
डेरा सच्चा सौदा में धूमधाम से मनाया एमएसजी गुरुमंत्र भंडारा
भारी तादाद में साध-संगत ने की शिरकत
156 मानवता भलाई कार्यों के तहत 50 जरूरतमंदों को राशन, 50 नशा छोड़ने वालों को मिली हेल्दी डाईट किटें व जरूरतमंद को सौंपी मकान की चाबी
तारानगर . डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत ने शनिवार को शाह सतनाम जी धाम सिरसा में पावन ह्यएमएसजी गुरुमंत्र भंडाराह्ण हर्षोल्लास से मनाया गया। इस अवसर पर हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों सहित दुनियाभर से बड़ी तादाद में साध-संगत ने शिरकत की। पावन भंडारे पर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा भेजी गई 14वीं चिट्ठी साध-संगत को पढ़कर सुनाई गई। चिट्ठी को सुनकर साध-संगत भाव विभोर हो गई। चिट्ठी में पूज्य गुरु जी ने हरियाणा और राजस्थान में चलाए गए सफाई महा अभियानों रूपी महायज्ञ में आहुति डालने वाली साध-संगत की भरपूर प्रशंसा की और आशीर्वाद दिया। वहीं चिट्ठी के माध्यम से पूज्य गुरु जी ने बताया कि डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज और पूजनीय परमपिता शाह सतनाम जी महाराज ने भी मार्च महीने में ही गुरुमंत्र की अनमोल दात प्राप्त की थी। इसलिए आगे से 25 मार्च के भंडारे को एमएसजी गुरुमंत्र भंडारे के रूप में मनाया जाएगा। पूज्य गुरु जी ने स्पष्ट किया कि साध-संगत ने ही राजनीतिक विंग बनाया था और अब साध-संगत ने ही उसे भंग कर दिया है। एमएसजी गुरुमंत्र भंडारे पर डेरा सच्चा सौदा द्वारा चलाए जा रहे मानवता भलाई कार्यों के तहत 50 जरूरतमंदों को एक-एक माह का राशन और सेफ मुहिम के तहत नशा छोड़ने वाले युवाओं को 50 हेल्दी डाइट किटें दी गई। वहीं आशियाना मुहिम के तहत शाहपुर बेगू की साध-संगत द्वारा एक जरूरतमंद विधवा महिला को बनाकर दिए गए मकान की चाबी उन्हें सौंपी। गौरतलब है कि पूजनीय बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज और पूजनीय परमपिता शाह सतनाम जी महाराज ने मार्च महीने में गुरुमंत्र की दात प्राप्त की थी और 25 मार्च 1973 के दिन सच्चे रूहानी रहबर पूजनीय परमपिता शाह सतनाम जी महाराज ने पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को गुरुमंत्र की दात बख्शी थी। डेरा सच्चा सौदा का हर श्रद्धालु इस पूरे मार्च महीने को इन्सानियत की भलाई के काम करके मना रहा है।
सुबह 11 बजे पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को पवित्र नारा धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा के रूप में पावन एमएसजी भंडारे की बधाई के साथ नामचर्चा का आगाज हुआ। इसके पश्चात कविराजों ने विभिन्न भक्तिमय भजनों के माध्यम से गुरु महिमा का गुणगान किया। साध-संगत के उत्साह का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नामचर्चा की शुरूआत से पहले ही विशाल पंडाल साध-संगत से खचाखच भर चुका था और आश्रम के चहुंओर के मार्गों पर श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी कतारें लगी हुई थी। इस अवसर पर साध-संगत ने बड़ी-बड़ी स्क्रीनों के माध्यम से पूज्य गुरु जी के रिकॉर्डिड पावन वचनों का लाभ उठाया। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि संत सच्चा कौन सा होता है? संतों का काम क्या होता है? संत किसलिए दुनिया में आते हैं? संतों का मकसद क्या होता है इस समाज में आने का, इस धरती पर आने का? संत-जिसके सच का कोई अन्त ना हो, सन्त-जो सच से जुड़ा हो, संत, जो सदा सबके भले की चर्चा करे, सन्त-जो सबकुछ त्याग कर सिर्फ और सिर्फ ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, राम की औलाद का भला करे, सन्त-जो सच्ची बात कहे, चाहे कड़वी लगे या मीठी लगे, सन्त-जो सच से जोड़ दे और सच क्या है, ये भी सन्त बताए, कि भाई ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, राम, गॉड, खुदा, रब्ब सच था और सच ही रहेगा। उसको छोड़कर चन्द्रमा, सूरज, नक्षत्र, ग्रह, पृथ्वी जितना भी कुछ नजर आता है, जो कुछ भी आप देखते हैं सबने बदल जाना है और जो बदल जाता है, उसे सच नहीं कहा जा सकता। सच तो वो ही है जिसे एक बार सच कह दो तो हमेशा सच ही रहता है। तो सन्तों का काम सच से जोड़ना होता है। सन्त हमेशा सबका भला मांगते हैं। सन्त ना छोड़े संतमयी, चाहे लाखों मिलें असन्त सन्तों का काम सन्तमत पर चलना होता है, सबको बताना कि ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, राम, वो ओउम वो दाता आपके अन्दर है, उसको देखना चाहते हो तो आप भला करो, मालिक के नाम का जाप करो तो आपके अन्दर से ही वो नजर आ जाएगा।