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महुआ मोइत्रा का निष्कासन विपक्षी एकजुट का बहाना

महुआ मोइत्रा का निष्कासन विपक्षी एकजुट का बहाना

हाल ही में संपन्न 5 राज्यों के चुनाव में विपक्षी दलों ने आपस में जोरदार सिर फुटोवल किया . पांच राज्यों के नतीजे आ आने के बाद मालूम पड़ा कि इनमें कांग्रेस दो जगह अपनी सरकार नहीं बचा पाई. यानी कुल चार जगह सरकार बना नहीं पाई. एक जगह ही सत्ता से नाराजगी का फायदा कांग्रेस को मिला. बाकी दल छुट पुट जीत भी न हासिल कर पाए . बीजेपी ने तीन राज्यों में सरकार बनाई. लगातार होती कांग्रेस की हार और घटते सीट वोट के बीच अब बीजेपी और कांग्रेस के साथी दल ही कांग्रेस की सियासी बीमारी के लक्षण बताने लगे . इसके बाद इंडिया गठबंधन में दरार साफ दिखने लगी . ऐसा लगा कि अब यह गठबंधन 24 के चुनाव में नहीं जुड़ पाएगा क्योकि 6 दिसंबर को इंडिया गठबंधन की बैठक होनी थी. चर्चा ये चली कि कांग्रेस ने इन चुनावों में सोचा था कि जीत हासिल करेंगे फिर गठबंधन की बैठक में अपना हाथ ऊपर करके बात सहयोगियों से करेंगे. लेकिन अब बाजी पलट गई है. लेकिन इन नतीजों के बाद इंडिया गठबंधन के चार बड़े दल अब तक कांग्रेस की हार का बाद उसकी नीति, नीयत और सोच पर सवाल उठा चुके हैं. अब जो 6 दिसंबर को इंडिया गठबंधन की चौथी बैठक कांग्रेस की ओर से दिल्ली में रखी गई थी उसमें कई बड़े नेताओं के मना करने के बाद इस संस्थागित कर दिया गया। बताया जा रहा है कि क्षेत्रीय दलों ने कांग्रेस के रवैये पर आपत्ति जताई थी । जिस तरीके से हाल में संपन्न पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने क्षेत्रीय दलों का अपमान किया, उसकी वजह से इंडिया गठबंधन के कुछ नेताओं ने खुलकर कांग्रेस का विरोध किया। यही कारण है कि लगातार इंडिया गठबंधन में खटपट की स्थिति चल रही थी। हालांकि, महुआ मोइत्रा प्रकरण विपक्षी एकता को संजीवनी दी ।

जब संसद से महुआ मोइत्रा के निष्कासन हुआ उसके बाद विपक्षी सांसद एकजुट नजर आने लगे । उन्होंने गांधी प्रतिमा के समक्ष विरोध प्रदर्शन भी किया जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी मौजूद रहे।ऐसे में इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि महुआ मोइत्रा की निष्कासन ने क्या विपक्षी एकजुटता को फिर से मजबूत कर दिया है? क्या इंडिया गठबंधन को मोदी सरकार को घरने के लिए बड़ा हथियार मिल गया है?

एक दिन पहले तक जो इंडिया गठबंधन और उसके सदस्य बिखरे नजर आ रहे थे, इस प्रकरण के बाद वह पूरी तरह एकजुट रहे। राज्य चुनावों में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के कारण गठबंधन तनाव में दिख रहा था। तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल (यूनाइटेड) ने भाजपा से मुकाबला करने की कांग्रेस की क्षमता पर सवाल उठाए। लेकिन महुआ मोइत्रा प्रकरण ने माहौल बदल दिया है और इंडिया ब्लॉक की एक और सौहार्दपूर्ण बैठक के लिए माहौल तैयार कर दिया है। टीएमसी नेता द्वारा उठाए गए मुद्दों पर राहुल गांधी ने भी आवाज उठाई है, जहां उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार पर एक व्यापारिक घराने का पक्ष लेने का आरोप लगाया है। कांग्रेस उनसे ज्यादा दिनों तक दूरी नहीं बना सकी। साथ ही, वह टीएमसी को नाराज करने से भी सावधान थी, जिसने हाल तक उनके मामले पर काफी हद तक चुप्पी साध रखी थी। लेकिन सोनिया गांधी ने खुद एकजुटता दिखाते हुए टीएमसी और ममता बनर्जी को खुश कर दिया है। कांग्रेस ने महुआ के समर्थन में अपने सांसदों को लोकसभा में मौजूद रहने का व्हिप जारी किया था। इतना ही नहीं, ममता के विरोधी माने जाने वाले अधीर रंजन चौधरी ने महुआ के साथ खड़े होने और स्पीकर को पत्र लिखकर आचार समिति की रिपोर्ट पर चर्चा के लिए और समय मांगा।यही कारण है कि लगातार इंडिया गठबंधन में खटपट की स्थिति चल रही थी। हालांकि, महुआ मोइत्रा प्रकरण विपक्षी एकता को संजीवनी दी है।

वैसे देखा तो किसी भी सांसद को संसद की सदस्यता से निष्कासित करने की नौबत आना दुर्भाग्यपूर्ण है, पर महुआ मोइत्रा ने अपने व्यवहार से कोई विकल्प नहीं छोड़ा। महुआ का मामला ओपन एंड शट केस था। इसमें किसी तरह का कोई संशय नहीं था। महुआ ने खुद माना कि उन्होंने संसद की वेबसाइट का लॉगिन पासवर्ड दर्शन हीरानंदानी को दिया। दर्शन हीरानंदानी ने उनके लॉगिन से सवाल भेजे। दर्शन हीरानंदानी ने माना कि उन्होंने महुआ मोइत्रा के जरिए सवाल पूछे। हीरानंदानी और अडानी कारोबारी प्रतिस्पर्धी हैं। महुआ ने संसद में 61 सवाल पूछे, इनमे से 50 सवाल ऐसे विषय पर थे जहां हीरानंदानी के कारोबारी हित अडानी से टकराते हैं। महुआ ने अडानी की कंपनियों के खिलाफ हीरानंदानी से सवाल ड्राफ्ट करवाए। हीरानंदानी ने महुआ की विदेश यात्राओं, होटल्स के बिल, पार्टियों का खर्चा उठाया, महुआ को महंगे महंगे तोहफे दिए, इसके बाद जांच के लिए, बचाव के लिए क्या बचता है? फिर भी कमेटी ने जांच की, सबके बयान दर्ज किए, महुआ को भी मौका दिया। मीटिंग में महुआ ने चेयरमैन पर पक्षपात के आरोप लगाए और जब तथ्यों के आधार पर महुआ को सदन से बाहर करने का फैसला कर दिया, तो महुआ ने कहा जिस वकील ने शिकायत की, उनसे उनका झगड़ा चल रहा है। महुआ के खिलाफ एक्शन का सियासी असर ये हुआ कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के दौरान जो विपक्ष बिखरा हुआ दिख रहा था, विरोधी दलों के जिस गठबंधन में दरारें दिख रही थीं, महुआ की सजा ने उस मोर्चे के सभी नेताओं को फिर एक साथ खड़ा कर दिया। सोनिया गांधी से लेकर JDU, RJD और समाजवादी पार्टी के नेता भी महुआ के पीछे खड़े दिखाई दिए। हालांकि सबने यही कहा कि महुआ को बचाव का मौका नहीं दिया गया, उन्हें बोलने का अवसर मिलना चाहिए था, महुआ के खिलाफ एक्शन में इतनी तेजी नहीं दिखानी चाहिए, लेकिन किसी ने ये नहीं कहा कि महुआ निर्दोष है। चूंकि मुद्दा भ्रष्टाचार का है, इसलिए इस मामले में ममता और महुआ के समर्थन में खड़े नेताओं को जवाब देना मुश्किल हो जाएगा।

हालांकि भ्रष्टाचार के मसले पर कांग्रेस की मुसीबतें बढ़ने वाली हैं क्योंकि झारखंड में कांग्रेस के MP धीरज साहू के ठिकानों से आयकर विभाग ने 300 करोड़ रुपये नक़द बरामद किये हैं।कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि पार्टी का साहू के कारोबार से कोई लेना-देना नहीं है और इस मामले को स्पष्ट करने का जिम्मा झारखंड से तीन बार के राज्यसभा सदस्य पर छोड़ दिया गया है। कहा गया है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस किसी भी तरह से सांसद धीरज साहू के व्यवसायों से जुड़ी नहीं है। केवल वही बता सकते हैं कि आयकर अधिकारियों ने कथित तौर पर उनकी संपत्तियों से कैसे इतनी बड़ी मात्रा में नकदी बरामद की है?

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