्तन करता है।
विश्व के अधिकतर देश कोविड की वजह से मंदी से प्रभावित है मोदी सरकार ने अचानक पूर्व तैयारी के लम्बा लाॅकडाउन घोषित किया। देश के व्यापार, वाणिज्य और उद्योगों पर करारी चोट पड़ी। प्रवासी मजदूरों पर कहर पड़ गया, लम्बे लाॅकडाउन ने विकास दर को कम कर दिया, करोड़ो लोगों को बेरोजगार कर दिया। विकास योजनाओं के भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। बजट घाटा बढ़ गया है, महंगाई बढ़ गई है। कोविड-19 को लेकर बगैर तैयारी एकदम लगाए गए लाॅकडाउन ने अर्थव्यवस्था को पैंदे में बिठा दिया है। असंगठित क्षेत्र में तो अब भी भंयकर बेरोजगारी है। कमजोर पड़ रही अर्थव्यवस्था को अपने पैरों पर खड़ा करने, राजकोषीय घाटा को कम करने, मांग की वृद्धि कर विकास को बढ़ावा देने, विकास दर बढ़ाने, ग्रामीण विकास, बुनियादी ढ़ांचा, शिक्षा और समाज के कमजोर व वंचित वर्गो के कार्यक्रमों के आंवटनों में वृद्धि करने की अतान्त आवश्यकता है।
इस पृष्ठभूमि में 2021-22 का बजट पेश हुआ बजट में स्वास्थ्य सेक्टर पर ज्यादा फोकस दिया गया है। स्वास्थ्य में प्रावधान 94 हजार करोड़ से बढ़ाकर 2.38 लाख करोड़ किया गया है। स्वास्थ्य सेक्टर में मोबाइल अस्पताल, मिशन पोषण-2, रोग निरोधक केन्द्र, हैल्थ केयर सेंटर, पब्लिक हैल्थ लैबोरेटरीज, जलजीवन योजना पर जोर दिया गया है। 35 हजार करोड़ कोविड वैकसिन्स पर खर्च किय जायेगा। मिशन पोषण लान्च किया जाएगा, स्वच्छता कार्यक्रमों को गति दी जायेगी।
किसानों की आय दुगना करने, मंडियो को आॅनलाइन करने कृषि हब बनाने, पशुपालन डेयरी को बढ़ावा देने किसानों से गेंहू, दाल खरीदने के लिए 1.34 लाख करोड़, एमएमपी में बदलाव करने, कपड़ा उद्योग के लिए नवीन नीति बनाने, इन्फ्रास्टकचर पर व्यय बढ़ाने, युवकों व महिला का सशक्तिकरण, प्रदूषण की रोकथाम, उज्जवला स्कीम को बढ़ावा, ऊर्जा क्षेत्र को मजबूत किया जायेगा। पब्लिक सेक्टर बैंक को मजबूती के लिए 20 हजार करोड़, खातेदारों की 5 लाख तक जमा का इन्सोरेन्स, 1.34 लाख करोड़ से, उज्जवला के 1 करोड़ कनेक्शन, अन्य मुख्य प्रावधान है। असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए ईएसआई सुविधा, सिंचाई पर 5 हजार करोड़, दाले, गेंहू, धान खरीद के प्रावधानों में वृद्धि, मजदूरों के लिए नेशनल राशन कार्ड, के निर्णय लिये गयें है। सामाजिक क्षेत्र में उच्च शिक्षा कमीशन, सैनिक स्कूलों की स्थापना, पन्द्रह हजार सरकारी स्कूल को विकास, अनुसूचित जाति जनजाति छात्रों को स्कालरशिप, हेतु प्रावधान किये गयें।
बजट में इस वर्ष होने वाले 5 राज्यों को प्राथमिकता व वरीयता दी गई है, तमिलनाडू, बंगाल, आसाम, केरल में सड़कों के निर्माण पर प्राथमिकता से व्यय करने हेतु बडी राशि रखी गई है। एयरपोर्ट के विकास व आय पर जोर दिया गया है। एयरपोर्ट बन्दरगाहों का निजी क्षेत्र द्वारा प्रबन्धन, बीमा सेक्टर में एफडीआई 49 से बढ़ाकर 74 प्रतिशत विदेशी निवेश बढ़ाया जायेगा। डूबे कर्जो एनआरपी के सम्बन्ध में मैनेजमेन्ट कम्पनी बनाई जायगी। बीपीसीएल, आईडीबीआई का निवेश होगा। एयरइन्डिया का विक्रय होगा, एलआईसी का आईपीओ होगा। पब्लिक सेक्टर अन्डरटेकिंगस में कुछ को छोड़कर शेष का निजीकरण कर दिया जायगा। इनकी सम्पति, जमीने बेची जायेगी।
कर ढ़ाचे में आयकर के सीमा व स्लेबस, दरों में कोई परिवर्तन नहीं कियास गया। 75 वर्ष के अधिक आयु के व्यक्ति रिर्टन नहीं भरेगें। बजट में मिडिल क्लास को कोई राहत नही दी गई। पेट्रोल पर 2.50 पैसे व डीजल पर 4.00 रूपया कृषि सेस लगेगा। पेट्रोल डीजल की कीमतों में वृद्धि होगी। उम्मीद की जा रही थी, पेट्रोल डीजल के सम्बन्ध में नई एक्साइज पाॅलिसी का रिवीजन होगा। पेट्रोल डीजल की कीमते कम होगी। कोरोना अवधि में अमीरों व बड़े उद्योगपतियों की आय बेहताश बढ़ी है, उनपर कोविड टैक्स लगेगा वह नहीं लगा। बजट भारी घाटे की भरपाई कर्ज से की जायेगी। सरकार अनावश्यक खर्च, नये संसद का निर्माण, फास्ट्रेक रेलवे प्रोजेक्टस, मूर्तिया मन्दिर के निर्माण आदि पर व्यय रोककर कर्ज के बजाएं अधिक उपयुक्त तरीके बजत आदि से कर सकती है। कोविड वैक्सीन हेतु किया गया प्रावधान आवश्यकता से कम होगा।
महंगाई बढे़गी, अल्प आय वर्ग, मध्यम आय वर्ग को महंगाई की मार सहनी पडे़गी। पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ाकर राजस्व प्राप्ति से सभी वस्तुएं व आवागमन के साधन मंहगें होगें। अधिकांश पब्लिक सेक्टर अन्डरटेकिंग व उनकी सम्पति उद्योगपतियों के हाथों में चली जायेगी। सिंचाई पर केवल 5 हजार करोड़ का प्रावधान किया गया है सिंचित क्षेत्र नहीं बढ़ेगा।
यह बजट पूर्णतया आमलोगों, निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए कष्ट प्रद होगा। रोजगार व नौकरियों में वृद्धि नहीं होगी। लघु, कुटीर उद्योगों को उभारने में सहायक नहीं होगा। महिला कारोबारियों व हस्तशिल्पियों के लिए व्यापक घोषणा आवश्यक थी। जीएसटी कर प्रणाली में सुधार की आवश्यकता थी।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ठीक ही कहा है, 5 राज्यों के चुनावों को ध्यान में रखकर बजट के बडे़ प्रावधान उन राज्यों के लिए किये गये है, आसाम, बंगाल, तमिलनाडू, केरल में सड़को पर व्यय होगा। अन्य राज्य विशेषकर राजस्थान की अवहेलना हुई है। राजस्थान की नदी जल योजना, पेयजल योजनाओं की अनदेखी की गई है।
एफडीआई में वृद्धि, निजीकरण व डीजल पेट्रोल पर नवीन टैक्स आमजनता पर भारी पड़ेगा। 75 वर्ष से अधिक उम्र के पेंशनर्स की संख्या व प्रतिशत अधिक नहीं है, उन्हें भी केवल रिटर्न भरने की छूट मिली है। मध्यम वर्ग को राहत देंने हेतु टैक्स स्लैब में बदलाव करना चाहिए था। अकुशल व असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए नरेगा की तर्ज पर शहरी क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध कराने हेतु नई शहरी स्कीम लानी चाहिए थी। कर चोरी से प्राप्त आमदनी की घोषणा हेतु डिक्लरेशन स्कीम लाई जानी चाहिए थी। जिससे कर चोरी करने वालो से अैक्स वसूली होती। कोरोनाकाल में अत्यधिक आय व मुनाफा कमाने वालो पर कोविड़ टैक्स लगाकर, अनावश्यक खर्चो को रोककर घाटा पूरा करना चाहिए था कर्ज से नहीं देश में महंगाई, बेकारी, बेरोजगारी रोकने पर जोर दिया जाना आवश्यक हैं।
कर्ज व मांग बढ़ोतरी की इकोनामी से हटकर उत्पादन-रोजगार बढ़ोतरी की नीति अपनाई जानी चाहिए थी। कर चोरी से प्राप्त आमदनी की घोषणा हेतु वालन्टरी।

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