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नौ कुंडीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन

नौ कुंडीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन

भीनमाल। शहर के गायत्री शक्तिपीठ में विजया दशमी के दिन नौ कुंडीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन हुआ।जिसमें वैदिक मंत्रोचार पूर्वक यज्ञ में आहुतियां देकर सर्वत्र सुख समृद्धि और शांति की कामना की।इस अवसर पर शांतिकुंज हरिद्वार के प्रतिनिधि हरिकृष्ण द्विवेदी ने कहा कि मानव जीवन को सफल बनाने के लिए यज्ञ एक आधारशिला है। इसके कुछ भाग विशुद्ध आध्यात्मिक हैं। अग्नि पवित्र है और जहां यज्ञ होता है, वहां संपूर्ण वातावरण, पवित्र और देवमय बन जाता है। यज्ञवेदी में 'स्वाहा' कहकर देवताओं को भोजन परोसने से मनुष्य को दुख-दारिद्रय और कष्टों से छुटकारा मिलता है।यज्ञ एक विशिष्ट वैज्ञानिक और आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा मनुष्य अपने जीवन को सफल बना सकता है। यज्ञ के जरिये आध्यात्मिक संपदा की भी प्राप्ति होती है। श्रीमद्भागवत् गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने यज्ञ करने वालों को परमगति की प्राप्ति की बात की है।महेश व्यास ने कहा कि यज्ञ एक अत्यंत ही प्राचीन पद्धति है, जिसे देश के सिद्ध-साधक संतों और ऋषि-मुनियों ने समय-समय पर लोक कल्याण के लिए करवाया। यज्ञ में मुख्यत: अग्निदेव की पूजा की जाती है। भगवान अग्नि प्रमुख देव हैं। हमारे द्वारा दी जाने वाली आहुति को अग्निदेव अन्य देवताओं के पास ले जाते हैं। फिर वे ही देव प्रसन्न होकर उन हवियों के बदले कई गुना सुख, समृद्धि और अन्न-धन देते हैं। राणमल शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि यज्ञ से संपूर्ण वातावरण, पवित्र और देवमय बन जाता है। यज्ञवेदी मे अग्नि यज्ञ को शास्त्रों में सर्वश्रेष्ठ कर्म कहा गया है। इसकी सुगंध समाज को सुसंगठित कर एक सुव्यवस्था देती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यज्ञ करने वाले अपने आप में दिव्यात्मा होते हैं। यज्ञों के माध्यम से अनेक ऋद्धियां-सिद्धियां प्राप्त की जा सकती हैं। यज्ञ मनोकामनाओं को सिद्ध करने वाला होता है। विशेष आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए, विशेष संकट निवारण के लिए और विशेष शक्तियां अर्जित करने के लिए विशिष्ट विधि-विधान भी भिन्न-भिन्न हैं। यज्ञ भगवान विष्णु का ही अपना स्वरूप है। इसे भुवन का नाभिकेंद्र कहा गया है। इस अवसर पर जोगाराम पटेल, जयरूपाराम माली, कोलचंद सोनी,जेठाराम माली,जसराज सुथार,बंशीधर राठी,चतुर्भुज राठी,हीरालाल सोलंकी,नरेंद्र आचार्य, डॉ. अरुण कुमार दवे,दिलीप सोनी,रमेशचंद्र अग्रवाल, जोरसिंह देवड़ा,सांवलाराम चौधरी,बाबूलाल परमार,ईश्वरसिंह सेवड़ी, करण सिंह सेवड़ी,मोहब्ताराम पुरोहित,नैनाराम चौहान ,मोतीलाल सोलंकी,अन्नत प्रसाद , सांकलाराम सैन,अर्जुनसिंह राव,,पूर्णा सोनी, प्रिया परमार, पुष्पा शर्मा सहित बड़ी संख्या में गायत्री परिजन उपस्थित रहे।

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