गांव गुवाड़ में गूंजने लगा मोदी का 400 पार का नारा
जैसे जैसे लोकसभा चुनाव नज़दीक आते जा रहे है वैसे वैसे कांग्रेस में एक के बाद एक नेता
पार्टी छोड़कर पार्टी के चुनावी भविष्य को पलीता लगा रहे है। साथ ही कई बड़े नेताओं के पार्टी
छोड़ने की अटकलें लगाई जा रही है। इंडिया गठबंधन के कई घटक एनडीए की तरफ जा रहे है।
वहीं प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी धीरे धीरे अपने 400 पार लक्ष्य की और बढ़ रहे है। चाय, पान की
दुकानों और गली कूंचों में लोग यह चर्चा करते जरूर मिल जायेंगे कि 400 मिले या न मिले
मगर सरकार मोदी ही बनाएंगे, इसमें कोई शक नहीं है। एक तरफ पार्टी के प्रमुख नेता राहुल
गांधी भारत जोड़ों न्याय यात्रा निकाल रहे है, दूसरी तरफ पार्टी में भगदड़ मची हुई है। ताज़ा
खबर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने की
है। महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी हाल ही अजित पवार की नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी में
शामिल हो गए। सिद्दीकी ने मुंबई में डिप्टी सीएम अजित पवार और NCP के कार्यकारी
अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल सहित दूसरे नेताओं की मौजूदगी में पार्टी जॉइन की। इससे महाराष्ट्र में
कांग्रेस को बड़ा धक्का लगा है। इससे पूर्व आचार्य प्रमोद कृष्णम को भाजपा और मोदी का
समर्थन करने से कांग्रेस से निकाल दिया गया। वे भी देर सबेर भाजपा में शामिल हो जायेंगे।
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी कांग्रेस से किनारा कर चुकी है। पिछले कुछ
वर्षों में कैप्टेन अमरिंदर सिंह, गुलाम नबी आज़ाद ज्योतिरादित्य सिंधिया, मिलिंद देवड़ा,
सुष्मिता देव, प्रियंका चतुर्वेदी, जितिन प्रसाद, अशोक तंवर, आरपीएन सिंह, हार्दिक पटेल, अल्पेश
ठाकोर, जैसे नेता कांग्रेस छोड़ चुके हैं। इसके अलावा अशोक चौधरी, हिमन्त बिश्व शर्मा, सुनील
जाखड़, अश्वनी कुमार, जैसे बड़े नेता भी पार्टी को अलविदा कर चुके हैं। कांग्रेस में मची इस
भगदड़ को सोनिया गांधी राहुल गांधी और अब मल्लिकार्जुन खरगे रोकने में असक्षम साबित हुए
हैं। कांग्रेस के लड़खड़ाने के साथ इंडिया गठबंधन भी लगभग बिखरने की स्थिति में आ चुका है।
चुनाव से पहले ही मोदी को सत्ताच्युत करने का सपना देखने वाला यह गठबंधन टूट गया।
ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल कांग्रेस के साथ सीट शेयरिंग में नहीं हैं। जयंत चौधरी बीजेपी
के साथ जा चुके हैं। नीतीश कुमार एक बार फिर पलटी मार भाजपा से गठजोड़ कर चुके हैं।
शिवसेना और एनसीपी टूट चुकी है। दोनों का नेतृत्व जिनके पास है, वो कांग्रेस के खिलाफ हैं।
देश में आगामी लोकसभा चुनाव की घोषणा शीघ्र होने जा रही है। चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियों ने
अपनी अपनी रणनीति बनाकर तैयारियां शुरू करदी है। एक मोर्चा या गठबंधन सत्तारूढ़ भाजपा नीत
एनडीए का है तो दूसरा कांग्रेस की अगुवाई वाला इंडिया गठबंधन का है। देश के अधिकांश राज्यों में एनडीए
और इंडिया गठबंधनों के बीच सीधे मुकाबले के आसार है। इनमें 26 पार्टियां इंडिया और 38 पार्टियों ने
एनडीए के झड़े के नीचे आने का फैसला किया है। एक दर्ज़न से अधिक ऐसी पार्टिया भी है जो दोनों के साथ
नहीं है। इसी के साथ चुनावी बिसात बिछने लगी है और सियासी दलों में एक दूसरे के खिलाफ तीखे आरोप
प्रत्यारोप शुरू हो गए है। इसी दौरान भाजपा ने पहले अयोध्या में राम मंदिर, फिर बिहार में पूर्व मुख्यमंत्री
कर्पूरी ठाकुर और अब चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न का एलान कर विपक्षी पार्टियों से जातीय मुद्दा छीन
लिया। इसे मोदी सरकार का मास्टर स्ट्रोक बताया जा रहा है।
भाजपा ने लोकसभा चुनाव की तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है जबकि विपक्षी पार्टियों का
गठबंधनअभी सीट शेयरिंग का मामला भी नहीं सुलझा पाया है। कहा गया है, इस महीने के अंत
तक सुलझा लेंगे। 2014 और 2019 के चुनाव में एनडीए की भारी जीत हुई और नरेन्द्र मोदी
के नेतृत्व में भाजपा ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। पिछले दो लोकसभा चुनावों में
ऐतिहासिक जीत हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने अपने ‘मिशन 2024’ के तहत नये
सिरे से काम करना शुरू कर दिया है। कांग्रेस और इंडि के विपरीत एनडीए मज़बूत स्थिति में है। मोदी
का 400 पार का नारा अब देश की गांव गुवाड़ में गूंजने लगा है। मोदी के नेतृत्व में एनडीए खासा मज़बूत है।
यदि कांग्रेस यूँ ही तितर बितर की स्थिति में रहा तो मोदी को अगला लोकसभा चुनाव जीतने में कोई नहीं
रोक पायेगा।
- बाल मुकुन्द ओझा