
भारत में असंचारी रोगों का बढ़ता दायरा
अपोलो अस्पताल समूह की शनिवार को जारी वार्षिक रिपोर्ट – हेल्थ ऑफ़ द नेशन 2023 में
कहा गया है कि भारत में असंचारी रोगों की व्यापकता बढ़ रही है। इसके कारण कोलेस्ट्रॉल की
असामान्यता, डायबिटीज और उच्च रक्तचाप में भी बढ़ोतरी हो रही है। रिपोर्ट के अनुसार स्थायी
तनाव और चिंता के कारण उच्च रक्तचाप होने का ख़तरा डेढ़ गुणा और डायबिटीज का खतरा
दोगुना बढ़ जाता है। स्थायी तनाव ग्रस्त पुरुषों को महिलाओं की अपेक्षा डायबिटीज होने का
ख़तरा दोगुना ज्यादा होता है। असंचारी रोगों में ‘मानसिक स्वास्थ्य’और नींद का प्रमुख योगदान
जिसका पता नहीं चलता है।
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों को कई तरह की बीमारियां अपनी चपेट में ले रही हैं।
इनमें कुछ असंचारी बीमारियां हैं जिसके मरीजों की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है। इन
असंचारी बीमारियों का कारण खानपान में गड़बड़ी, जीवनशैली में बदलाव, निष्क्रियता, जलवायु
परिवर्तन, जंक फ़ूड और वातावरण का दूषित होना है। जीवन में स्वास्थ्य ही अनमोल धन है।
शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति ही जीवन के विभिन्न क्षेत्रो में सफलता अर्जित कर सकते है। स्वस्थ शरीर
में स्वस्थ मन का निवास होता है। व्यक्ति की सबसे बड़ी दौलत उसका शरीर और उसका स्वास्थ्य होता है।
प्रत्येक व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य के प्रति सदैव सजग रहना चाहिए। आज हर व्यक्ति अच्छी सेहत की
बात करता है और इसके प्रति काफी हद तक लोगों में जागरूकता भी आई है। मगर आज भी अधिकांश
व्यक्तियों के रोग का या तो समय पर पता नहीं चल पाता है या उसका सही तरह से उपचार नहीं हो पाता है,
जिसके कारण हर साल पूरी दुनिया में करोड़ों लोगों की असमय ही मृत्यु हो जाती है। स्वस्थ जीवन का
अधिकार हर मनुष्य को है। अपोलो की रिपोर्ट में बताया गया है वर्ष 2030 तक असंचारी रोगों के कारण
भारत पर लगभग 4.8 अरब डालर का आर्थिक बोझ पड़ने का अनुमान है।
भारत में आम तौर पर लोगों में स्वास्थ्य चेतना का अभाव है। शारीरिक स्वास्थ्य के प्रति भी लोग तभी
चिंतित होते हैं जब कोई रोग उन्हें घेर लेता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि निष्क्रियता कई
गंभीर बीमारियों को जन्म देती है। विश्व लगातार बढ़ रही निष्क्रियता नामक महामारी का शिकार हो रहा है
आरामदेह जीवनशैली से जुड़ी बीमारियाँ, जैसे हृदय रोग और डायबीटीज, अब तक संपन्न देशों की
बीमारियाँ मानी जाती थीं लेकिन अब विकासशील देश भी अब इसके शिकार हो रहे हैं । विश्व भर में इन
बीमारियों से हर वर्ष दो करोड़ लोगों की मौत होती है और इनमें से अस्सी प्रतिशत गरीब देशों से हैं। इस तरह
की बीमारियाँ दौड़-भाग से रोकी जा सकती हैं ।
स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का निवास होता है। मन को कभी गंदा या खराब नहीं रखना चाहिए। मानव की
सबसे बड़ी दौलत उसका शरीर और उसका स्वास्थ्य होता है। अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए कई
चीजों की आवश्यकता होती है। इनमें ताजी हवा, स्वच्छ पानी, उचित धूप, संतुलित आहार, जंक फूड से दूर,
स्वच्छ, स्वस्थ और हरियाली का वातावरण, सुबह की सैर, व्यक्तिगत स्वच्छता, उचित शिक्षा आदि की
आवश्यकता होती है। अच्छा स्वास्थ्य तनाव के स्तर को कम करता है और बिना किसी कष्ट के स्वस्थ
जीवन को बढ़ावा देता है। हमें हमेशा अपने स्वास्थ्य के बारे में पता होना चाहिए और नियमित स्वास्थ्य
जांच के लिए जाना चाहिए। हमें अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त करने के लिए समय पर ताजे फल, सलाद, हरी
पत्तेदार सब्जियां, दूध, दही और छाछ आदि का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि विश्व के पचासी प्रतिशत लोग निष्क्रिय जीवनशैली बिता रहे हैं और
विश्व के दो-तिहाई बच्चे भी पूरी तरह से सक्रिय नहीं हैं और इससे उनके भविष्य पर भी बुरा असर पड़ेगा ।
संगठन का कहना है कि साधारण व्यायाम जैसे पैदल चलना, नृत्य करना और यहाँ तक की सीढ़ियाँ चढ़ना
भी सेहत को ठीक रख सकता है । शोध बताते हैं कि खानपान में साधारण परिवर्तन और हल्के व्यायामों से
आंतों के कैंसर के खतरे को सत्तर प्रतिशत और डायबिटीज को साठ प्रतिशत कम किया जा सकता है । विश्व
स्वास्थ्य संगठन के अनुसार शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से पूर्ण स्वस्थ होना ही मानव
स्वास्थ्य की परिभाषा है ।
-बाल मुकुन्द ओझा