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शराब और खराब पदार्थों के सेवन से मौतों में इजाफा

शराब और खराब पदार्थों के सेवन से मौतों में इजाफा

शराब और ख़राब उत्पादों को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनियाभर की सरकारों को चेताया
है। संगठन ने मंगलवार को जारी अपनी विज्ञप्ति में साफतौर पर कहा की सेहत को नुकसान
पहुंचाने वाले ऐसे उत्पादों पर दुनिया में औसत टैक्स कम है। टैक्स बढ़ाने से लोगों की सेहत
बेहतर हो सकता है। यह जानकारी भी दी गई है कि कि दुनिया में शराब पीने से हर साल 26
लाख लोग मरते हैं और 80 लाख से अधिक लोग सेहत खराब करने वाले भोजन और पेय पदार्थ
लेने से मरते हैं। खराब उत्पादों पर टैक्स लगाने से आबादी स्वस्थ बनती है। इसका पूरे समाज
पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। बीमारी और दुर्बलता कम होती है। शराब पर टैक्स लगाने से
इसकी खपत कम होती है। इससे हिंसा और सड़क हादसे कम करने में मदद मिलती है।
शराब और जंक फ़ूड का सेवन हमेशा से स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताया गया है। ऐसी कई
रिपोर्ट सामने आ चुकी हैं जिनमें जंक फ़ूड और शराब के सेवन से कई नुकसान गिनाए गए हैं।
इसके बावजूद भी इसका लोगों पर कोई खास असर नहीं पड़ा है। शराब के सेवन की कोई
सुरक्षित सीमा नहीं है और किसी भी मात्रा में इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए गंभीर रूप से
हानिकारक हो सकता है। मेडिकल पत्रिका लैंसेट के अनुसार दुनियाभर के 14 प्रतिशत वयस्क
और 12 प्रतिशत बच्चे तेजी से बढ़ते जंक फ़ूड के चलन से विभिन्न घातक बीमारियों की चपेट
में आ गए है। मोटापे के साथ उच्च रक्त चाप, शुगर,ह्रदय रोग,कैंसर जैसी बीमारियों ने जकड़ना
शुरू कर दिया है। आजकल बच्चों, युवाओं और बड़ी उम्र के लोगों में जंक फ़ूड यानि अल्ट्रा-
प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के प्रति तेजी से लगाव बढ़ रहा है। भारत की बात करे तो विश्व स्वास्थ्य
संगठन ने पहले ही चेता दिया है की स्वास्थ्य के प्रति इस गंभीर खतरें को समय रहते सख्ती
से नहीं रोका तो यह देश में नशे से भी अधिक भयावह स्थिति उत्पन्न कर देगा और इसके
जिम्मेदार केवल केवल हम ही होंगे। देश में दबे पांव प्रवेश करने वाले जंक फूड जिसे फास्ट
फूड भी कहते है ने हमारे सम्पूर्ण पाचनतंत्र पर कब्जा कर स्वास्थ्य के जीवन तंत्र को बिगाड़
कर रख दिया है। जंक अथवा फास्ट फूड आज घर घर में अल्पाहार के रूप में प्रयोग में लिए
जा रहे है। जंक फूड चिप्स, कैंडी, शीतल पेय, नूडल्स, सैंडविच, फ्रेंच फ्राइज, पास्ता, क्रिस्प्स,
चॉकलेट, मिठाइयाँ, हॉट डॉग जैसे पदार्थों को कहा जाता है। बर्गर, पिज्जा जैसे तले-भुने फास्ट
फूड भी जंक फूड की श्रेणी में आती है।

एक सरकारी सर्वेक्षण के अनुसार भारत में पांच में से एक शख्स शराब पीता है। सर्वे के अनुसार 19 प्रतिशत
लोगों को शराब की लत है। जबकि 2.9 करोड़ लोगों की तुलना में 10-75 उम्र के 2.7 प्रतिशत लोगों को हर
रोज ज्यादा नहीं तो कम से कम एक पेग जरूर चाहिए होता है और ये शराब के लती होते हैं। सर्वेक्षण के
अनुसार देशभर में 10 से 75 साल की आयु वर्ग के 14.6 प्रतिशत यानी करीब 16 करोड़ लोग शराब पीते हैं।
छत्तीसगढ़, त्रिपुरा, पंजाब, अरुणाचल प्रदेश और गोवा में शराब का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।
इस सर्वे की चौंकाने वाली बात यह है कि देश में 10 साल के बच्चे भी नशीले पदार्थों का सेवन करने वालों में
शामिल हैं। सर्वेक्षण में यह भी पता चला है कि शराब पर निर्भर लोगों में से 38 में से एक ने किसी न किसी
बीमारी की सूचना दी, जबकि 180 में से एक ने रोगी के तौर पर या अस्पताल में भर्ती होने की जानकारी दी।
एक अन्य सर्वे के मुताबिक भारत में गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लगभग 37 प्रतिशत
लोग नशे का सेवन करते हैं। इनमें ऐसे लोग भी शामिल है जिनके घरों में दो जून रोटी भी सुलभ नहीं है।
जिन परिवारों के पास रोटी-कपड़ा और मकान की सुविधा उपलब्ध नहीं है तथा सुबह-शाम के खाने के लाले
पड़े हुए हैं उनके मुखिया मजदूरी के रूप में जो कमा कर लाते हैं वे शराब पर फूंक डालते हैं। इन लोगों को
अपने परिवार की चिन्ता नहीं है कि उनके पेट खाली हैं और बच्चे भूख से तड़फ रहे हैं। ऐसे लोगों की संख्या
भी लगातार बढ़ती जा रही है। शराब पीकर गाड़ी चलाते हुए एक्सीडेंट करना, शादीशुदा व्यक्तियों द्वारा नशे
में अपनी पत्नी से मारपीट करना आम बात है ।

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